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बुरे फंसे कोडरमा के सिविल सर्जन, बिना टेंडर कराये खरीद ली 20 लाख की दवा, डीसी ने मांगा स्पष्टीकरण

जानकारी के अनुसार पिछले छह माह के अंदर सदर अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना, एनएचएम व अन्य मद की राशि से दवा की खरीद की गई है. एक लाख 40 हजार रुपये के हिसाब से करीब 15 बार दवा की खरीद किए जाने की बात सामने आई है.

कोडरमा जिले के सदर अस्पताल में बिना टेंडर कराये करीब बीस लाख रुपये की दवा खरीदने का मामला सामने आया है. ये करतूत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने की है. मामला संज्ञान में आने पर डीसी आदित्य रंजन ने इसकी जांच कराई है. जांच सही पाए जाने पर अब सिविल सर्जन से स्पष्टीकरण मांगते हुए आरोप गठित कर स्वास्थ्य विभाग को भेजने की तैयारी है. यही नहीं, पूरे मामले में जिस प्रकार दवा की खरीदारी की गई है उस पर जांच टीम ने सवाल उठाया है.

साथ ही अपनी रिपोर्ट डीसी को सौंप दी है. जानकारी के अनुसार पिछले छह माह के अंदर सदर अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना, एनएचएम व अन्य मद की राशि से दवा की खरीद की गई है. एक लाख 40 हजार रुपये के हिसाब से करीब 15 बार दवा की खरीद किए जाने की बात सामने आई है. नियमत: एक लाख 40 हजार रुपये तक की खरीदारी तो की जा सकती है, पर इसके लिए भी कुछ नियम निर्धारित है. वैसे दवा सहित किसी भी सामग्री की खरीद से पूर्व क्रय समिति का गठन कर टेंडर करना होता है, साथ ही प्रत्येक सामान का दर निर्धारण कर उसके आधार पर वर्क ऑर्डर जारी किया जाता है.

कोटेशन के आधार पर 1 लाख 40 हजार रुपये तक की खरीदारी की जा सकती है, लेकिन दवा खरीद के मामले में अलग तरह की बात सामने आई है. इस संबंध में मिली शिकायत के बाद डीसी रंजन ने गत दिनों डीडीसी ऋतुराज की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच कमेटी बनायी. कमेटी में डीडीसी के अलावा लेखा पदाधिकारी व कार्यपालक दंडाधिकारी को शामिल किया गया था. जांच टीम गत दिनों सदर अस्पताल पहुंची व दवा खरीद से संबंधित सभी रिकार्ड को जब्त कर अपने साथ ले गयी.

बताया जाता है कि रिकार्ड की जांच के बाद टीम ने अपनी रिपोर्ट डीसी को सौंप दी है. इसमें कहा गया है कि एक ही दिन में एक ही आदमी को अलग-अलग ऑर्डर जारी किया गया है. यही नहीं, एक-दो दिन के आगे पीछे भी ऑर्डर जारी किए जाने के सुबूत मिले हैं इसके अलावा एक ही वेंडर को कई बार दवा खरीद का ऑर्डर दिए जाने का जिक्र है.

साथ ही एक ही तारीख में दो-तीन कोटेशन निकाला गया है. रिकॉर्ड की जांच के बाद टीम ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि जान बूझकर तोड़-तोड़कर 1.40 लाख रुपये की खरीदारी की गयी है, ताकि टेंडर में न जाना पड़े. कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद जिला प्रशासन के स्तर से सिविल सर्जन डॉ़ अनिल कुमार से स्पष्टीकरण मांगने की तैयारी चल रही है. साथ ही आरोप गठित करते हुए विभाग को भेजने की तैयारी की जा रही है.

गत छह माह में करीब बीस लाख रुपये की दवा बिना टेंडर कराए खरीदने की शिकायत मिली थी. चार सदस्यीय जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट दी है. रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि जान बूझकर ऐसी स्थिति बनाई गई है कि टेंडर प्रक्रिया में न जाना पड़े. यह गंभीर मामला है. सिविल सर्जन से स्पष्टीकरण मांगते हुए उनके विरुद्व आरोप गठित कर विभाग को भेजा जाएगा

आदित्य रंजन, उपायुक्त कोडरमा

Prabhat Khabar Digital Desk
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