यूनेस्को से 2008 में जहां कोलकाता के ट्राम को विश्व धरोहर का दर्जा मिला. वहीं, 2018 में कोलकाता की दुर्गापूजा को भी सांस्कृतिक विरासत का दर्जा प्रदान किया गया. अब यह संयोग ही है कि इस दोनों ही विरासत को एकाकार कर मां दुर्गा को 150 वर्ष पुराने ट्राम ‘चैताली’ के अंदर विराजमान किया गया है. यह पहल कोलकाता की एक एनजीओ ‘सिड्ज फाउंडेशन’ ने की है. यह एनजीओ कोलकाता के ट्रांससेक्सुअल लोगों के कल्याण के लिए कार्य करती है. ट्रांससेक्सुअल लोगों ने ही ट्राम के अंदर और बाहर की सजावट की है. सादे रंग की पोशाक व आभूषणों से सजी मां दुर्गा की प्रतिमा को ट्राम के अंदर प्रतिष्ठापित किया गया है. पांच फुट ऊंची यह प्रतिमा बंगाल की पारंपरिक दुर्गा प्रतिमा है. प्रतिमा में 16वीं सदी की मूर्ति शिल्प कला की स्पष्ट छाप दिखायी देती है. मां दुर्गा प्रतिमा के साथ गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती, कार्तिकेय और महिषासुर भी हैं.
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Video : कोलकाता में 150 वर्ष पुराने ट्राम में विराजीं मां दुर्गा
ट्रांससेक्सुअल लोगों ने ही ट्राम के अंदर और बाहर की सजावट की है. सादे रंग की पोशाक व आभूषणों से सजी मां दुर्गा की प्रतिमा को ट्राम के अंदर प्रतिष्ठापित किया गया है. पांच फुट ऊंची यह प्रतिमा बंगाल की पारंपरिक दुर्गा प्रतिमा है.
By Shinki Singh
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Shinki Singh
10 साल से ज्यादा के पत्रकारिता अनुभव के साथ मैंने अपने करियर की शुरुआत Sanmarg से की जहां 7 साल तक फील्ड रिपोर्टिंग, डेस्क की जिम्मेदारियां संभालने के साथ-साथ महिलाओं से जुड़े मुद्दों और राजनीति पर लगातार लिखा. इस दौरान मुझे एंकरिंग और वीडियो एडिटिंग का भी अच्छा अनुभव मिला.
बाद में प्रभात खबर से जुड़ने के बाद मेरा फोकस हार्ड न्यूज पर ज्यादा रहा. वहीं लाइफस्टाइल जर्नलिज्म में भी काम करने का मौका मिला और यह मेरे लिये काफी दिलचस्प है. मैं हर खबर के साथ कुछ नया सीखने और खुद को लगातार बेहतर बनाने में यकीन रखती हूं.
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