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Budget 2022: किसान आंदोलन, यूपी चुनाव और आम बजट, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के ऐलान का मतलब क्या है?

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भाषण के दौरान किसानों को साधने की कोशिश की. किसान आंदोलन के बाद तीनों कृषि कानूनों की वापसी और यूपी-पंजाब के चुनाव को देखते हुए कई ऐलान हुए हैं.

Union Budget 2022: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट पेश किया. बजट में कई ऐलान हुए हैं, जिससे यूपी के किसानों को साधने की कोशिश हुई है. बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि- सरकार पीएम गति शक्ति के सात इंजन से देश का विकास करेगी. इसके अलावा किसानों के लिए भी कई ऐलान हैं, जो उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब तक में हो रहे चुनाव को देखते हुए किसानों को साधने की कोशिश जैसी है.

किसानों के लिए वित्त मंत्री के ऐलान

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भाषण के दौरान किसानों को साधने की कोशिश की. कहीं ना कहीं किसान आंदोलन के बाद तीनों कृषि कानूनों की वापसी और यूपी-पंजाब के चुनाव को देखते हुए कई ऐलान हुए हैं. इसमें सबसे बड़ा ऐलान है कि यूपी समेत देश के किसानों के खातों में 2.37 लाख करोड़ रुपए की एमएसपी सीधे ट्रांसफर होगी. सरकार ने गंगा किनारे के किसानों की जमीन के पांच किमी को कॉरिडोर के रूप में चुनने की घोषणा की. नेचुरल फॉर्मिंग को प्रमोट करने का निर्णय लिया गया है. ऑयल सीड का आयात घटाने और घरेलू प्रोडक्शन बढ़ाने की घोषणा भी की गई है. किसानों तक डिजिटल और हाईटेक तकनीक पहुंचाने के लिए पीपीपी मॉडल पर काम किया जाएगा.

किसान आंदोलन से बीजेपी की टेंशन?

अगर आम बजट में किसानों से जुड़े ऐलान को देखें तो इस पर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 का असर भी दिख रहा है. किसान आंदोलन के बाद बीजेपी ने पश्चिमी यूपी की 113 सीटों पर फोकस कर दिया है. यहां पर पहले और दूसरे फेज में मतदान होने हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 113 में से 91 सीटें जीती थी. जबकि, समाजवादी पार्टी ने 17 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस साल के चुनाव में किसान आंदोलन के बाद पैदा हुए हालात ने बीजेपी खेमे की मुश्किलें बढ़ा दी है.

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पश्चिमी यूपी के वोटबैंक पर निशाना लगा?

पश्चिमी यूपी के वोटबैंक की बात करें तो करीब 18 फीसदी वोटर्स जाट हैं. यहां मुस्लिम वोटर्स 25 फीसदी हैं. 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद हालात बदले. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ जाट वोटर्स आए थे. इस बार दिक्कत यह है कि रालोद के प्रमुख जयंत चौधरी ने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के साथ चुनावी गठबंधन किया है. जाट मतदाता रालोद के कोर वोटर्स रहे हैं. किसान आंदोलन में जाट और मुस्लिम भी सक्रिय रहे थे. इन सब तमाम हालात को देखते हुए आम बजट में किसानों से जुड़े ऐलान हुए हैं, जिसे माना जा रहा है कि नाराज किसानों को मनाने की कोशिश है.

Prabhat Khabar News Desk
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