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देवरिया और कुशीनगर में लंपी वायरस के चपेट में आए गोवंश, संक्रमण के रोकथाम के लिए अपनाए यह उपाए

गोरखपुर समेत देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज के साथी पूर्वांचल के कई जिलों में पशुओं में लंपी रोग का संक्रमण फैल रहा है. पशुपालन विभाग की ओर से लंबी संक्रमण से बचाव के लिए टीकाकरण कराया जा रहा है.

Gorakhpur: गोरखपुर समेत देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज के साथी पूर्वांचल के कई जिलों में पशुओं में लंपी रोग का संक्रमण फैल रहा है. पशुपालन विभाग की ओर से लंबी संक्रमण से बचाव के लिए टीकाकरण कराया जा रहा है. आज शनिवार को दूध कमिश्नर शशि भूषण लाल सुशील ने गांव में भ्रमण कर लंपी संक्रमण के प्रकोप के बारे में जानकारी ली है. इससे पहले दुग्ध कमिश्नर में अधिकारियों के साथ बात कर विभिन्न जानकारी भी ली है.

भारत सरकार के एनिमल हसबेंडरी डिपार्टमेंट के संयुक्त मारुति डॉक्टर विजय कुमार ने सोमवार को विकास भवन सभागार में रैपिड रिस्पांस टीम के साथ बैठक कर इसकी बचाव के लिए उनको आवश्यक दिशा निर्देश दिए थे. गोरखपुर मंडल के कुशीनगर और देवरिया जिले में लंपी रोग के संक्रमण अधिक है. जिले के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर जी के सिंह ने बताया कि लंपी संक्रमांक विषाणु जनित रोग है. यह स्वत ही ठीक हो जाता है. जिस तरह चेचक के लिए कोई दवा नहीं है ठीक इस प्रकार लंपी संक्रमण का भी हाल है.

लंपी रोग में साफ सफाई रखना बहुत ही जरूरी है. लंबी रोग से ग्रसित पशुओं को अन्य पशुओं से अलग रखना होता है. उन्होंने बताया कि इस रोग के संक्रमित पशु को इंजेक्शन कदापि न लगाएं मुंह से ही दवा दे. उन्होंने बताया कि इससे प्रभावित पशुओं को अच्छा चारा, दाना, पानी, लिवर टॉनिक और कैल्सियम दें. इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी. यदि पशु लंपी संक्रमण की चपेट में आए तो घबराने की जरूरत नहीं है. उन्होंने बताया कि इस रोग से पशुओं के मरने की दर बहुत ही कम है.

लंपी बीमारी एक संक्रामक रोग विषाणु जनित बीमारी है. इस बीमारी का फायदा पशुओं में मक्खी, चीचड़ी एवं मच्छरों के काटने से होता है. इस बीमारी से संक्रमित पशुओं में हल्का बुखार हो जाता है .पूरे शरीर पर जगह-जगह गांठ उभर जाती है. इस बीमारी से ग्रसित पशुओं की मृत्यु दर अनुमान से एक से पांच प्रतिशत होता है.

जिले में लंपी रोग के लक्षण वाले पशुओं की संख्या 252 है. इनमें से 97 पशु ठीक हो गए हैं. 155 पशुओं का उपचार चल रहा है. वहीं जिले में अब तक 25 हजार टीके पशुओं को लगाए जा चुके हैं. 50 हजार टीके और मिले है. डेढ़ लाख टिकों की और मांग की गई है.

लंपी रोग के लक्षण

  • पशुओं के शरीर का तापमान 106 डिग्री फॉरेनहाइट होना.

  • पशुओं को कम भूख लगना.

  • पशुओं के पैरों में सूजन लंगड़ापन नर पशु में काम करने की क्षमता कम हो जाना.

  • पशुओं के चेहरे, गर्दन,थूथुन, पलको समेत पूरे शरीर में गोल उभरी हुई गांठे.

लंपी रोग से बचाव

संक्रमण से बचने के लिए पशुओं को आंवला, अश्वगंधा, गिलोय एवं मुलेठी में से किसी एक को 20 ग्राम की मात्रा में गुण में मिलाकर सुबह-शाम लड्डू बनाकर खिलाएं. तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी, दालचीनी 5 ग्राम, सौंठ पाउडर 5 ग्राम, काली मिर्च 10 नग को गुण में मिलाकर सुबह शाम खिलाए.

संक्रमण रोकने के लिए पशु बाड़े में गोबर के कडे में गूगल, कपूर, नीम के सूखे पत्ते लोबान को डालकर सुबह शाम दुआ करें. पशुओं के स्नान के लिए 25 लीटर पानी में एक मुट्ठी नीम की पट्टी का पेस्ट एवं 100 ग्राम फिटकरी मिलाकर प्रयोग करें घोल के स्नान के बाद सादे पानी से नहलाए.

लंपी रोग का इलाज

अगर कोई पशु लंपी रोग से संक्रमित हो गया है तो उसे एक मुट्ठी नीम की पत्ती, तुलसी की पट्टी एक मुट्ठी, लहसुन की कली 10 नग, लौंग 10 कली, मिर्च 10 नग जीरा, 15 ग्राम हल्दी पाउडर, 10 ग्राम पान के पत्ते पांच नग, छोटे प्याज दो नगी पीसकर गुड में मिलाकर सुबह-शाम 10 से 15 दिन तक पिलाए.

किसी भी पशु के बीमार होने पर नजदीक के पशु चिकित्सालय पर संपर्क करके उसका उपचार करें. किसी भी दशा में बिना पशु चिकित्सक के परामर्श के कोई उपचार अपने आप से ना करें. लंपी स्किन बीमारी से बचाव हेतु पशुपालन के कर्मियों द्वारा अभियान चलाकर गोवंश पशुओं को टीका निशुल्क लगाया जा रहा है.

रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर

Prabhat Khabar News Desk
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