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Bhai Dooj 2023: क्यों मनाते हैं भाई दूज का पर्व? कब और कैसे हुई थी इस त्योहार की शुरुआत, जानें पौराणिक कथा

Bhai dooj 2023: दिवाली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है, इस साल भाई दूज 15 नवंबर के दिन है. भाई दूज के दिन बहनें भाइयों का रोली से टीका करती हैं और मौली बांधती हैं और भाई को मिठाई खिलाकर उन्हें नारियल देती हैं.

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इस साल भाई दूज 15 नवंबर के दिन पड़ रहा है. इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं और साथ ही व्रत भी करती हैं, जिस तरह रक्षाबंधन पर बहनें भाई की कलाई पर धागा बांधती है उसी तरह, भाई दूज के दिन भी बहनें भाइयों का रोली से टीका करती हैं और मौली बांधती हैं. इसके बाद भाई को मिठाई खिलाकर उन्हें नारियल देती हैं.

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गोवर्धन पूजा तिथि और शुभ समय

आज सोमवार को भी अमावस्या दोपहर के 2 बजकर 57 मिनट तक है. उसके बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रारंभ होगा. 14 नवंबर को प्रतिपदा तिथि 2 बजकर 37 मिनट तक रहेगी. गोवर्धन पूजा सूर्योदय कालीन प्रतिपदा तिथि में मनाई जाती है, इसलिए गोवर्धन पूजा, अन्नकूट पूजन 14 नवंबर को मनाई जाएगी. वहीं पंचांग के अनुसार भैया दूज 15 नवंबर को मनाना शुभ रहेगा. चित्रगुप्त पूजा, लेखनी पूजा, दावत पूजा, यमुना स्नान आदि 15 नवंबर को मनाने का मुहूर्त है.

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क्यों मनाया जाता है भाई दूज?

भाई दूज पर भाई को तिलक करने के बाद भोजन कराने की धार्मिक मान्यता है, जो बहन पूरी श्रद्धा और आदर के साथ तिलक और भोजन कराती है और जो भाई अपनी बहन का आतिथ्य स्वीकार करता है, उनकी सारी इच्छाएं पूरी होती हैं, इसके साथ ही यमराज का भय नहीं रहता है.

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भाई दूज की धार्मिक मान्यताएं

धार्मिक मान्यता है कि यदि कोई भाई बहन के घर जाकर भोजन करता है तो वह अकाल मृत्यु से बच सकता हैं, जो भी भाई बहन यह पर्व पूरे विधि विधान से मनाते हैं तो उनकी किसी दुर्घटना में मृत्यु होने की संभावना बहुत कम हो जाती है. भाई दूज मनाने से बहनों-भाईयों को सुख-समृद्धि, संपत्ति और धन की प्राप्ति होती है.

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भाई दूज की पौराणिक कथा

कथा के अनुसार, भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा की दो संतान थीं, जिसमें बेटा यमराज और बेटी यमुना थी. यम पापियों को दंड देते थे. यमुना मन की निर्मल थीं और उन्हें लोगों परेशानी देख दुख होता था, इसलिए वे गोलोक में रहती थीं. एक दिन जब बहन यमुना ने भाई यमराज को गोलोक में भोजन के लिए बुलाया तो बहन के घर जाने से पहले यम ने नरक के निवासियों को मुक्त कर दिया था.

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भाई दूज की दूसरी पौराणिक कथा

वहीं दूसरी कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण राक्षस नरकासुर का हराने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गये थे, तभी से इस दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि सुभद्रा की तरह भाई के माथे पर तिलक लगाकर सत्कार करने से भाई बहन के बीच प्रेम बढ़ता है.

Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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