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रामलला के राज्याभिषेक का जश्न देखेगी दुनिया, एक करोड़ श्रद्धालु पहुंचेंगे, जानें प्राण प्रतिष्ठा की तारीख

विहिप के मुताबिक प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में देश के हर कोने से लोग रामनगरी पहुंचना चाहेंगे. हालांकि ऐसा संभव नहीं होगा. ऐसे में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के बाद अलग-अलग राज्यों को रामलला का दर्शन कराया जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा के लिए जो तीन मुहूर्त निकाले गए हैं, उनमें से 22 जनवरी सर्वोत्तम है.

Ayodhya: अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर तेजी से तैयारी चल रही है. अगले वर्ष जनवरी में रामलला को शुभ मुहूर्त में गर्भगृह में विराजमान किया जाएगा. संभावना जताई जा रही है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को हो सकती है. प्राण प्रतिष्ठा के लिए जो तीन मुहूर्त निकाले गए हैं, उनमें से 22 जनवरी सर्वोत्तम है. प्रधानमंत्री कार्यालय से इस तारीख पर अंतिम मुहर लगाने के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.

प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में मुख्य यजमान के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे. वहीं दिव्य-भव्य गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का महोत्सव बिलकुल राज्याभिषेक की तरह किया जाएगा. दुनिया के कोने कोने में मौजूद श्रद्धालु विभिन्न माध्यमों के जरिए इस पल का गवाह बनने को बेताब हैं.

बताया जा रहा है कि इस भव्य आयोजन को अविस्मरणीय बनाने के लिए प्रयागराज के कुंभ मेले की तर्ज पर व्यवस्थाएं की जा रही हैं. संभावना जताई जा रही है कि प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में मकर संक्रांति से फरवरी तक करीब एक करोड़ श्रद्धालु देश के विभिन्न हिस्सों से अयोध्या पहुंचेंगे.

प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारी को लेकर मंथन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठन इसके लिए विभिन्न कार्यक्रमों की रुपरेखा तैयार कर रहे हैं. इसी कड़ी में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय टोली की तीन दिवसीय बैठक अयोध्या में चल रह है, जिसमें प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारी को लेकर मंथन किया जा रहा है. बैठक में विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार, महामंत्री मिलिंद परांडे भी शामिल हुए. इस दौरान श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बैठक में अब तक हुई तैयारियों की जानकारी ली.

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ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा का महोत्सव 5 लाख गांव तक कैसे पहुंच सके इसको लेकर विचार चल रहा है. उन्होंने कहा कि समारोह में सबसे ज्यादा फोकस भीड़ नियंत्रण को लेकर है. अयोध्या में इतनी भीड़ आएगी तो अनुशासन बना रहे इस पर क्या रूपरेखा तैयार की जाय इस पर विचार हुआ.

राम राज्याभिषेक की तर्ज पर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन

विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव राम राज्याभिषेक की तर्ज पर होगा. इसके जरिए भव्य मंदिर के साथ अयोध्या के सांस्कृतिक राजधानी के रूप में विकसित होने का संदेश पूरी दुनिया में जाएगा. संभावना जताई जा रही है कि मकर संक्रांति से फरवरी तक करीब एक करोड़ भक्त रामलला के दर्शन को आएंगे. इनके ठहरने से लेकर खाने, पानी व भोजन की व्यवस्था पर चर्चा हो रही है. प्रयागराज के कुंभ मेले की तर्ज पर व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है. रहने के लिए टेंट सिटी, रसोई घर आदि की अस्थायी व्यवस्था की जा रही है.

प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के बाद दर्शन अभियान

विहिप के मुताबिक प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में देश के हर कोने से लोग रामनगरी पहुंचना चाहेंगे. हालांकि ऐसा संभव नहीं होगा. ऐसे में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के बाद अलग-अलग राज्यों को रामलला का दर्शन कराया जाएगा. निधि समर्पण अभियान की तर्ज पर रामलला के दर्शन का अभियान चलाएंगे. जिस प्रकार निधि समर्पण अभियान में 10 करोड़ परिवारों ने मंदिर निर्माण के लिए निधि समर्पण किया था. उसी तरह इन परिवारों को महोत्सव से जोड़ने का लक्ष्य है. दर्शन का अभियान कई महीने तक चलाया जाएगा.

