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Gyanvapi Case: हिंदू पक्ष को साक्ष्य नष्ट करने की आशंका, अपने ‘प्रतीकों’ की सुरक्षा के लिए याचिका दायर

वाराणसी में ज्ञानवापी मामले में अब हाईकोर्ट और जिला जज के समक्ष याचिका दायर की गई है. परिसर में हिंदू संकेतों और प्रतीकों की सुरक्षा की मांग करते हुए यचिका दायर की गई है. ऐसे में अब इस पर दिए जाने वाले कोर्ट के फैसले पर भी सबकी नजरें टिकी हुई हैं

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में दोनों पक्ष अपना केस मजबूत करने के लिए दलील देने में जुटे हैं. इस बीच मां श्रृंगार गौरी प्रकरण में जिला अदालत और इलाहाबाद हाई कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई हैं. वादिनी राखी सिंह ने जिला जज की अपनी याचिका में संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर को सुरक्षित करने के लिए आदेश देने का अनुरोध किया है. मामले में चार अगस्त को सुनवाई होगी.

जिला जज की अदालत करेगी फैसला

ज्ञानवापी के मां श्रृंगार गौरी केस में वादिनी राखी सिंह ने जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में एक नई अर्जी दाखिल की है. राखी सिंह ने जिला जज की अदालत में अपने अधिवक्ता मान बहादुर सिंह और अनुपम द्विवेदी के जरिये ये अर्जी दाखिल की है.

इसमें कहा गया है कि ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी प्रकरण न्यायालय के समक्ष लंबित है. वाद के विपक्षी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के लोग उत्तर प्रदेश सरकार के माध्यम से इस परिसर में आते-जाते रहते हैं.

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कोर्ट में दी गई ये दलील

उन्होंने कहा कि ये लोग वहां मौजूद हिंदू धर्म से संबंधित ऐतिहासिक और पूर्व में अधिवक्ता कमीशन के सर्वे के दौरान परिलक्षित हुए साक्ष्य को नष्ट कर रहे हैं. जबकि, इस मामले में सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी के शेष परिसर का एएसआई के जरिये वैज्ञानिक विधि से जांच करने के लिए न्यायालय द्वारा बीते 21 जुलाई को आदेशित किया गया था.

सर्वे के दौरान नहीं किया गया सहयोग

प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि मां श्रृंगार गौरी मुकदमे की वादिनी संख्या-एक राखी सिंह को अपने अधिवक्ता के माध्यम से यह भी पता चला है कि 24 जुलाई 2023 को सुबह सात बजे से दोपहर 12 बजे तक ज्ञानवापी परिसर में एएसआई ने सर्वे किया था. उस दिन भी प्रतिवादी संख्या चार अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के लोगों ने परिसर के अंदर मौजूद तथाकथित मस्जिद के दरवाजे में ताला बंद किया था. मस्जिद की चाबी एएसआई को सर्वे के लिए नहीं सौंपी गई थी.

हिंदू साक्ष्य को नष्ट करने का प्रयास

इससे साफ जाहिर होता है कि प्रतिवादी संख्या चार महज वहां मौजूद हिंदू धर्म से संबंधित साक्ष्यों को नष्ट करने की नियत से इस कृत्य को कर रहा है. ऐसी परिस्थिति में अगर वहां हिंदू धर्म से संबंधित उपलब्ध साक्ष्य नष्ट हो जाएंगे तो मुकदमे के निस्तारण में समस्या और परेशानी होगी. इसके साथ ही उपयुक्त न्यायिक निष्कर्ष तक पहुंचने में समस्या होगी.

इस आधार पर अदालत से अनुरोध किया गया है कि परिस्थिति को देखते हुए संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर को सुरक्षित करने के लिए आदेश दिया जाए. अदालत ने इस मामले में वादिनी के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के लिए चार अगस्त की तिथि नियत कर दी.

गैर-हिंदुओं से परिसर को नहीं पहुंचे नुकसान

वहीं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष दायर जनहित याचिका में, याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन को एएसआई सर्वेक्षण को प्रभावित किए बिना पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को सील करने का निर्देश देने की मांग की है ताकि ‘गैर-हिंदुओं द्वारा हिंदुओं को कोई नुकसान न पहुंचाया जा सके.

इसमें यह भी आग्रह किया गया कि ज्ञानवापी मुद्दे पर वाराणसी की जिला अदालत में लंबित मुकदमों के निपटारे तक गैर-हिंदुओं को परिसर में ‘पुराने मंदिर क्षेत्र’ में प्रवेश करने से रोका जा सकता है. याचिका जितेंद्र सिंह ‘विसेन’, राखी सिंह और कुछ अन्य लोगों ने दायर की है.

विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जीतेंद्र सिंह बिसेन ने कहा कि जिला अदालत में याचिका में राखी सिंह ने मुस्लिम पक्ष पर ज्ञानवापी परिसर में हिंदू प्रतीकों को नष्ट करने का आरोप लगाया है और यह सुनिश्चित करने के लिए पूरे परिसर की सुरक्षा की मांग की है कि ये प्रतीक खो न जाएं.

मुसलमानों के प्रवेश पर रोक की मांग

बिसेन ने कहा, ज्ञानवापी में मुसलमानों के प्रवेश पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए ताकि पुरातात्विक सर्वेक्षण का काम बिना किसी बाधा के किया जा सके. राखी सिंह विश्व वैदिक सनातन संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक भी हैं.

इंतजामिया कमेटी कानूनी जवाब दाखिल करने की तैयारी में

इस बीच, इंतजामिया मस्जिद कमेटी के सचिव मोहम्मद यासीन ने कहा कि उन्हें अभी तक नई याचिका की प्रति नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि एक बार हमें याचिका की प्रति मिल जाएगी तो हमारी कानूनी टीम उसका जवाब तैयार करेगी. राखी सिंह उन पांच हिंदू महिला वादियों में से एक हैं, जिन्होंने मां श्रृंगार गौरी स्थल पर पूजा की अनुमति मांगते हुए श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामला दायर किया था.

Sanjay Singh
Sanjay Singh
working in media since 2003. specialization in political stories, documentary script, feature writing.

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