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लॉकडाउन : मां का अंतिम संस्कार करने दिल्ली से पहुंचा बेटा, दुख की घड़ी में मिला कंपनी का साथ

कोरोना वायरस के रूप में देश व दुनिया में फैली महामारी का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इस महामारी को फैलने से रोकने के लिये भारत में भी सामाजिक मेलजोल से दूर रहने के बारे में कई दिशानिर्देश जारी किये गये हैं और लोग इनका पालन करने की भी पूरी कोशिश कर रहे हैं.

गोपालगंज : कोरोना वायरस के रूप में देश व दुनिया में फैली महामारी का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इस महामारी को फैलने से रोकने के लिये भारत में भी सामाजिक मेलजोल से दूर रहने के बारे में कई दिशानिर्देश जारी किये गये हैं और लोग इनका पालन करने की भी पूरी कोशिश कर रहे हैं. इसी कड़ी में कई लोग अंतिम समय में अपने परिजनों को अलविदा तक कहने को तरस गये हैं तथा अंत्येष्टि तक में शामिल नहीं हो पा रहे हैं. हालांकि, ऐसे मुश्किल समय में कुछ लोग किसी भी तरह से अपनों के बीच पहुंच पाने में कामयाब हो पा रहे है. ऐसा ही मामला बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित चेक पोस्ट पर भी देखने को मिला.

मां की मौत की खबर मिलते ही दिल्ली में काम करने वाला बेटा बेचैन हो उठा

दरअसल, बेटे के आने की राह मां का शव दो दिनों से देख रहा है. मां की मौत की खबर मिलने पर दिल्ली के रबर कंपनी में काम करने वाले भागलपुर के टीपू यादव बेचैन हो उठा. टीपू के कंपनी वालों ने भी मानवता दिखायी और गुरुवार की सुबह तीन बजे कार उपलब्ध कराया.

कार से पहुंचा बॉर्डर, चेक पोस्ट पर बयां की अपनी परेशानी

लॉकडाउन के बीच कार से टीपू अपने गांव भागलपुर जाने के लिए बलथरी चेकपोस्ट पहुंचा तो नियमों का पालन कराने में आधे घंटे का वक्त लग गया. उसके बताने पर चेक पोस्ट पर कर्मियों ने पहले उसका इंट्री कर कोरम पूरा किया उसे रवाना कर दिया.

चेक पोस्ट पर अधिकारियों ने भी किया सहयोग

टीपू ने बताया कि मां-बाप की इकलौती संतान है. मां राधिका देवी की मौत से पूरी तरह से टूट चुका हूं. पत्नी व बच्चे भी भागलपुर में ही रहते हैं. पिछले 12 वर्षों से दिल्ली के दिलशाद गार्डेन के पास रहकर गुरुग्राम की कंपनी में काम करते हैं. मां का अंतिम संस्कार करने का मौका मिल गया. रास्ते में तो कई जगह रोका गाया. लेकिन, बचते-बचाते जब बिहार में इंट्री लिए तो काफी राहत मिली. चेक पोस्ट पर अधिकारियों ने भी सहयोग किया.

पिता की तबीयत बिगड़ने की खबर मिलते ही जुगाड़ गाड़ी से पहुंचा चेक पोस्ट

उसी तरह दिल्ली एनसीआर छतरपुर के प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले पूर्णिया के रामेश्वर चौहान अपने साथियों के साथ तीन दिनों में जुगाड़ गाड़ी से चलकर चेक पोस्ट पहुंचे थे. लॉकडाउन के बाद उनके पिता रामानंद चौहान की तबीयत अचानक बिगड़ गयी. जब कुछ नहीं मिला तो साथी को तैयार कराये और जुगाड़ गाड़ी से चल पड़े. शुक्रवार को पहुंच कर अपने पिता की सेवा करने की उम्मीद लिए उनका कदम बढ़ता चला गया.

सोशल डिस्टेंसिंग का असर, दुख की घड़ी में चाह कर भी नहीं आ रहे पास

कोरोना वायरस के मद्देनजर देश में सामाजिक मेलजोल से दूरी का असर अंत्येष्टि पर भी दिख रहा है जहां दोस्त, रिश्तेदार या यहां तक कि पड़ोसी भी दुख की इस घड़ी में पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाने के लिये चाह कर भी पास नहीं आ रहे हैं. लोग अंत्येष्टि कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये शामिल हो रहे हैं. वहीं, गांव-देहात में प्रौद्योगिकी से वंचित लोग खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं.

Samir Kumar
Samir Kumar
More than 15 years of professional experience in the field of media industry after M.A. in Journalism From MCRPV Noida in 2005

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