23.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Raksha Bandhan 2022: आज है रक्षाबंधन का त्योहार, यहां देखें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

Raksha Bandhan 2022: 12 अगस्त को सुबह 5 से 7 बजे के बीच राखी बांधने का समय सर्वोत्तम माना जा रहा है. अगर आप 11 अगस्त को राखी नहीं बांध सकते हैं तो 12 को इस मुहूर्त में राखी बांधें.

Raksha Bandhan 2022: सावन की पूर्णिमा तिथि को राखी बांधी जाती है. लेकिन इस दौरान भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस साल भद्रा काल को लेकर ही भ्रम की स्थिति बनी हुई है. वहीं 11 तारीख को सावन पूर्णिमा तिथि शुरू होने के साथ ही भद्रा का साया है. देखें रक्षा बंधन 2022 का मुहूर्त कब है

हिंदू पंचांग के मुताबिक पूर्णिमा 11 अगस्त यानी गुरुवार 10:00 बजे से शुरू हो चुकी है और 12 अगस्त यानी शुक्रवार सुबह 7:00 बजे तक है. रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन में मनाया जाता है लेकिन पूर्णिमा के साथ ही गुरुवार यानी 11 अगस्त से भद्रा काल भी शुरू हो रहा है.

12 अगस्त को कब बांधे राखी?

12 अगस्त को सुबह 5 से 7 बजे के बीच राखी बांधने का समय सर्वोत्तम माना जा रहा है. अगर आप 11 अगस्त को राखी नहीं बांध सकते हैं तो 12 को इस मुहूर्त में राखी बांधें.

राखी पूर्णिमा की पूजा-विधि

रक्षा बंधन के दिन बहने भाईयों की कलाई पर रक्षा-सूत्र या राखी बांधती हैं. साथ ही वे भाईयों की दीर्घायु, समृद्धि व ख़ुशी आदि की कामना करती हैं.

राखी बांधते हुए पढ़े ये मंत्र

रक्षा-सूत्र या राखी बांधते हुए निम्न मंत्र पढ़ा जाता है, जिसे पढ़कर पुरोहित भी यजमानों को रक्षा-सूत्र बांध सकते हैं–

ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः.
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल..

मंत्र के पीछे की महत्वपूर्ण कथा

इस मंत्र के पीछे भी एक महत्वपूर्ण कथा है, जिसे प्रायः रक्षाबंधन की पूजा के समय पढ़ा जाता है. एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से ऐसी कथा को सुनने की इच्छा प्रकट की, जिससे सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती हो. इसके उत्तर में श्री कृष्ण ने उन्हें यह कथा सुनायी–

इन्द्र ने गुरु बृहस्पति से की थी रक्षा के लिए प्रार्थना

प्राचीन काल में देवों और असुरों के बीच लगातार 12 वर्षों तक संग्राम हुआ. ऐसा मालूम हो रहा था कि युद्ध में असुरों की विजय होने को है. दानवों के राजा ने तीनों लोकों पर कब्ज़ा कर स्वयं को त्रिलोक का स्वामी घोषित कर लिया था. दैत्यों के सताए देवराज इन्द्र गुरु बृहस्पति की शरण में पहुँचे और रक्षा के लिए प्रार्थना की. श्रावण पूर्णिमा को प्रातःकाल रक्षा-विधान पूर्ण किया गया.

रक्षा-सूत्र बांधने के पीछे की कहानी

इस विधान में गुरु बृहस्पति ने ऊपर उल्लिखित मंत्र का पाठ किया; साथ ही इन्द्र और उनकी पत्नी ने भी पीछे-पीछे इस मंत्र को दोहराया. इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने सभी ब्राह्मणों से रक्षा-सूत्र में शक्ति का संचार कराया और इन्द्र के दाहिने हाथ की कलाई पर उसे बांध दिया. इस सूत्र से प्राप्त बल के माध्यम से इन्द्र ने असुरों को हरा दिया और खोया हुआ शासन पुनः प्राप्त किया.

रक्षा बंधन बांधने की विधि

रक्षा बंधन को मनाने की एक अन्य विधि भी प्रचलित है. महिलाएँ सुबह पूजा के लिए तैयार होकर घर की दीवारों पर स्वर्ण टांग देती हैं. उसके बाद वे उसकी पूजा सेवईं, खीर और मिठाईयों से करती हैं. फिर वे सोने पर राखी का धागा बांधती हैं. जो महिलाएँ नाग पंचमी पर गेंहूँ की बालियाँ लगाती हैं, वे पूजा के लिए उस पौधे को रखती हैं. अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधने के बाद वे इन बालियों को भाईयों के कानों पर रखती हैं.

कुछ लोग इस पर्व से एक दिन पहले उपवास करते हैं. फिर रक्षाबंधन वाले दिन, वे शास्त्रीय विधि-विधान से राखी बांधते हैं. साथ ही वे पितृ-तर्पण और ऋषि-पूजन या ऋषि तर्पण भी करते हैं.

कुछ क्षेत्रों में लोग इस दिन श्रवण पूजन भी करते हैं. वहाँ यह त्यौहार मातृ-पितृ भक्त श्रवण कुमार की याद में मनाया जाता है, जो भूल से राजा दशरथ के हाथों मारे गए थे.

इस दिन भाई अपनी बहनों तरह-तरह के उपहार भी देते हैं. यदि सगी बहन न हो, तो चचेरी-ममेरी बहन या जिसे भी आप बहन की तरह मानते हैं, उसके साथ यह पर्व मनाया जा सकता है.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel