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आगरा में छात्र-छात्राओं से काम कराने के नाम पर क्यूआर कोड से की जा रही ठगी, विश्वविद्यालय में मचा हड़कंप

छात्र ने क्यूआर कोड पर पैसे भेज दिए और व्हाट्सएप पर अज्ञात व्यक्ति से जल्द काम कराने की बात कहने लगा. लेकिन काफी समय बीतने के बाद भी जब उसका काम ना हुआ तो उसने इसकी शिकायत की.

आगरा. वॉट्सएप पर क्यू आर कोड भेजकर छात्र छात्राओं से ऑनलाइन ठगी करने का मामला सामने आया है. मामला सामने आने के बाद डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया है. विवि के ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करने वाले छात्र छात्राओं की गोपनीय जानकारी को लीक कर उनके मोबाइल पर क्यू आर कोड भेजा जा रहा है और उनका काम जल्दी कराने की कह कर उनसे पैसे की मांग की जा रही है. जिसकी शिकायत कुलपति से की गई है और कुलपति ने छात्र छात्राओं से अपील की है कि किसी भी बाहरी व्यक्ति को विवि से संबंधित किसी समस्या का समाधान कराने के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर तय शुल्क के अलावा पैसे ना दें. अगर छात्र ऐसा करते हैं तो वह खुद जिम्मेदार होंगे.

विश्वविद्यालय में मचा हड़कंप

जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय से संबंधित छात्र कपिल मिश्रा ने कुछ समय पूर्व इनरोलमेंट नंबर के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन किया था, जिसकी उसने नियत फीस भी अदा की थी. वहीं आपको ज्ञात हो कि ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करने के लिए छात्र छात्राओं को अपना पता और मोबाइल नंबर दर्ज करना होता है. इसी मोबाइल नंबर की जानकारी कर किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा छात्र के व्हाट्सएप नंबर पर मैसेज भेजा गया और कहा गया कि आपके एनरोलमेंट नंबर के संबंध में मदद चाहिए और जल्दी काम कराना हो तो कुछ पैसे देने पड़ेंगे. क्योंकि छात्र कपिल लंबे समय से परेशान था इसलिए उसने पैसे की हामी भर दी. उसके बाद अज्ञात व्यक्ति द्वारा व्हाट्सएप पर एक क्यूआर कोड भेजा गया और उससे 427 रुपये की मांग की गई.

क्यूआर कोड भेजकर मांग रहे पैसे

छात्र ने क्यूआर कोड पर पैसे भेज दिए और व्हाट्सएप पर अज्ञात व्यक्ति से जल्द काम कराने की बात कहने लगा. लेकिन काफी समय बीतने के बाद भी जब उसका काम ना हुआ तो उसने इसकी शिकायत की. साथ ही छात्र ने अज्ञात व्यक्ति द्वारा व्हाट्सएप पर किए गए मैसेज की स्क्रीन रिकॉर्डिंग कर सबूत अपने पास रख लिया है. वहीं सबसे बड़ा सवाल यह है कि विश्वविद्यालय के ऑनलाइन पोर्टल पर छात्र-छात्राओं द्वारा दर्ज की गई अपनी व्यक्तिगत जानकारी जिसमें एड्रेस, नाम और मोबाइल नंबर होता है, जो कि सिर्फ विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और अधिकारियों को ज्ञात रहता है. क्योंकि उनके पास आवेदन पहुंचता है. लेकिन जिस व्यक्ति ने छात्र के साथ क्यू आर कोड से फ्रॉड किया है. आखिर उसे आवेदन करने वाले छात्र-छात्राओं की जानकारी कैसे होती है. माना जा रहा है कि इस मामले में कहीं न कहीं विश्वविद्यालय का कोई कर्मचारी और अधिकारी भी सलिप्त है.

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कुलपति ने कार्रवाई करने की कही बात

विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर आंसू रानी को जब इस बारे में बताया गया तो उनका कहना था कि इस तरह का जो भी व्यक्ति फ्रॉड कर रहा है. विश्वविद्यालय से संबंधित छात्र छात्राओं को इससे सचेत रहना चाहिए और विवि द्वारा ऑनलाइन पोर्टल पर किसी भी कार्य के लिए जो फीस तय की गई है. सिर्फ उसी का भुगतान करें. इसके अलावा किसी को भी कोई पैसा ना दें. अगर पैसा देते हैं तो उसके जिम्मेदार छात्र-छात्राएं खुद होंगे. वहीं, इस मामले में जांच की जाएगी. अगर विवि का कोई कर्मचारी भी इसमें शामिल होता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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