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सीएम योगी बोले- चिकित्सा शिक्षक पढ़ाने के साथ ओपीडी में नियमित रूप से दें वक्त, गाली खिलवाने का नहीं करें काम

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रिंसिपल हेड ऑफ द इंस्टीट्यूशन होता है. संस्था का हेड जैसा होगा, पूरी व्यवस्था वैसी होगी. जहां अच्छे प्रिंसिपल काम कर रहे हैं, समय देते हैं, एक-एक गतिविधि पर नजर रखते हैं, वहां पर हमारे मेडिकल कॉलेज भी अच्छे चल रहे हैं. मरीज भी संतुष्ट होता है.

Lucknow News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेडिकल कालेजों और आयुष के चिकित्सक शिक्षकों को पढ़ाने के साथ ओपीडी में भी नियमित रूप से समय देने को कहा है. उन्होंने नए चिकित्सा शिक्षकों से चुटकी लेते हुए कहा कि स्वयं गाली मत खाइए और हम लोगों को भी गाली मत मत खिलवाना. मुख्यमंत्री योगी आदित्यना​थ मंगलवार को 278 सहायक आचार्य, 2142 स्टाफ नर्स, 48 आयुष चिकित्सा शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस मौके पर आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा के अंतर्गत 674 एम्बुलेंस एवं 81 एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एम्बुलेंस का फ्लैग ऑफ किया गया. सीएम योगी ने कहा कि बीते छह वर्षों में स्वास्थ्य विभाग ने अपनी सेवा में जितनी वृद्धि की है, उसी कड़ी को आगे बढ़ते हुए आज 774 नई एंबुलेंस और 81 एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस का फ्लैग ऑफ किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा जीवन में व्यक्ति के पास कितनी भी वैभव आ जाए. लेकिन, अगर उसका स्वास्थ्य उत्तम नहीं है तो उसके लिए इन सब का कोई मूल्य नहीं होता. हमारी परंपरा भी इस बात को कहती है जितने भी धर्म के साधन हैं, यह सभी स्वस्थ शरीर से ही संभव होते हैं. आज नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में एलोपैथ के साथ आयुष चिकित्सक भी शामिल हैं.

14 नए मेडिकल कॉलेजों में नए सत्र से शिक्षण कार्य शुरू

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछले छह साढ़े छह वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश ने अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतरीन किया है. मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि पहले दूसरे राज्यों में जाने पर प्रदेश का नाम छुपाना पड़ता था. लेकिन, अब स्थिति बदली है. प्रदेश में 1947 से 2017 तक मात्र 12 मेडिकल कॉलेज थे. लेकिन अब 18 नए मे​डिकल कॉलेज सक्रिय हो गए हैं, 14 नए मेडिकल कॉलेजों का निर्माण जारी है, जिनमें नए सत्र से प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने जा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेज भी खोले जा रहे हैं. शिक्षा की गुणवत्ता भी बढ़ रही है. चिकित्सा के साथ-साथ पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ की अपनी भूमिका है. वह स्वास्थ्य सेवाओं का बैक बोन होता है. इस दृष्टि से क्वालिटी सेवा में दी जा सके, इसके लिए एक औपचारिकता नहीं बल्कि हम बेहतरीन प्रयास कर सकें, इसकी पहल की गई है. प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा में अमूलचूल परिवर्तन के लिए इनके अपने एक स्वयं के विश्वविद्यालय ‘अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी’ की पहल की गई है. इससे प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज से एफिलेटेड होंगे.

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72 जनपदों में डायलिसिस की सुविधा आरंभ

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरीन परिणाम सामने आए हैं. लगभग 10 करोड़ लोगों को आयुष्मान भारत या मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत हम लोग 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य कवर दे रहे हैं. आज कोई गरीब यह नहीं कह सकता की स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में उसे उपचार करने से वंचित रहना पड़ा है. 72 जनपदों में डायलिसिस की सुविधा आरंभ कराई जा चुकी है. हर जिले में आईसीयू स्थापित कराए जा चुके हैं. स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए 108 और 102 के एंबुलेंस सेवा के रिस्पांस टाइम को न्यूनतम स्तर पर लाने के प्रयास किए गए हैं. गोरखपुर और रायबरेली में दो एम्स भी शुरू हो गए हैं.

डबल इंजन सरकार में कई गुना बढ़ जाती है विकास की स्पीड

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह दिखता है कि जब डबल इंजन की सरकार होती है तो विकास की स्पीड भी कई गुना बढ़ जाती है और यह स्पीड हम सबके सामने हैं. मुख्यमंत्री ने चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में हमारी प्राचीन चिकित्सीय पद्धति को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने आयुष मंत्रालय का गठन किया. आज आयुष विभाग के पास अपना स्वयं का आयुष विश्वविद्यालय भी है. उसके साथ ही नई कॉलेज को मान्यता देने के क्रम में हम लोग तेजी के साथ आगे पड़े हैं. हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की स्थापना से तमाम अन्य कार्यक्रमों को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है. इस क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं हैं.

प्रिंसिपल हेड ऑफ द इंस्टीट्यूशन, समझें अपनी जिम्मेदारी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मेडिकल कालेजों और आयुष के चिकित्सक शिक्षकों को ओपीडी में भी समय देने को कहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में लोक सेवा आयोग से चयनित चिकित्सा शिक्षकों को आज नियुक्ति पत्र दिया जा रहा है, यह चयन की प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से होने का परिणाम है कि आज लोग राजकीय सेवा के साथ जोड़ रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि आपका मान सम्मान तभी बना रह पाएगा, जब आप समय से दो कदम आगे चलने की सामर्थ्य रखेंगे.

प्रिंसिपल हेड ऑफ द इंस्टीट्यूशन होता है. संस्था का हेड जैसा होगा, पूरी व्यवस्था वैसी होगी. जहां अच्छे प्रिंसिपल काम कर रहे हैं, समय देते हैं, एक-एक गतिविधि पर नजर रखते हैं, वहां पर हमारे मेडिकल कॉलेज भी अच्छे चल रहे हैं. मरीज भी संतुष्ट होता है. कर्मचारी भी टीम भावना के साथ काम करता है और वहां पर जो व्यक्ति अपना प्रयास करता है वह स्वयं भी यशस्वी हो जाता है. लेकिन, जहां पर लापरवाही होती है, टीमवर्क नहीं होता है, व्यक्ति अपने तरीके से काम करता है, समय पर स्वयं नहीं आता, किसी बात पर ध्यान नहीं देता है, केवल औपचारिकता करता है, वह स्वयं तो गाली खाता ही है हमें भी गली खिला देता है.

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में मौजूद चिकित्सा शिक्षकों से चुटकी लेते हुए कहा कि स्वयं गाली मत खाइए और हम लोगों को भी गाली मत मत खिलवाना, यह जरूर ध्यान रखना. आप लोग लेक्चरर के रूप में जा रहे हैं, क्लास तो लेनी ही है ओपीडी में भी नियमित रूप से बैठना है. प्रिंसिपल को भी अपने विषय से संबंधित ओपीडी को करना चाहिए. इससे अंदाजा लगता है लोगों की आवश्यकता क्या है.

Sanjay Singh
Sanjay Singh
working in media since 2003. specialization in political stories, documentary script, feature writing.

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