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Achinta Sheuli: बंगाल के लाल का कॉमनवेल्थ में धमाल, अचिंता शेउली के गोल्ड जीतने पर गांव में जश्न का माहौल

अचिंता शेउली ने स्नैच में 143 किलो वजन उठाया. यह कॉमनवेल्थ गेम्स का नया रिकॉर्ड है. उन्होंने क्लीन एंड जर्क के पहले प्रयास में 166 किलो वजन उठाया. इसमें विफल होने के बाद तीसरे प्रयास में अचिंता शेउली ने 170 किलो वजन उठाया.

बर्मिंघम में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को तीसरा गोल्ड मेडल मिला है. यह मेडल भी वेटलिफ्टिंग में ही आया. 73 किलोग्राम भार वर्ग में ग्रामीण हावड़ा के पांचला थाना अंतर्गत देऊलपुर के रहने वाले 20 साल के अचिंता शेउली (Achinta Sheuli) ने स्वर्ण पदक जीत कर देश का मान बढ़ाया है.

अचिंता शेउली ने कॉमनवेल्थ में बनाया रिकॉर्ड

अचिंता शेउली ने स्नैच में 143 किलो वजन उठाया. यह कॉमनवेल्थ गेम्स का नया रिकॉर्ड है. उन्होंने क्लीन एंड जर्क के पहले प्रयास में 166 किलो वजन उठाया. इसमें विफल होने के बाद तीसरे प्रयास में अचिंता शेउली ने 170 किलो वजन उठाया. इस प्रकार अचिंता शेउली ने कुल 313 (170+143) किलो वजन उठा कर कॉमनवेल्थ गेम्स में एक नया रिकॉर्ड बनाया.

Also Read: Achinta Sheuli: 11 की उम्र में पिता का निधन, सिलाई कर मां ने बनाया वेटलिफ्टर, ऐसा रहा गोल्ड तक का सफर

अचिंता शेउली के गांव में जश्न का माहौल

अचिंता की इस उपलब्धि के बाद उसके गांव-घर में खुशी का जबरदस्त माहौल है. घरवाले मिठाइयां खा-खिला कर खुशी का इजहार कर रहे हैं. उसके घर पर उमड़ रही ग्रामीणों की भीड़ देखने लायक है. देऊलपुर के इस सपूत की उपलब्धि पर पूरा गांव मानो जश्न में डूबा है.

अचिंता शेउली के भाई ने आलोक सुनायी संघर्ष की कहानी

अचिंता शेउली के बड़े भाई आलोक शेउली ने बताया कि उनके भाई के इस मुकाम तक पहुंचने में काफी संघर्ष करना पड़ा है. आलोक ने बताया कि इनके पिता की मौत महज 38 साल की उम्र में हो गयी थी. आर्थिक तंगी का आलम यह था कि उनके अंतिम संस्कार के लिए भी साधन जुटा पाना संभव नहीं हो पा रहा था. तब गांववालों के सहयोग से ही पिता का अंतिम संस्कार संपन्न हो सका था. उस समय अचिंत्य मात्र 11 वर्ष का था. उसने वेटलिफ्टिंग की प्रैक्टिस शुरू ही की थी कि पिता का साया सर से उठ गया था. घर चलाने के लिए खेतों में काम करना पड़ा था. ट्रकों पर लोडिंग-अनलोडिंग का भी काम किया. बहुत संघर्ष करके भाई को पढ़ाया और वेटलिफ्टिंग का प्रशिक्षण दिलाया. दरअसल वह दौर अत्यंत कड़े संघर्ष का था. भारी चुनौतियों के बीच. अचिंता शेउली के बड़े भाई आलोक ने बताया कि उनका भाई बहुत लगन से ट्रेनिंग करता था. उन्होंने कहा कि अब हमारा सपना है कि अचिंत्य ओलंपिक में भी पदक जीत कर देश का नाम रौशन करे.

मां ने बंगाल सरकार पर लगाया अनदेखी का आरोप

अचिंता शेउली की मां पूर्णिमा शेवली ने कहा कि उनके बेटे ने कॉमनवेल्थ गेम्स में देश के लिए सोना जीता है. बेटे की इस उपलब्धि से वह बहुत खुश हैं, लेकिन उन्हें इस बात का अफसोस है कि राज्य सरकार को यह पता ही नहीं है कि इसी राज्य का एक लड़का यह सब करने में कामयाब हुआ है. उन्होंने कहा कि 2019 में राज्य सरकार की ओर से मामूली मदद मिली थी. इसके बाद फिर कभी नहीं. उनके बेटे के कोच अष्टम दास ने बताया कि शुरू से ही अचिंता शेउली की वेटलिफ्टिंग में काफी रुचि थी. कोच श्री दास ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास था कि उनका छात्र अवश्य ही सोना जीतेगा. उन्होंनेे कहा, ‘कड़ी मेहनत और लगन के कारण ही अचिंता शेउली ने यह मुकाम हासिल किया है.’

बंगाल से कुंदन झा की रिपोर्ट

Prabhat Khabar Digital Desk
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