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यूपी कांग्रेस की नई कार्यकारिणी घोषित होते ही उठे सवाल, वरिष्ठ नेताओं और महिलाओं की उपेक्षा पड़ सकती है भारी

कहा जा रहा है कि अगर वरिष्ठ नेताओं को केंद्रीय नेतृत्व कोई अहम जिम्मेदारी नहीं सौंपता है, ये निर्णय पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. इसके अलावा नई टीम में महिलाओं को कम भागीदारी दिए जाने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर एक भी महिला की नियुक्ति नहीं की गई है.

Lucknow News: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यूपी में कांग्रेस की नई टीम गठन के साथ ही चर्चा में आ गई है. प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने पदभार ग्रहण करने के करीब तीन महीने बाद अपनी नई टीम के जरिए जातीय समीकरण साधने का प्रयास किया है, इसमें पार्टी में सक्रिय लोगों को नई जिम्मेदारी देने के साथ बाहर से आगे लोगों को भी अवसर दिया गया है. अति पिछड़ी, अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक वर्ग के नेताओं के बीच संतुलन साधते हुए उन्हें पदाधिकारी बनाया गया है. एक तरफ जहां नए चेहरों को मौका दिया गया है, तो दूसरी तरफ जिस तरह से पुराने क्षेत्रीय अध्यक्षों को इसमें जगह नहीं दी गई है, उससे कई सवाल उठ रहे हैं. नई कार्यकारिणी में पुराने वरिष्ठ नेताओं को शामिल नहीं करना कांग्रेस की सियासी भूल है या रणनीति का कोई हिस्सा, इस पर बहस शुरू हो गई है. दरअसल कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय सिंह लल्लू ने अपने कार्यकाल में केंद्रीय नेतृत्व की मंजूरी के बाद अक्तूबर 2019 को प्रदेश कार्यकारिणी घोषित की थी. वहीं अक्तूबर 2022 को पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी के साथ छह क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाए गए थे. इसमें वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अजय राय भी शामिल थे.

इसके अलावा वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी, नकुल दुबे, वीरेंद्र चौधरी, अनिल यादव, योगेश दीक्षित को भी उत्तर प्रदेश कांग्रेस में क्षेत्रीय अध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद अगस्त माह में केंद्रीय नेतृत्व ने अचानक बृजलाल खाबरी को हटाकर अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. इसके साथ ही क्षेत्रीय अध्यक्षों का कार्यकाल समाप्त कर दिया गया. अब नई कार्यकारिणी में इन सभी पांचों क्षेत्रीय अध्यक्षों को जगह नहीं दी गई है. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले इन्हें नजरअंदाज करने पर सवाल उठ रहे हैं. वहीं कहा जा रहा है कि कई वरिष्ठ नेताओं ने अपनी उपेक्षा पर नाराजगी जताते हुए केंद्रीय नेतृत्व को अवगत करा दिया है. बात नहीं बनने पर आने वाले दिनों में कई वरिष्ठ नेता इस्तीफा तक दे सकते हैं.

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कहा जा रहा है कि अगर इन नेताओं को केंद्रीय नेतृत्व कोई अहम जिम्मेदारी नहीं सौंपता है, ये निर्णय पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. इसके अलावा नई टीम में महिलाओं को कम भागीदारी दिए जाने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर एक भी महिला की नियुक्ति नहीं की गई है, जबकि प्रदेश महासचिव पद पर एकमात्र महिला सरिता पटेल और प्रदेश सचिव पद पर मात्र दो महिलाएं अर्चना राठौर और पूर्वी वर्मा जगह बनाने में सफल हुए हैं. पाटी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा जिस तरह से विधानसभा चुनाव में आधी आबादी को ज्यादा से ज्यादा टिकट देने की पक्षधर रहीं, उसके बाद अब कार्यकारिणी में उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने पर भी सवाल उठ रहे हैं.

