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Good News : आसनसोल रेल मंडल की अनूठी पहल ,ट्रेन की बेसिन और शौचालय में अब नहीं खत्म होगा पानी

आसनसोल रेल मंडल के अधिकारी ने बताया कि ट्रेन के स्टेशनों में ठहरने का समय कहीं दो मिनट तो कहीं पांच मिनट होता है. इसलिए ट्रेनों में समस्या के निपटारे के लिए आधुनिक यंत्रों का इस्तेमाल हो रहा है.

आसनसोल, राम कुमार : लंबी दूरी की ट्रेनों में अक्सर यह शिकायत सुनने को मिलती है कि बेसिन या फिर शौचालय का पानी खत्म हो गया है. बेसिन का इस्तेमाल करने वाले यात्रियों को इसके बाद खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन रेल सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जल्द ही यह समस्या खत्म होने वाली है. आसनसोल रेल मंडल ( Asansol Railway Division) के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि अब सभी ट्रेनों के एलएचबी कोचेस में टॉयलेट की पानी की समस्या को दूर करने के लिए रेलवे ने एक आधुनिक यंत्र का उपयोग शुरू किया है.आइओटी आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम के माध्यम से पानी के समाप्त होने की समस्या पर काबू पाया जायेगा. यह मशीन ट्रेन की टंकी के पास लगायी जायेगी. जिससे यह पता चल सकेगा कि टंकी में कितना पानी है.

ट्रेनों में आइओटी आधारित मॉनटरिंग सिस्टम का होगा इस्तेमाल

मशीन के जरिये टंकी के पानी की मॉनिटरिग की जायेगी. कोच के टॉयलेट के करीब एक वाटर इंडिकेटर साइन बोर्ड लगाया जायेगा. उक्त साइन बोर्ड में तीन प्रकार की बत्तियां जलेंगी. हरी बत्ती का मतलब कि टंकी फुल है. पीली बत्ती जले तो इसका मतलब है कि पानी कुछ कम है. अगर लाल बत्ती जलती है तो इससे समझ में आ जायेगा कि टंकी का पूरा पानी ही खत्म हो गया है. इसकी जानकारी कोच अटेंडेंट की ओर से मोबाइल ऐप के माध्यम से कंट्रोल रूम को दी जायेगी. इसके बाद अगले स्टेशन पर रेलवे के कर्मचारी पहले तैयार रहेंगे. ट्रेन के पहुंचते ही टंकी को फिर से भर दिया जायेगा.

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आसनसोल में भी लंबे रूट की ट्रेन में लगेगा यह सिस्टम

आसनसोल रेल मंडल के अधिकारी ने बताया कि ट्रेन के स्टेशनों में ठहरने का समय कहीं दो मिनट तो कहीं पांच मिनट होता है. इसलिए ट्रेनों में समस्या के निपटारे के लिए आधुनिक यंत्रों का इस्तेमाल हो रहा है. रेल बोर्ड से अगर आदेश मिल जाता है तो आसनसोल मंडल में भी जल्द ही इस सिस्टम की शुरूआत कर दी जायेगी. मंडल में लंबी रूट की महत्वपूर्ण ट्रेनें हैं. पहले ट्रेनों में पानी की समस्या होने पर यात्रियों को काफी भुगतना पड़ता था. ट्रेन की टंकी में कितना पानी है इसकी जानकारी किसी को नहीं होती थी. पानी खत्म हो जाने से बच्चों और बुजुर्गों को और अधिक समस्या होती है. कई बार ट्विटर के माध्यम से लोग इसकी शिकायत करते हैं. अब इस नयी प्रणाली का ट्रायल शुरू हो रहा है. सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही इसे लागू किया जायेगा.

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Shinki Singh
Shinki Singh
10 साल से ज्यादा के पत्रकारिता अनुभव के साथ मैंने अपने करियर की शुरुआत Sanmarg से की जहां 7 साल तक फील्ड रिपोर्टिंग, डेस्क की जिम्मेदारियां संभालने के साथ-साथ महिलाओं से जुड़े मुद्दों और राजनीति पर लगातार लिखा. इस दौरान मुझे एंकरिंग और वीडियो एडिटिंग का भी अच्छा अनुभव मिला. बाद में प्रभात खबर से जुड़ने के बाद मेरा फोकस हार्ड न्यूज पर ज्यादा रहा. वहीं लाइफस्टाइल जर्नलिज्म में भी काम करने का मौका मिला और यह मेरे लिये काफी दिलचस्प है. मैं हर खबर के साथ कुछ नया सीखने और खुद को लगातार बेहतर बनाने में यकीन रखती हूं.

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