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UP Election 2022: चुनाव करीब देख बामसेफ को बदनाम करने की साजिश? चंदा वसूली करने से जिला संयोजक नाराज

बामसेफ के नाम पर सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ ही कारोबारियों से चंदा वसूली शुरू हो गई है. जिसके चलते बामसेफ के जिला संयोजक सुशील कुमार निगम ने नाराजगी जताई है.

Bareilly News: उत्तर प्रदेश के चुनाव करीब आते ही बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्प्लाई फेडरेशन (बामसेफ) को बदनाम करने की साजिश शुरू हो गई है. बामसेफ के नाम पर सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ ही कारोबारियों से चंदा वसूली शुरू हो गई है. जिसके चलते बामसेफ के जिला संयोजक सुशील कुमार निगम ने नाराजगी जताई है. उन्होंने पार्टी से जुड़े सोशल मीडिया ग्रुप पर ऐसे लोगों से सावधान रहने को कहा है. इसके साथ ही ऐसा नहीं करने की सलाह दी है.

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को यूपी की सत्ता तक पहुंचाने में बामसेफ की मुख्य भूमिका रही. यह संगठन भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तरह काम करता था. लेकिन, बसपा के 2007 में सत्ता में आने के बाद बामसेफ निष्क्रिय हो गया था. इसका जिस मकसद से गठन किया गया, उस पर काम नहीं किया जा रहा था. विधानसभा चुनाव के करीब आते ही बामसेफ को एक बार फिर जिम्मेदारी दी गई है.

बरेली में बामेसफ को बदनाम करने के लिए अधिकारियों, कर्मचारियों और कारोबारियों से चंदा वसूली जा रही है. साथ ही कुछ लोग अधिकारियों और रियल एस्टेट के कारोबारियों से बामसेफ की मजबूती के नाम पर लंबे समय से वसूली कर रहे हैं. इस बार शिकायत आने पर बामेसफ के जिला संयोजक सुशील कुमार निगम ने नाराजगी जताई है. उन्होंने वॉट्सएप ग्रुप पर ऐसा कृत्य नहीं करने की चेतावनी दी है. हालांकि, इस बात का कुछ लोगों को बुरा भी लगा है. मगर, जिले में चर्चाएं शुरू हो गई है.

काशीराम ने 58 साल पहले की थी स्थापना

बामसेफ की स्‍थापना साल 1973 में कांशीराम और डीके खरपडे ने की थी. कांशीराम ने दलितों को एकजुट करने, अत्याचारों का प्रतिरोध करने और उन्हें समाज में न्यायोचित स्थान दिलाने के लिए जोरदार ढंग से बामसेफ के माध्यम से प्रेरित किया था. आगे चलकर 14 अप्रैल 1984 को बसपा का गठन किया गया था.

ऐसे बनाई गई बामसेफ, छुट्टी को लेकर गठन

राजस्थान के जयपुर में दीनाभाना पुणे की गोला बारूद फैक्ट्री में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में काम करते थे. वो एससी, एसटी वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़े हुए थे. उन्होंने अंबेडकर जयंती पर छुट्टी ना होने को लेकर हंगामा किया. जिसके चलते उन्हें सस्पेंड कर दिया गया. उनका साथ देने वाले डीके खारपडे को भी सस्पेंड किया गया. यहां कांशीराम क्लास वन अधिकारी के रूप में काम कर रहे थे. जब उन्हें पता चला तो काशीराम ने कहा कि डॉ. अंबेडकर की जयंती पर छुट्टी नहीं देने वाले की जब तक छुट्टी ना कर दूं, चैन से नहीं बैठ सकता. इसके बाद बामसेफ का गठन किया गया था.

बामसेफ का मकसद, बसपा के लिए वोट जोड़ना

बामसेफ को दलित कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए काम करने को ध्यान में रखकर बनाया गया था. कांशीराम के दौर तक इस संगठन ने बसपा के लिए वैसा ही काम किया जैसा भाजपा के लिए आरएसएस करती है. लेकिन, उसके बाद बामसेफ को बदनाम और नुकसान पहुंचाने की कवायद शुरू हो गई.

(रिपोर्ट:- मुहम्मद साजिद, बरेली)

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Prabhat Khabar News Desk
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