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अब बर्दवान और कोलकाता नही बल्कि कालना महकमा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ही हीमोफीलिया का इलाज शुरू

भारत में जन्‍मे प्रत्येक 5,000 पुरुषों में से 1 पुरुष हीमोफीलिया से ग्रस्त है. यानि कि हमारे देश में हर साल लगभग 1300 बच्चे हीमोफीलिया के साथ जन्‍म लेते हैं. कालना सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के अधीक्षक चंद्र शेखर माईती ने बताया की रोगियों को अब दूर दराज नही जाना पड़ेगा.

बर्दवान/पानागढ़, मुकेश तिवारी : अब बर्दवान अथवा कोलकाता के अस्पतालों में जाने की जरूरत नहीं. अब कालना महकमा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ही हीमोफीलिया का इलाज शुरू हो गया है. इस सुविधा के शुरू होने से शनिवार से ही इलाके के या इस रोग से पीड़ित रोगियों को सुविधा हो गई है. आज अस्पताल में पांच इस रोग से पीड़ित रोगियों का इलाज शुरू किया गया है. कालना सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में हीमोफीलिया का इलाज शुरू होने के साथ ही पहले ही दिन इस अस्पताल में पांच हीमोफीलिया मरीजों को इंजेक्शन लगाये गये. यहां हीमोफीलिया का इलाज शुरू हो जाने से अब इस इलाके के लोगों को इलाज के लिए बर्दवान या कोलकाता नहीं भागना पड़ेगा.

कालना सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में होगा इलाज

अब से यह इलाज कालना सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में किया जा सकेगा. बताया जाता है की भारत में जन्‍मे प्रत्येक 5,000 पुरुषों में से 1 पुरुष हीमोफीलिया से ग्रस्त है. यानि कि हमारे देश में हर साल लगभग 1300 बच्चे हीमोफीलिया के साथ जन्‍म लेते हैं. कालना सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के अधीक्षक चंद्र शेखर माईती ने बताया की इस सेवा के शुरू होने से इस रोग से पीड़ित इलाके के रोगियों को अब दूर दराज नही जाना पड़ेगा. इसी अस्पताल में उक्त यूनिट के खुलने से उनका इलाज हो पाएगा.

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क्या है हीमोफीलिया रोग

कालना सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के चिकित्सक बताते है की यह रोग क्या है? हीमोफीलिया एक वंशानुगत आनुवंशिक रोग है. इस बीमारी में रक्त का थक्का जमने में परेशानी होती है, इसलिए एक बार जब रक्त वाहिका कट जाती है, तो रक्तस्राव बंद नहीं होता है. इस बीमारी से केवल पुरुष ही प्रभावित होते हैं.महिलाएँ इस रोग की वाहक होती हैं क्योंकि महिलाओं में दो X गुणसूत्र होते हैं जबकि पुरुषों में एक X और एक Y गुणसूत्र होता है.

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क्या है इस रोग के लक्षण

चिकित्सक बताते है की इस रोग के लक्षण हैं– कटने पर खून का बहना बंद न होना.गिरने से मांसपेशियों में गंभीर दर्द होता है. सिर पर चोट लगने के तुरंत बाद सूजन आ जाती है.सूजन कम होने में काफी समय लगता है.लक्षणों में शामिल हैं कई बड़े या गहरे घाव, जोड़ों का दर्द और सूजन, बिना किसी स्पष्ट वजह से खून बहना, और पेशाब या मल में खून आना शामिल है.

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कितने प्रकार के होते है हीमोफीलिय

हीमोफीलियाके कई अलग-अलग प्रकार हो सकते हैं, लेकिन इसके प्रमुख दो ही प्रकार हैं जो निम्न हैं – हीमोफीलिया टाइप ए – इस प्रकार के हीमोफीलिया को क्लासिक हीमोफीलिया के रूप में भी जाना जाता है. यह रोग VIII ब्‍लड क्‍लॉटिंग फैक्‍टर की कमी के कारण होता है. हीमोफीलिया टाइप बी – इसे क्रिसमस रोग के रूप में भी जाना जाता है. यह क्लॉटिंग फैक्टर IX बनने में होने वाली कमी के कारण होता है.

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क्या है हीमोफीलिया का इलाज

चिकित्सकों का कहना है की हीमोफीलिया का इलाज करने का सबसे अच्छा तरीका गायब रक्त के थक्के जमने वाले कारक को बदलना है ताकि रक्त ठीक से जम सके. यह आम तौर पर किसी व्यक्ति की नस में उपचार उत्पादों को इंजेक्ट करके किया जाता है, जिसे क्लॉटिंग फैक्टर कॉन्संट्रेट कहा जाता है.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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