लाखों भक्तों के ठहरने को लेकर विशेष इंतजाम

बैठक में अयोध्या के भौगोलिक स्थिति पर भी अध्ययन हुआ. इस दौरान चर्चा हुई कि एक दिन में अयोध्या में कितने भक्तों के रहने, खाने का इंतजाम किया जा सकता है. तय हुआ कि यदि एक दिन में 10 लाख भक्त आएं तो उन्हें किस तरह सुविधाएं दी जा सकेंगी. इनमें से अधिकांश लौट जाएंगे जबकि कुछ अयोध्या रहकर दर्शन-पूजन करेंगे. ऐसे कम से कम पांच लाख भक्तों के लिए व्यवस्थाओं की रूपरेखा बन रही है.

देश में पांच लाख मंदिरों में शुरू होगा प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव

इस बीच रामलला का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव अयोध्या में राम मंदिर सहित देशभर के पांच लाख मंदिरों में भी आयोजित किया जाएगा. इसे लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. ये समारोह प्राण प्रतिष्ठा समारोह के 10 दिन पहले से शुरू होगा. लोग मंदिर में संकीर्तन करेंगे. वहीं सिख, जैन मत के श्रद्धालु की अपनी परंपरा के अनुसार स्थानीय स्तर पर अलग-अलग आयोजन करेंगे.पूरे देश के मंदिरों में उत्सव के लिए संपर्क का जिम्मा तीर्थ न्यासी स्वामी विश्व प्रसन्न तीर्थ, तीर्थ क्षेत्र कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव गिरी महाराज को सौंपा गया है.

इस रूप में गर्भगृह में विराजमान होंगे रामलला

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्रतिमा 51 इंच लंबी होगी. इसमें प्रभु का बालरूप में दर्शन होगा.रामलला की प्रतिमा खड़े बालक के रूप में गर्भगृह में बने चबूतरे के ऊपर कमल पर स्थापित की जाएगी. रामलला की प्रतिमा की ऊंचाई आदि तय करने में खगोल विज्ञानियों की राय भी ली गई है, ताकि सूर्य की पहली किरण उनके ललाट पर पड़े.

एक साथ 25 हजार लोगों के दर्शन करने की व्यवस्था

मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था, बाढ़ और भूकंप से बचाव आदि का ध्यान रखते हुए देश के सभी आईआईटी के अलावा बड़े अभियंताओं व विज्ञानियों की सलाह ली जा रही है. मंदिर में लोहा, स्टील या कंक्रीट का प्रयोग नहीं किया गया है. रामलला के दर्शन एक साथ 25,000 लोग कर सकेंगे. शौचालय, बिजली, पानी, लाकर और बैठने की समुचित व्यवस्था के लिए तीर्थयात्री सेवा केंद्र व चिकित्सालय भी बनेगा. श्रद्धालुओं से किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जाएगा. आरती और दर्शन का भी कोई शुल्क नहीं लगेगा.

तीन प्रतिमाओं में सबसे आकर्षक विग्रह किया जाएगा विराजमान

गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा के लिए रामलला की तीन प्रतिमाएं अलग-अलग कारीगरों से बनवाई जा रही हैं. इनमें कर्नाटक, जम्मू और जयपुर के कारीगर ग्रे कलर और मकराना के सफेद पत्थर से मूर्ति तराश रहे हैं. जो मूर्ति सबसे सुंदर और आकर्षक बनेगी, उसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर से विशेष रथ के जरिए सवा 4 फीट ऊंचा शिवलिंग अयोध्या पहुंच गया है. इसकी प्राण-प्रतिष्ठा श्री राम जन्मभूमि मंदिर परिसर के शिव मंदिर में की जाएगी.

अन्य भगवानों के विग्रह भी होंगे स्थापित

रामलला के मंदिर में ये शिवलिंग बेहद खास होगा. इस तरह अयोध्या और ओंकारेश्वर का आपस में रिश्ता बन गया है. गर्भगृह में रामलला के बालरूप विग्रह के अलावा चारों कोनों पर भगवान सूर्य, भगवान शंकर, मां भगवती और गणपति विराजमान होंगे. मंदिर में ही हनुमानजी और मां अन्नपूर्णा का मंदिर भी होगा.

Sanjay Singh
Sanjay Singh
working in media since 2003. specialization in political stories, documentary script, feature writing.

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