28.7 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

एआइ और नौकरियां

भारत में जब पिछली सदी में 80 और 90 के दशक में कंप्यूटर के इस्तेमाल ने जोर पकड़ा था, तो यह चिंता जतायी गयी थी कि कंप्यूटर नौकरियां छीन लेंगे.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआइ के इस्तेमाल को लेकर जतायी जाने वाली चिंताओं में सबसे बड़ी चिंता नौकरियों को लेकर है. ऐसी आशंका जतायी जाती है कि एआइ के आने से लोगों की नौकरियां चली जायेंगी. इंसानों का काम एआइ कर देगा. चिंता सारी दुनिया में है, मगर भारत जैसे देश में यह चिंता कुछ और ज्यादा है. भारत में पहले से ही बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा रही है. ऐसे में यदि एआइ ने लोगों की नौकरियां खानी शुरू कर दीं, तो समस्या और विकट हो जायेगी, मगर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इन तमाम चिंताओं को खारिज करते हुए इन्हें ‘बकवास’ बताया है. उन्होंने दलील दी है कि 1999 के वर्ष में भी वाइ2के को लेकर नौकरियों के बारे में इसी तरह का डर दिखाया गया था.

केंद्रीय मंत्री ने जिस पुरानी घटना का जिक्र किया है, वह पिछली सदी के आखिरी वर्ष में एक चर्चित मुद्दा था. तब चिंता जतायी जा रही थी कि 31 दिसंबर, 1999 के बाद जब नयी सदी, वर्ष 2000 यानी वाइ2के, शुरू होगी, तो तकनीकी कारणों से बहुत सारे कंप्यूटर चलना बंद कर देंगे, मगर यह डर निर्मूल साबित हुआ. इससे पहले भी, भारत में जब पिछली सदी में 80 और 90 के दशक में कंप्यूटर के इस्तेमाल ने जोर पकड़ा था, तो यह चिंता जतायी गयी थी कि कंप्यूटर नौकरियां छीन लेंगे, लेकिन पिछली सदी के जिस भारत में कंप्यूटर के इस्तेमाल को लेकर आशंकाएं थीं, आज सूचना प्रौद्योगिकी की दुनिया में उसी भारत का डंका बजता है. कंप्यूटर ने लोगों की दुनिया बदल दी है. इसने भारत में उन लोगों की जिंदगी को भी प्रभावित किया है, जो इसका विरोध करते थे. मशीनों के इस्तेमाल के समय भी कुछ ऐसी ही चिंता जतायी जाती थी. आजादी के दस साल बाद बनी क्लासिक फिल्म ‘नया दौर’ का विषय भी इंसान और मशीन के बीच का संघर्ष था.

परिवर्तन एक शाश्वत सत्य है, मगर उसका सीधे विरोध करने की जगह उस परिस्थिति को ठीक से समझना और उसके अनुकूल कदम उठाना चाहिए. दुनिया के सारे तकनीकी जानकारों की राय है कि एआइ तकनीक न केवल पैर जमायेगी, बल्कि आने वाले वर्षों में मजबूती से पैर फैलाती जायेगी. ऐसे में, दुनिया की दिग्गज बहुराष्ट्रीय कंपनियों से बड़ी तादाद में लोगों की नौकरियां जाने की खबरें आती हैं, तो उनसे चिंता होनी स्वाभाविक है. ऐसी चिंताओं को अतीत के उदाहरणों के आधार पर खारिज करना गलत नहीं है, लेकिन इसके साथ ही एआइ को लेकर एक स्पष्ट तस्वीर पेश की जानी चाहिए, ताकि बदलाव को भय और संदेह के बजाय आशा और चुनौती के साथ स्वीकार किया जा सके.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel