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Ram Navami 2023: कानपुर में बसी है छोटी अयोध्या, परिवार के साथ विराजमान हैं रामलला, बजरंगबली करते हैं रखवाली

श्री रामलला मंदिर का इतिहास 150 साल से भी ज्यादा पुराना है. मंदिर के इतिहास को लेकर लोग बताते हैं कि रावतपुर के महाराजा रावत रणधीर सिंह का विवाह मध्य प्रदेश के रीवा में हुआ था. इस दौरान महारानी रौताइन बघेलिन जब विदा होकर आईं तो उनके साथ सिंहासन पर विराजमान रामलला भी थे.

Kanpur: कानपुर के रावतपुर क्षेत्र में छोटी अयोध्या बसी हुई है. यहां पर दशरथ नंदन श्रीरामलला पूरे परिवार के साथ में विराजमान हैं. यही नहीं भगवान श्रीराम के प्रिय भक्त बजरंगबली इस क्षेत्र की रखवाली करते हैं. रामनवमी पर यहां का नजारा देखने लायक होता है.

यहां पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के जन्मोत्सव यानी रामनवमी पर्व पर शोभायात्रा निकलती है, जो रामलला मंदिर प्रांगण से शुरू होकर क्षेत्र भर में घूमती है और फिर मंदिर में आकर समाप्त होती है. हर बार की तरह इस बार भी कानपुर में गुरुवार को इस यात्रा में पूरे शहर की शोभायात्राएं विभिन्न मार्गों से होते हुए शामिल होंगी. लाखों भक्तों की मौजूदगी में इस दौरान रामनवमी के पर्व पर लोगों का उत्साह देखने लायक होता है.

150 वर्ष से ज्यादा पुराना है इतिहास

श्री रामलला मंदिर का इतिहास 150 साल से भी ज्यादा पुराना है. मंदिर के इतिहास को लेकर लोग बताते हैं कि रावतपुर के महाराजा रावत रणधीर सिंह का विवाह मध्य प्रदेश के रीवा में हुआ था. इस दौरान महारानी रौताइन बघेलिन जब विदा होकर आईं तो उनके साथ सिंहासन पर विराजमान रामलला भी थे. उन्होंने ही मंदिर की स्थापना कराई. उन्होंने ही मंदिर की स्थापना कराई. बता दें कि यह मंदिर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन का भी प्रमुख केंद्र रहा है. इस मंदिर में वर्ष 1988 में श्रीराम नवमी के दिन भव्य शोभायात्रा निकाली गई थी, तब से यह परंपरा निरंतर चल रही है.

निकलती है शोभायात्रा

श्री रामलला मंदिर समिति के संयोजक अवध बिहारी मिश्रा बताते हैं कि यहां प्रभु के दर्शन को लोग दूर-दूर से लोग आते हैं. चैत्र नवरात्र की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मंदिर परिसर से ही शोभायात्रा निकलती है. यहां पर कल्याणपुर, पनकी, मसवानपुर समेत 25 से अधिक जगहों से लोग भगवान की झांकियां लेकर मंदिर पहुंचते हैं और फिर लाखों भक्त शामिल होकर जय जय श्रीराम का उद्घोष करते चलते हैं.

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छतों से होती है शोभायात्रा में पुष्प वर्षा

रामनवमी समिति के संयोजक बताते हैं कि इसे लोग छोटी अयोध्या के नाम से भी पुकारते हैं. मंदिर में सुबह के वक्त रामलला की आरती के बाद उन्हें नाश्ते में खीर खिलाई जाती है. दोपहर में भोजन और शाम के वक्त आरती के बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं. रामनवमी के दिन जब रामलला की शोभायात्रा निकाली जाती है तो मुस्लिम समुदाय बहुल इलाकों के लोग अपनी-अपनी छतों से फूलों की बरसात करते हैं. युवा, महिला और बुजुर्ग शोभा यात्रा में शामिल होते हैं.

रिपोर्ट: आयुष तिवारी

Prabhat Khabar News Desk
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