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Merry Christmas 2023: क्यों मनाते हैं 25 दिसंबर को ही क्रिसमस-डे, कौन हैं सांता क्लॉज, जानें रहस्य

Merry Christmas 2023: क्रिसमस पर गिरजाघरों यानी चर्च में प्रभु यीशु की जन्म गाथा की झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं, इसके साथ ही गिरजाघरों में प्रार्थना की जाती है, इस दिन ईसाई धर्म के लोग चर्च में एकत्रित होकर प्रभु यीशु की आराधना करते हैं.

Merry Christmas 2023: क्रिसमस, ईसाई धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है, इसे हर वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है. अपने आप में यह त्योहार इतना व्यापक है कि दुनियाभर में इसे अन्य धर्म के लोग भी बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं, इसलिए इस पर्व को धार्मिक कहने की बजाय सामाजिक कहना ज्यादा बेहतर होगा. संयुक्त राष्ट्र संघ के आंकड़ों के अनुसार, विश्व के करीब डेढ़ सौ करोड़ लोग ईसाई धर्म के अनुयायी हैं. क्रिश्चियन यानी ईसाई धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन यीशु (ईसा मसीह) का जन्म हुआ था. ईसा मसीह ईसाईयों के ईश्वर हैं, इसलिए क्रिसमस डे पर गिरजाघरों यानी चर्च में प्रभु यीशु की जन्म गाथा की झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं, इसके साथ ही गिरजाघरों में प्रार्थना की जाती है, इस दिन ईसाई धर्म के लोग चर्च में एकत्रित होकर प्रभु यीशु की आराधना करते हैं.

क्रिसमस से जुड़ा इतिहास

क्रिसमस के इतिहास को लेकर इतिहास कारों में मतभेद है. कई इतिहास-कारों के अनुसार, यह त्योहार यीशु के जन्म के पूर्व से ही मनाया जा रहा है. क्रिसमस पर्व रोमन त्योहार सैंचुनेलिया का ही नया रूप है. सैंचुनेलिया रोमन देवता है, जब ईसाई धर्म की स्थापना हुई तो उसके बाद लोग यीशु को अपना ईश्वर मानकर सैंचुनेलिया पर्व को क्रिसमस डे के रूप में मनाने लगे.

25 दिसंबर को चुनने के पीछे का इतिहास

सन 98 से लोग इस पर्व को निरंतर मना रहे हैं. सन 137 में रोमन बिशप ने इस पर्व को मनाने की आधिकारिक रूप से घोषणा की थी. हालांकि तब इसे मनाने का कोई निश्चित दिन नहीं था, इसलिए सन 350 में रोमन पादरी यूलियस ने 25 दिसंबर को क्रिसमस-डे के रूप में घोषित कर दिया गया. एक अन्य मान्यता के अनुसार, प्रारंभ में स्वयं धर्माधिकारी 25 दिसंबर को क्रिसमस को इस रूप में मनाने की मान्यता देने के लिए तैयार नहीं थे. यह वास्तव में रोमन जाति के एक त्योहार का दिन था, जिसमें सूर्य देवता की आराधना की जाती थी. यह माना जाता था कि इसी दिन सूर्य का जन्म हुआ, लेकिन जब ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ तो ऐसा कहा गया कि यीशु ही सूर्य देवता के अवतार हैं और फिर उनकी पूजा होने लगी. हालांकि इसे मान्यता नहीं मिल पाई थी.

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क्रिसमट ट्री

क्रिसमस डे पर क्रिसमस ट्री का बड़ा महत्व है. यह डगलस, बालसम या फिर फर का वृक्ष होता है, जिसे क्रिसमस डे पर अच्छी तरह से सजाया जाता है. प्राचीन काल में मिस्र वासियों, चीनियों और हिबूर लोगों ने सबसे पहले इस परंपरा की शुरुआत की थी. उनका विश्वास था की इन पौधों को घरों में सजाने से घर में नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं. हालांकि आधुनिक क्रिसमस ट्री की शुरुआत जर्मनी में हुई थी.

सेंटा क्लॉज

क्रिसमस के मौके पर बच्चे सेंटा क्लॉज का इंतज़ार करते हैं. क्योंकि सेंटा बच्चों को गिफ्ट्स देता है. ऐसी मान्यता है कि सेंटा क्लॉज की प्रथा संत निकोलस ने चौथी या पांचवी सदी में शुरू की. वे एशिया माइनर के पादरी थे. वे बच्चों और नाविकों से बेहद प्यार करते थे. वे क्रिसमस और नववर्ष के दिन गरीब-अमीर सभी को प्रसन्न देखना चाहते थे. उनसे जुड़ी हुई कई कथाएँ और कहानियों सुनने को मिलती हैं.

ईसाई धर्म में किसमस त्योहार का महत्व

ईसाई लोगों के लिए वास्तव में यह बड़ा त्यौहार है, इस दिन को वह अपने ईष्ट देवता यीशु के जन्म दिवस के रूप में मनाते हैं. यीशु ईसाई धर्म के प्रवर्तक हैं. यीशु का जन्म हेरोदेस राजा के दिनों में हुआ था. बाईबल जो कि ईसाई धर्म का पवित्र ग्रंथ है, इसमें उनके उपदेशों और उनकी जीवनी को विस्तार पूर्वक बताया गया है. क्रिसमस के 15 दिन पहले से ही क्रिश्चियन समाज के लोग इसकी तैयारियों में जुट जाते हैं.

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Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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