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सुखाड़ग्रस्त गढ़वा में खुले 35 धान क्रय केंद्र, 33 किसानों ने ही बेचा धान, यहां बेचने से क्यों कर रहे परहेज ?

बताया जा रहा है कि सुखाड़ग्रस्त गढ़वा जिले में धान की इतनी भी कम पैदावार नहीं हुयी है कि 50 हजार क्विंटल धान क्रय केंद्रों तक नहीं पहुंच सकें, लेकिन कई कारणों की वजह से किसान क्रय केंद्रों तक नहीं पहुंच रहे हैं. उल्लेखनीय है कि इस बार गढ़वा जिले के 35 पैक्सों को धान क्रय करने की अनुमति दी गयी थी.

गढ़वा, पीयूष तिवारी. गढ़वा जिले में खोले गये 35 धान क्रय केंद्र मात्र 1754 क्विंटल धान खरीदने में हांफने लगे हैं. क्रय केंद्र खुलने के 25 दिन हो गये, लेकिन अभी तक मात्र 33 किसानों ने ही धान बेचा है, जबकि धान बेचने के लिये 4071 किसानों को मोबाइल पर मैसेज भेजे गये थे. शनिवार चार फरवरी तक के आंकड़ों के अनुसार मात्र 1754.40 किसानों ने ही धान को क्रय केंद्र में पहुंचाया. इस वजह से जिले के 35 में से 32 क्रय केंद्र समय से पहले ही बंद होने की कगार पर पहुंच गये हैं, जबकि धान का क्रय करने के लिये 31 मार्च तक का समय निर्धारित है. अभी जिले में मात्र पीपरडीह, सिदुरिया एवं सिसरी पैक्स ही सक्रिय है.

35 पैक्सों को धान क्रय करने की मिली थी अनुमति

बताया जा रहा है कि सुखाड़ग्रस्त गढ़वा जिले में धान की इतनी भी कम पैदावार नहीं हुयी है कि 50 हजार क्विंटल धान क्रय केंद्रों तक नहीं पहुंच सकें, लेकिन कई कारणों की वजह से किसान क्रय केंद्रों तक नहीं पहुंच रहे हैं. उल्लेखनीय है कि इस बार गढ़वा जिले के 35 पैक्सों को धान क्रय करने की अनुमति दी गयी थी. गढ़वा जिले में इस बार 50 हजार क्विंटल धान खरीद का लक्ष्य रखा गया था. प्रत्येक क्रय केंद्रों को अधिकतम 1500 क्विंटल धान खरीदने का निर्देश दिया गया था.

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धान क्रय केंद्र तक क्यों नहीं पहुंच रहे हैं धान

किसान सुरेंद्र यादव, मुरली श्याम, माधव सिंह आदि ने बताया कि धान की खरीद पर राज्य सरकार बोनस नहीं दे रही है. इस वजह से जिस धान का मूल्य उन्हें 22 रुपये प्रतिकिलो से ज्यादा मिलना चाहिये था, वह मात्र 20.50 रुपये प्रतिकिलो ही तीन सालों से मिलता आ रहा है. इसी तरह सुखाड़ग्रस्त क्षेत्र होने की वजह से जो भी थोड़ा बहुत धान की यहां उपज हुयी है, उसे लेने के लिये बिचौलियों एवं व्यवसायियों में मारामारी हो रही है. व्यवसायी दुकान में 18.50 रुपये प्रतिकलो की दर से धान खरीद ले रहे हैं, जबकि 17 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से घर से ही धान उठा ले रहे हैं. इसके बदले उन्हें नकद पैसे तुरंत मिल जा रहे हैं, जबकि वे यदि धान क्रय केंद्र पैक्स में धान दें, तो कब पैसे मिलेंगे, यह तय नहीं है.

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सूखा राहत की राशि नहीं मिलने का भय

सरकार दो दिन में पैसे देने की घोषणा करती है, लेकिन छह-सात महीने लगा देती है, जबकि किसान दीपक ठाकुर का कहना है कि सुखाड़ राहत योजना की वजह से भी किसान धान की बिक्री सरकारी दर पर पैक्सों में नहीं कर रहे हैं, उन्हें डर है कि यदि वे धान की बिक्री कर देंगे, तो उन्हें सूखा राहत की राशि नहीं मिलेगी. इसलिये जिन लोगों ने सूखा राहत की राशि ले ली है, वैसे किसान अब धान की बिक्री से परहेज कर रहे हैं.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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