ऐसे साधे गए जातीय समीकरण

यूपी कांग्रेस की नई कार्यकारिणी पर नजर डालें तो करीब 70 प्रतिशत पिछड़े, अनुसूचित और अल्पसंख्यकों वर्ग के नेताओं को जगह दी गई है. इनमें 23 अनूसचित जाति, 22 अल्पसंख्यक और 44 अन्य पिछड़ा वर्ग के नेता हैं. इसके अलावा 16 ब्राह्मण, 12 क्षत्रिया, 03 भूमिहार सहित 41 लोग सामान्य वर्ग से हैं.

इन्हें बनाया गया उपाध्यक्ष

प्रदेश कार्यकारिणी में 16 उपाध्यक्ष बनाए गए हैं, इनमें सोहिल अंसारी, विश्व विजय सिंह, मकसूद खान, संजीव दरियाबादी, आलोक प्रसाद, शरद मिश्रा, राहुल राय, राघवेंद्र सिंह, राजकुमार रावत, मनीष मिश्रा, सुशील पासी, विदित चौधरी, प्रेम प्रकाश अग्रवाल, केशव चंद यादव, रिजवान कुरैशी, दिनेश कुमार सिंह शामिल हैं.

इन्हें मिली महासचिव की जिम्मेदारी

इसके अलवा 38 महासचिव बनाए गए है, जिनमें अनिल यादव, इसके साथ ही विवेकानंद पाठक, राहुल रिछारिया, अंशु तिवारी, मुकेश सिंह चौहान, जेपी पाल, सरिता पटेल, देवेंद्र सिंह, मुकुंद तिवारी, मनींद्र मिश्रा, जयकरन वर्मा, धीरेंद्र प्रताप सिंह, रामकिशुन पटेल, योगेंद्र मिश्र, सैफ अली नकवी, अभिमन्यु सिंह, सुभाष पाल, कुमुद गंगवार, ओमवीर यादव, कनिष्क पांडेय, परवेज अहमद, कौशलेंद्र यादव, मुकेश धनगर, सुबोध शर्मा, सचिव चौधरी, तुक्कीमल खटिक, विजेंद्र यादव, अहमद हमीद कोकब, सुशांत गोयल, मनोज गौतम, अमरेंद्र मल्ल, अवधेश सिंह, अरशद खुर्शीद, राकेश राठौर, तनुज पुनिया, हरप्रकाश अग्निहोत्री, ओमप्रकाश ओझा और प्रकाश प्रधान जगह बनाने में सफल हुए हैं.

ये बनाए गए सचिव

वहीं ​सचिवों में करमचंद बिंद, सत्यवीर सिंह, फरहान वारसी, अर्जुन पासी, राकेश मौर्या, इमरान खान, बिजेंद्र मिश्रा, पंकज सोनकर, अरुण विद्यार्थी, फसाहत हुसैन बाबू, जितेंद्र पासवान, राजेंद्र साहनी, जितेंद्र कश्यप, प्रकाश निधि गर्ग, अनूप वर्मा, धर्मेंद्र लोधी, रजनी सिंह, राजेश जीवन वाल्मीकि, अखिलेश शर्मा, ईश्वर दयाल पासवान, अर्चना राठौर, विनीत पाराशर वाल्मीकि, तनवीर सफदर, सिकंदर वाल्मीकि, अजीत यादव, पुरुषोत्तम नागर, राहत खलील, मुदस्सिर जमां, आरिफ अब्दुल्लाह, मिथुन त्यागी, पंकज तेजानिया, अनिल रिसाल अंसारी, अशोक सैनी, सुखराज चौधरी, योगी जाटव, देव रंजन नागर, रेहान पाशा, विशाल वशिष्ठ, रंजन शर्मा, अनीस खान, नादिर सलीम, अनिल भारती, मनोज यादव, मसूद अंसारी, दिलीप निषाद, सच्चिदानंद पांडेय, संतोष कटाई, कैलाश चौहान, आनंद राय, ज्ञानेंद्र पांडेय, सुरेश चंद्र साहनी, अमर पासवान, शहजाद आलम, राणा शिवम सिंह, सुरेंद्र कुशवाहा, अतुल सिंह, त्रिलोकी नाथ तिवारी, बलराम गुप्ता, फिरोज खान, पूर्वी वर्मा और आदर्श पटेल हैं.

Sanjay Singh
Sanjay Singh
working in media since 2003. specialization in political stories, documentary script, feature writing.

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