22.5 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

भारत छोड़ो आंदोलन : आजादी के आंदोलन में कूद पड़े थे झारखंड के आनंदी साव, महात्मा गांधी से था कनेक्शन

Quit India Movement: भारत छोड़ो आंदोलन में झारखंड के हजारीबाग जिले के केरेडारी के योद्धा आनंदी साव ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था. 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की ज्वाला झारखंड के हजारीबाग जिले में भी धधकी थी, जिसमें केरेडारी के स्वतंत्रता सेनानी आनंदी साव का महत्वपूर्ण योगदान रहा था.

Quit India Movement: भारत छोड़ो आंदोलन में झारखंड के हजारीबाग जिले के केरेडारी के योद्धा आनंदी साव ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था. 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की ज्वाला झारखंड के हजारीबाग जिले में भी धधकी थी, जिसमें केरेडारी के स्वतंत्रता सेनानी आनंदी साव का महत्वपूर्ण योगदान रहा था. केरेडारी के बेलचौक निवासी स्वर्गीय आनंदी साव बड़कागांव के सहयोगियों के साथ तिरंगा लहराते हुए हजारीबाग समाहरणालय पहुंचे थे. तिरंगा फहराकर अंग्रेजी हुकूमत को खुली चुनौती दी थी. इस दौरान आनंदी साव को बड़कागांव के सहयोगी प्रयाग रविदास एवं प्रकाल रविदास से सहयोग मिला था. अंग्रेजों ने आनंदी साव एवं इनके साथियों को जेल भेज दिया था.

गांधी जी ने किया था हजारीबाग दौरा

इससे पूर्व 18 सितंबर 1925 में जब महात्मा गांधी ने हजारीबाग का दौरा किया था, तो दौरा के दौरान महात्मा गांधी ने केरेडारी के आनंदी साव, बड़कागांव के प्रयाग रविदास, प्रकाल रविदास के साथ हजारीबाग जिले के गांवों का दौरा किया था और ग्रामीणों को चरखा चलाने के लिए प्रेरित किया था. 1930 में गांधी जी दोबारा हजारीबाग आये थे. गांधी जी ने आनंदी साव एवं राजा बंगले के राजमिस्त्री प्रयाग रविदास एवं प्रकाल रविदास से जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की गतिविधियों की जानकारी ली थी.

Also Read: Congress Gaurav Yatra : गौरव यात्रा में बोले झारखंड कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय, देश में भय का माहौल

30 साल की आयु में कूद पड़े थे आंदोलन में

आनंदी साव ब्रिटिश शासन काल में मध्यवर्गीय परिवार से आते थे. मध्यवर्गीय परिवार में आंनदी साव का जन्म 1898 में हजारीबाग जिले के केरेडारी प्रखंड की केरेडारी पंचायत में हुआ था. 30 साल के युवा आनंदी साव ब्रिटिश सरकार के द्वारा आसपास के नागरिकों के शोषण देखकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे और आखिर में आजादी के जननायकों के साथ मिलकर भारत से अंग्रेज़ों को खदेड़कर भारत को स्वतंत्र कराने में अहम योगदान दिया. 1967 में आनंदी साव ने केरेडारी नाम दिलवाया. ओमे क्रांति से जाने जाने वाले केरेडारी की पहचान आनंदी साव ने दिलवायी थी. स्व आंनदी साव (पिता स्व डमर साव) को केरेडारी प्रखंडवासी जय भारत के नाम से बुलाते थे. स्वतंत्रता सेनानी स्व आनंदी साव सादे लिबास में अपने साथ में हमेशा तिरंगा रखा करते थे. वर्ष 2002 में 104 साल की आयु में इनका निधन हो गया.

Also Read: World Indigenous Day 2022: झारखंड जनजातीय महोत्सव का देखिए भव्य नजारा

सरकार से अब तक कोई मदद नहीं

देश की आजादी की लड़ाई में शामिल स्वतंत्रता सेनानी आनंदी साव के परिजनों को राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा कोई सहयोग नहीं मिला. 2016 में केरेडारी के ग्रामीणों ने स्वतंत्रता सेनानी आनंदी साव के नाम पर केरेडारी बेल चौक का नाम जय भारत चौक रखा. स्वतंत्रता सेनानी स्व आनंदी साव की प्रतिमा लगाने की तैयारी की गयी, लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण आज तक स्व आनंदी साव की प्रतिमा नहीं लग सकी.

रिपोर्ट : अरुण यादव, केरेडारी, हजारीबाग

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel