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विश्व पर्यटन दिवस 2023: अयोध्या में रामलला के दर्शन के बाद इन जगहों पर जाना नहीं भूले, यादगार रहेगी यात्रा

World Tourism Day 2023: राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू होने के बाद से अयोध्या में श्रद्धालुओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. ऐसे में पर्यटक रामलला विराजमान के दर्शन और राम मंदिर निर्माण स्थल को देखने के साथ अयोध्या में कई अन्य धार्मिक स्थलों का दर्शन कर सकते हैं. यहां आकर उन्हें अद्भुत एहसास होगा.

World Tourism Day 2023: अयोध्या में भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों को तेजी से अंतिम रूप दिया जा रहा है. जनवरी 2024 में इस भव्य आयोजन की पूरी दुनिया साक्षी बनेगी. इसके बाद अयोध्या पूरी दुनिया के रामभक्तों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होगी. इसके मद्देनजर यहां अभी से पूरी दुनिया से हर वर्ष करोड़ों श्रद्धालुओं के आगमन को लेकर होटल आदि अन्य सुविधाओं का तेजी से विकास किया जा रहा है. वहीं राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू होने के बाद से ही अयोध्या में श्रद्धालुओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. ऐसे में पर्यटक रामलला विराजमान के दर्शन और राम मंदिर निर्माण स्थल को देखने के साथ अयोध्या में कई अन्य धार्मिक स्थलों का दर्शन कर सकते हैं. यहां आकर उन्हें अद्भुत एहसास होगा. सरयू तट पर शाम के सुंदर दृश्य से लेकर कई अन्य धार्मिक और मनमोहक स्थल आपकी यात्रा का आनंद कई गुना बढ़ा देंगे. अयोध्या पहुंचने के लिए लखनऊ सबसे आसान और सुविधाजनक स्थान है, जो देश के सभी प्रमुख स्थानों से रेल, सड़क ओर हवाई मार्ग से जुड़ा है. इसके अलावा यात्री विभिन्न ट्रेनों और बस से सीधे अयोध्या पहुंच सकते हैं.

हनुमान गढ़ी: कोतवाल के रूप में अयोध्या की रक्षा करते हैं पवनपुत्र

पवनपुत्र हनुमान को समर्पित यह मंदिर अयोध्या रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर दूरी पर स्थित है, इस मंदिर का निर्माण विक्रमादिय द्वारा करवाया गया था, जो आज हनुमानगढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है. मान्यता है कि पवनपुत्र हनुमान यहां रहते हुए कोतवाल के रूप में अयोध्या की रक्षा करते हैं. राम मंदिर जाने से पहले भगवान हनुमान मंदिर के दर्शन करने चाहिए. मंदिर में हनुमान की मां अंजनी रहती हैं, जिसमें युवा हनुमान जी उनकी गोद में बैठे हैं. हनुमान जी का ये मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है. आपको 76 सीढ़ियां चढ़कर जाना होगा. इस मंदिर की एक खासियत ये भी है कि यहां पर लंका से जीत के बाद लाए गए निशान भी रखे गए हैं. मंदिर में एक खास ‘हनुमान निशान’ है, जो करीब चार मीटर चौड़ा और आठ मीटर लंबा ध्वज है.

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राम की पैड़ी: सरयू नदी में स्नान कर पुण्य का लें लाभ, मन मोह लेगा सुंदर दृश्य

सरयू नदी के तट पर राम की पैड़ी घाटों की एक श्रृंखला है. भक्तों की यह मान्यता है कि यहां सरयू नदी में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. नदी का किनारा विशेष कर रात के दूधिया प्रकाश में एक मन को मोहने वाला दृश्य प्रस्तुत करता है. इस घाट पर श्रद्धालु पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाने आते हैं.

त्रेता के ठाकुर: काले राम के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध

अयोध्या के नया घाट के पास स्थित, त्रेता के ठाकुर मंदिर में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, भरत और सुग्रीव सहित कई मूर्तियां हैं. इन मूर्तियों को एक ही काले बलुआ पत्थर से तराशा गया है. यह काले राम के मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है. ये मूर्तियां राजा विक्रमादित्य के युग की हैं. ऐसा कहा जाता है कि यह संरचना भगवान राम के किए गए प्रसिद्ध अश्वमेध यज्ञ की उसी जमीन पर स्थित है. 1700 के दशक में उस समय की मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा मंदिर को फिर से एक नया रूप दिया गया था. यह वर्ष में केवल एक बार एकादशी के रूप में चिह्नित दिन पर जनता के लिए खुला रहता है.

छोटी छावनी भवन जाने में होगा अद्भुत एहसास

वाल्मीकि भवन या मणिरामदास छावनी के रूप में भी जाना जाने वाला छोटी छावनी भवन, अयोध्या में एक शानदार संरचना है, जिसे पूरी तरह से सफेद संगमरमर से तैयार किया गया है. सुंदरता से भरपूर यह जगह निश्चित रूप से देखने लायक है. छोटी छावनी की गुफाओं की संख्या 34 हैं, दक्षिण में 12 बौद्ध हैं, केंद्र में 17 हिंदू हैं और उत्तर में 5 जैन हैं, इसलिए यह एक महत्वपूर्ण और विस्तृत स्थापत्य प्रतिभा है.

छोटी देवकाली मंदिर: सीता माता से जुड़ी है मान्यता

नया घाट के निकट स्थित यह मंदिर हिंदू महाकाव्य महाभारत की अनेक दंतकथाओं से संबंधित है. मान्यता है कि माता सीता अयोध्या में भगवान राम के साथ अपने विवाहोपरांत देवी गिरिजा की मूर्ति के साथ आईं थीं. ऐसा विश्वास किया जाता है कि राजा दशरथ ने एक सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया तथा इस मूर्ति को मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित किया था. माता सीता यहां प्रतिदिन पूजा करती थीं. वर्तमान में यह देवी देवकाली को समर्पित है और इसी कारण इसका यह नाम पड़ा.

