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डोपिंग पर लगे लगाम

डोपिंग के मामलों से भारत की छवि को पिछले कुछ वर्षों में गहरा धक्का लगा है. विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी या वाडा की डोपिंग नियमों को तोड़ने वाले देशों की लिस्ट में भारत पहली बार दूसरे नंबर पर पहुंच गया है.

भारत की राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी नाडा इंडिया ने खेलों में प्रतिबंधित पदार्थों के सेवन को रोकने के लिए दक्षिण एशिया क्षेत्रीय डोपिंग रोधी संगठन साराडो के साथ एक समझौता किया है. यह कदम भारतीय खेल पर छाये डोपिंग के संकट को दूर करने का एक और प्रयास है. चुनौती कितनी बड़ी है, इसका पता इसी बात से चलता है कि इसी सप्ताह भारत के पांच जूडो खिलाड़ियों के डोपिंग टेस्ट में नाकाम रहने की खबर आयी है. ये खिलाड़ी इसी वर्ष चीन के हांग्झू शहर में होने वाले एशियाई खेलों के लिए भारतीय जूडो टीम का हिस्सा हैं. इस वर्ष कई और एथलीटों के डोपिंग टेस्ट में नाकाम रहने की खबर आयी थी. इनमें भारत की सबसे तेज महिला धावक द्युति चंद, स्टार जिम्नास्ट दीपा करमाकर और दो बार की कॉमनवेल्थ पदक विजेता भारोत्तोलक संजीता चानू जैसे दिग्गज खिलाड़ियों के नाम शामिल हैं.

डोपिंग यानी प्रतिबंधित दवाओं के सेवन के मामलों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को पिछले कुछ वर्षों में गहरा धक्का लगा है. विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी या वाडा की डोपिंग नियमों को तोड़ने वाले देशों की लिस्ट में भारत पहली बार दूसरे नंबर पर पहुंच गया है. वर्ष 2020 में भारत में 59 मामले सामने आये. भारत से आगे केवल रूस था, जिसके 135 खिलाड़ी टेस्ट में नाकाम रहे. भारत में पिछले वर्ष राष्ट्रीय डोपिंग-रोधी कानून बनाया गया था. उस समय राज्यसभा में बहस के दौरान प्रख्यात पूर्व एथलीट और सांसद पीटी उषा ने अपने पहले भाषण में कहा था कि पहले डोपिंग की समस्या केवल राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धाओं तक सीमित थी, मगर अब जूनियर, कॉलेज और जिला स्तर के खेल भी इसकी चपेट में आ गये हैं.

दरअसल, किसी भी खेल की सबसे बड़ी खूबसूरती स्पर्धा होती है. एकतरफा मुकाबले कभी भी खेल प्रेमियों को रोमांचित नहीं करते. ऐसे में, यदि किसी विजेता खिलाड़ी के डोपिंग टेस्ट में नाकाम होने का पता चलता है तो वह खेल की खूबसूरती पर एक बदनुमा दाग छोड़ जाता है. डोपिंग उन ईमानदार खिलाड़ियों के साथ भी अन्याय है, जो बरसों की तपस्या के बाद मुकाबले में उतरते हैं. भारत में खेलों में बेईमानी पर रोक लगाना मुश्किल काम है, क्योंकि यहां कामयाबी पुरस्कार के साथ-साथ सरकारी नौकरियां हासिल करने का भी एक जरिया मानी जाती है. मगर अंतरराष्ट्रीय सहयोग, जांच का दायरा और सुविधा बढ़ाने तथा जागरूकता फैलाने जैसे प्रयासों से डोपिंग पर लगाम लगायी जानी चाहिए.

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