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Gyanvapi: ज्ञानवापी के ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग पर आज फैसले का दिन, काशी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

Varanasi: ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Masjid Case) में आज कथित 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) पर जिला जज की अदालत बड़ा फैसला सुना सकती है. 'शिवलिंग' की लंबाई, चौड़ाई, गहराई और आसपास के क्षेत्र की कार्बन डेटिंग होगी या नहीं, इसी मामले पर आज डिस्ट्रिक्ट जज एके विश्वेश फैसला सुना सकते हैं.

Varanasi News: वाराणसी के ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Masjid Case) में सुनवाई का सिलसिला लगातार जारी है. इस क्रम में आज परिसर में स्थित कथित ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) पर जिला जज की अदालत बड़ा फैसला सुना सकती है. ‘शिवलिंग’ की लंबाई, चौड़ाई, गहराई और आसपास के क्षेत्र की कार्बन डेटिंग होगी या नहीं, इसी मामले पर आज डिस्ट्रिक्ट जज एके विश्वेश फैसला सुना सकते हैं.

हिंदू महिलाओं की याचिका पर आ सकता है बड़ा फैसला

दरअसल, इस साल की शुरुआत में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर पाए गए एक कथित ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग सहित एक वैज्ञानिक जांच के लिए हिंदू महिला याचिकाकर्ताओं की याचिका पर वाराणसी के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश की अदालत आज एक महत्वपूर्ण आदेश पारित कर सकती है. मंदिर कस्बे में एक निचली अदालत के आदेश पर सर्वे किया गया था.

पांच हिंदू महिला याचिकाकर्ताओं में से चार- जिनकी मूल याचिका ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर एक मंदिर में साल भर प्रार्थना करने के लिए थी, जोकि जिला न्यायाधीश की अदालत में सुनी जा रही थी. याचिकाकर्ताओं ने पिछले महीने ‘वैज्ञानिक जांच’ (scientific investigation) याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि शिवलिंग की कार्बन डेटिंग करना आवश्यक है.

महिलाओं ने अपनी याचिका में कहा कि इस तरह की जांच में कार्बन डेटिंग प्रक्रिया शामिल हो सकती है और इसे एक सरकारी निकाय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जा सकता है. हालांकि, पांच हिंदू महिलाओं में से एक ने चार अन्य महिलाओं द्वारा वैज्ञानिक जांच याचिका पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि कार्बन डेटिंग सहित कोई भी परीक्षण ‘शिवलिंग’ को नुकसान पहुंचा सकता है.

वहीं दूसरी ओर मस्जिद समिति ने वैज्ञानिक जांच याचिका पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि हिंदू महिलाओं का मामला मस्जिद के अंदर एक दरगाह पर पूजा करने का है और इसका इसकी संरचना से कोई लेना-देना नहीं है. मस्जिद समिति ने कहा कि, जिस वस्तु को ‘शिवलिंग’ कहा जा रहा है वह वास्तव में एक ‘फव्वारा’ है.

बता दें, 12 सितंबर को, वाराणसी के जिला न्यायाधीश ने मस्जिद समिति की उस चुनौती को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि हिंदू महिलाओं द्वारा मस्जिद परिसर के अंदर साल भर पूजा करने के मामले का कोई कानूनी आधार नहीं है. उनकी चुनौती को उन तीनों मामलों में खारिज कर दिया गया जिनका उन्होंने हवाला दिया था.

दरअसल, इस साल की शुरुआत में वाराणसी की एक निचली अदालत ने महिलाओं की याचिका के आधार पर ज्ञानवारी मस्जिद की वीडियोग्राफी का आदेश दिया था. हिंदू याचिकाकर्ताओं द्वारा विवादास्पद रूप से लीक की गई वीडियोग्राफी रिपोर्ट में दावा किया गया था कि मुस्लिम प्रार्थनाओं से पहले वजू या शुद्धिकरण अनुष्ठान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मस्जिद परिसर के भीतर एक तालाब में भगवान शिव का एक ‘शिवलिंग’ या अवशेष पाया गया था.

Sohit Kumar
Sohit Kumar
Passion for doing videos and writing content in digital media. Specialization in Education and Health Story

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