मणि पर्वत: संजीवनी बूटी से जुड़ी है मान्यता

ऐसा विश्वास किया जाता है कि हनुमान जी घायल लक्ष्मण के उपचार के लिए संजीवनी बूटी के साथ विशाल पर्वत को उठा कर लंका ले जा रहे थे, तो रास्ते में इसका कुछ भाग गिर गया. इससे निर्मित पहाड़ी जो 65 फीट ऊंची है, मणि पर्वत के नाम से जाती जाती है.

बेहद खास है तुलसी स्मारक भवन

माना जाता है कि 16वीं सदी के संत-कवि गोस्वामी तुलसीदास की स्मृति में स्थापित तुलसी स्मारक भवन वह स्थान है, जहां तुलसीदास ने रामचरित की रचना की थी. इस परिसर में अयोध्या शोध संस्थान भी स्थित है, जिसमें गोस्वामी तुलसीदास की रचित रचनाओं का संकलन है. इसका उपयोग अयोध्या के बारे में साहित्यिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जानकारी के अध्ययन और महत्व को जोड़ने के लिए किया जाता है. केंद्र रामायण कला और शिल्प को भी प्रदर्शित करता है और इसमें रामकथा का रोजाना पाठ भी होता है.

गुप्तार घाट: भगवान राम ने ली थी जल समाधि

सरयू नदी के किनारे स्थित यह वह स्थान है, जहां भगवान राम ने जल समाधि ली थी. इसके बाद, उन्होंने बैकुंठ प्राप्त किया और भगवान विष्णु के अवतार के रूप में स्वर्ग में उतरे. राजा दर्शन सिंह ने इसे 19वीं शताब्दी के पहले चरण में निर्मित करवाया था. यहां घाट पर राम जानकी मंदिर, पुराना चरण पादुका मंदिर, नरसिंह मंदिर तथा हनुमान मंदिर का दर्शन किया जा सकता है.

बहू बेगम का मकबरा: शहर के विहंगम दृश्य का लें नजारा

बहू बेगम का मकबरा पूर्व का ताजमहल के रूप में लोकप्रिय है. नवाब शुजा-उद-दौला की पत्नी और रानी दुल्हन बेगम उन्मतुजोहरा बानो को समर्पित मकबरा यहां का सबसे ऊंचा स्मारक है और अपनी गैर-मुगल स्थापत्य प्रतिभा के लिए प्रसिद्ध है. इसके ऊपरी भाग से पूरे शहर का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है. ये अवधी वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है. बहू बेगम के मकबरे में तीन गुंबद हैं. इसमें बेहद खास तरीके से डिजाइन किए गए आंतरिक भाग और अद्भुत तरीके से बनाई गई दीवारें और छत हैं. ये परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत एक संरक्षित स्थल है. परिसर के सामने के बगीचों को खूबसूरती से बनाया गया है. यह स्थान एक उत्कृष्ट पर्यटन स्थल है.

दंतधावन कुंड: भगवान राम से जुड़ी है मान्यता

हनुमानगढ़ी के पास ही दंतधावन कुंड मौजूद है. इस जगह को राम दतौन भी कहते हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीराम इसी कुंड के पानी से अपने दांत साफ करते थे. अगर आप अयोध्या जा रहे हैं, तो इस कुंड को भी जरूर देखने जाएं.

सरयू नदी: दीपोत्सव में अद्भुत होता है नजारा

सरयू नदी का उल्लेख प्राचीन हिन्दू ग्रंथों जैसे वेद और रामायण में मिलता है. विभिन्न धार्मिक अवसरों पर यहां श्रद्धालु वर्ष भर इस नदी में आस्था की डुबकी लगाने के लिए आते हैं. ऐसा माना जाता है कि सरयू नदी में स्नान करने से भगवान श्री राम का भी आशीर्वाद मिलता है. दीपोत्सव पर यहां का नजारा देखने लायक होता है.

अयोध्या कैसे पहुंचें

हवाई मार्ग: लखनऊ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है, जो अयोध्या से 152 किलोमीटर दूर है. वहीं गोरखपुर हवाई अड्डे से अयोध्या लगभग 158 किलोमीटर, प्रयागराज हवाई अड्डे से 172 किलोमीटर और वाराणसी हवाई अड्डे से 224 किलोमीटर दूर है.

रेल मार्ग: अयोध्या जिले का प्रमुख रेलवे स्टेशन लगभग सभी प्रमुख महानगरों एवं नगरों से अच्छी तरह जुड़ा है. रेल मार्ग के जरिए लखनऊ से 128 किमी, गोरखपुर से 171 किमी, प्रयागराज से 157 किमी और वाराणसी से 196 किमी है. अयोध्या रेल मार्ग द्वारा लखनऊ से 135 किमी, गोरखपुर से 164 किमी, प्रयागराज से 164 किमी एवं वाराणासी से 189 किमी है.

सड़क मार्ग: उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की सेवा 24 घंटे उपलब्ध हैं. सभी छोटे बड़े स्थान से यहां पहुंचना बहुत आसान है. अयोध्या बस मार्ग के जरिए लखनऊ से 172 किमी, गोरखपुर से 138 किमी, प्रयागराज से 192 किमी और वाराणसी से 244 किमी की दूरी पर है.

Sanjay Singh
Sanjay Singh
working in media since 2003. specialization in political stories, documentary script, feature writing.

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