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Gorakhpur News: पराली जलाना पड़ा भारी, दो किसानों को पीएम सम्मान निधि योजना से किया गया बाहर

किसान पराली को खेत में अगर जलाता है तो दो एकड़ तक खेत में पराली जलाने पर 2.5 हजार रुपए, दो से पांच एकड़ तक 5000 रुपए और इससे अधिक खेत में पराली जलाने पर 15000 रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है. अगर इससे भी अधिक किसान पराली जलता है तो उसके समस्त खेती संबंधित लाइसेंस रद्द किए जाते हैं.

Gorakhpur: शासन और प्रशासन ने किसानों को खेत में पराली (Stubble Burn) जलाने के लिए सख्त रूप से मना किया हुआ है. बावजूद इसके कई जगह पर किसान कंबाइन से खेत कटने के बाद पराली को खेत में ही जला दे रहे हैं. गोरखपुर में भी जिलाधिकारी ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ सख्त करवाई के आदेश दिए हैं. गोरखपुर के पाली ब्लॉक के मुस्तफाबाद निवासी खंजून और खोराबार के जंगल गौरी नंबर दो अमहिया निवासी संजय त्रिपाठी के विरुद्ध कार्रवाई की है.

पराली जलाने पर है भारी जुर्माने का प्रावधान

किसान पराली (Stubble Burn) को खेत में अगर जलाता है तो दो एकड़ तक खेत में पराली जलाने पर 2.5 हजार रुपए, दो से पांच एकड़ तक 5000 रुपए और इससे अधिक खेत में पराली जलाने पर 15000 रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है. अगर इससे भी अधिक किसान पराली जलता है तो उसके समस्त खेती संबंधित लाइसेंस रद्द किए जाते हैं.

कंबाइन मशीनों से कटाई के कारण बच जाती है पराली

गोरखपुर में इस समय धान की कटाई तेजी से शुरू हो गई है. कहीं लोग लेबर के माध्यम से खेतों को कटवा रहे हैं तो कही कंबाइन मशीन से भी खेतों की कटाई की जा रही है.  धान की कटाई को देखते हुए गोरखपुर जिलाधिकारी ने पहले से ही सख्त आदेश दिया है की .कोई भी किसान पराली को खेत में ना जलाएं अगर कोई भी किसान खेत में बचे अवशेष या फिर पराली को जलाता है तो उसके खिलाफ करवाई की जाएगी.

दो किसानों पर कार्रवाई

गोरखपुर के उप कृषि निदेशक अरविंद कुमार सिंह ने बताया की पराली जलाने वाले गोरखपुर के पाली ब्लॉक के मुस्तफाबाद निवासी खंजून और खोराबार के जंगल गौरी नंबर दो अमहिया निवासी संजय त्रिपाठी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें पीएम किसान सम्मान निधि से वंचित कर दिया गया है. उन्हें कृषि विभाग की अन्य सभी योजनाओं के लाभ से भी वंचित किया गया है.

पराली जलाने से खेतों  को होता है नुकसान

कृषि विभाग के उपनिदेशक ने बताया की खेतों में बचे अवशेष पराली को जलाने से पर्यावरण तो दूषित होता ही है, साथ-साथ खेतों के पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं. उन्होंने बताया की खेतों में पराली और अवशेष को जलाने पर जमीन के 70% माइक्रो न्यूट्रिएंट के नुकसान की भरपाई नहीं हो पाती है. इससे खेतों के मिट्टी की जैविक गुणवत्ता व उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है. पराली में आग लगाने से खेतों में मौजूद कई उपयोगी बैक्टीरिया और कीट भी नष्ट हो जाते हैं. जिससे आने वाले फसलों को काफी नुकसान होता है.

रिपोर्टर – कुमार प्रदीप, गोरखपुर

Prabhat Khabar Digital Desk
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