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Chandrayaan-3: लखनऊ की बेटी रितु करिधाल कराएंगी चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग, इस वजह से कहा जाता है रॉकेट वुमेन

रितु कारिधाल चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर थीं. उनके अनुभव को देखते हुए 2020 में ही इसरो ने ये तय कर दिया था कि चंद्रयान-3 का मिशन भी रितु के ही हाथों में होगा. इस मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरामुथुवेल हैं.

Lucknow News: आज चंद्रयान-3 दोपहर ढाई बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा. 23-24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी. इसरो द्वारा शुक्रवार को चंद्रयान-3 को लांच किया जाएगा.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का महत्वाकांक्षी चंद्रयान-3 बुधवार शाम को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव की सतह पर उतरने वाला है. इसकी कामयाबी भारत के लिए इसलिए भी बेहद अहम होगी, क्योंकि दुनिया का कोई भी देश अब तक चांद के दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल नहीं हो पाया है. इस मिशन में लखनऊ की रितु करिधाल अहम भूमिका निभा रही हैं.

रितु करिधाल को कहा जाता है रॉकेट वुमन

दरअसल चंद्रयान-3 को सही सलामत चंद्रमा पर लैंडिंग कराने की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर दी गई है, वह और कोई नहीं ‘रॉकेट वुमेन’ लखनऊ की रितु करिधाल हैं. इसरो के विभिन्न कार्यक्रमों का हिस्सा बनने के कारण उन्हें ‘रॉकेट वुमेन’ भी कहा जाता है. रितु करिधाल का जन्म लखनऊ के राजाजीपुरम में हुआ था. शुरुआती पढ़ाई सेंट ऐगनिस पब्लिक स्कूल व नवयुग कन्या विद्यालय से की.

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लखनऊ में यहां से की पढ़ाई

अमीनाबाद स्थित महिला विद्यालय डिग्री कॉलेज से बीएससी और लखनऊ विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में एमएससी और एलयू से भौतिक विज्ञान में एमएससी और एलयू से भौतिक विज्ञान में पीएचडी करना शुरू किया. छह महिने में अपना पेपर पब्लिश भी करवा लिया.

रितु ने एयरो साइंस इंजीनियरिंग में एमटेक किया. रितु करिधाल ने मंगलयान-1 में डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर और चंद्रयान-2 में मिशन डायरेक्टर की जिम्मेदारी निभाई है. इसकी वजह से ही उन्हें चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग कराने की जिम्मेदारी दी गई है.

लखनऊ को नाज है अपनी बेटी रितु कारिधाल पर

रितु कारिधाल लखनऊ की हैं. लखनऊ स्थित राजाजीपुरम् में उनका आवास है. रितु की शुरुआती पढ़ाई लखनऊ के सेंट एगनिस स्कूल में हुई थी. इसके बाद उन्होंने नवयुग कन्या विद्यालय से पढ़ाई की. लखनऊ विश्वविद्यालय में भौतिकी से एमएससी करने के बाद वह रितु ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग से एमटेक करने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूज ऑफ साइंस बेंगलुरु का रुख किया. बता दें कि रितु करिधाल ने वर्ष 1997 में इसरो जॉइन किया था. रितु करिधाल की पहली पोस्टिंग इसरों के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में दी गई.

रितु करिधाल ने इसरो के लिए छोड़ दी थी पीएचडी

एमटेक करने के बाद रितु कारिधाल ने पीएचडी करनी शुरू की और एक कॉलेज में पार्टटाइम प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाने लगीं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसी बीच 1997 में उन्होंने इसरो में जॉब के लिए अप्लाई किया. वहां उनकी नियुक्ति हो गई. मुश्किल ये थी कि जॉब के लिए उन्हें पीएचडी छोड़नी थी, जिसके लिए वह राजी नहीं थी. जिन प्रोफेसर मनीषा गुप्ता की गाइडेंस वे पीएचडी कर रहीं थीं, जब उन्हें ये पता चला तो उन्होंने रितु को इसरो ज्वॉइन करने के लिए प्रोत्साहित किया.

इस तरह मिली चंद्रयान-3 की जिम्मेदारी

रितु कारिधाल चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर थीं. उनके अनुभव को देखते हुए 2020 में ही इसरो ने ये तय कर दिया था कि चंद्रयान-3 का मिशन भी रितु के ही हाथों में होगा. इस मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरामुथुवेल हैं. इसके अलावा चंद्रयान-2 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहीं एम वनिता को इस मिशन में डिप्टी डायरेक्टर की जिम्मेदारी दी गई है जो पेलॉड, डाटा मैनेजमेंट का काम संभाल रही हैं.

फतेहपुर के सुमित चंद्रयान लैंडर-रोवर तकनीकी टीम का हिस्सा

श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 की लॉचिंग पूरी दुनिया देखेगी. लेकिन खागा नगर के लोगों के लिए यह क्षण बेहद खास होगा. इस क्षण में फतेहपुर के बेटे का भी योगदान है. अंतरिक्ष विज्ञानी सुमित कुमार चंद्रयान-3 के लैंडर, रोवर के कैमरों की तकनीकी व डिजाइन टीम का अहम हिस्सा हैं. चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर लगे पांच कैमरे चंद्रमा की इमेजिंग यानी तस्वीरें खीचेंगे. पेलोड में लगे कैमरे यानी की लैडिंग के दौरान चंद्रमा की सतह की तस्वीरें लेंगे.

दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार पहुंचेगा कोई देश

भारत का चंद्रयान 3 मिशन इसलिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव चांद के उस हिस्से की तुलना में काफी अलग और रहस्यमयी है जहां अब तक दुनिया भर के देशों की ओर से स्पेस मिशन भेजे गए हैं. रूस का लूना-25 यान इस सप्ताह दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला था, लेकिन रविवार को पहुंचते ही वह नियंत्रण से बाहर हो गया और दुर्घटनाग्रस्त हो गया.

इस मिशन की कामयाबी चंद्र जल बर्फ के बारे में ज्ञान का विस्तार कर सकती है, जो चंद्रमा के सबसे मूल्यवान संसाधनों में से एक हो सकता है. दुनिया की कई अंतरिक्ष एजेंसियां और निजी कंपनियां इसे चंद्रमा कॉलोनी, चंद्र खनन और मंगल ग्रह पर संभावित मिशनों की कुंजी के रूप में देखती हैं.

दक्षिणी ध्रुव, पिछले मिशनों द्वारा लक्षित भूमध्यरेखीय क्षेत्र से बहुत दूर है. ये क्षेत्र गड्ढों और गहरी खाइयों से भरा है. ऐसे में मिशन के कामयाब होने पर चंद्रयान-3 के जरिए यहां पहुंचने वाला भारत पहला देश होगा. इस बीच संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन दोनों ने दक्षिणी ध्रुव पर मिशन की योजना बनाई है.

Sanjay Singh
Sanjay Singh
working in media since 2003. specialization in political stories, documentary script, feature writing.

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