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लोहरदगा में सरहुल पूर्व संध्या का आयोजन, डीसी ने कहा – आदिवासी प्रकृति के पुजारी

उपस्थित अतिथियों का स्वागत आदिवासी पराम्परागत तरीके से किया गया. पूर्व संध्या समारोह को संबोधित करते हुए उपायुक्त डॉ वाघमारे कृष्ण प्रसाद ने सरहुल त्योहार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सरहुल पर्व प्रकृति से जुड़ा हुआ बहुत प्यारा त्योहार है.

लोहरदगा : रविवार को आदिवासी कर्मचारी समिति लोहरदगा द्वारा सदर प्रखंड कार्यालय समीप नया नगर भवन में सरहुल पूर्व संध्या समारोह मनाया गया. इस समारोह के मुख्य अतिथि लोहरदगा उपायुक्त डॉ वाघमारे कृष्ण प्रसाद, पुलिस अधीक्षक आर रामकुमार और अनुमंडल पदाधिकारी अरविंद कुमार लाल एवं आदिवासी कर्मचारी समिति लोहरदगा के सभी सम्मानित पदाधिकारी सदस्यगण उपस्थित थे. पूर्व संध्या कार्यक्रम का उद्घाटन सबसे पहले आदिवासी भजन ”आना आदि” एवं दीप प्रज्वलित के साथ किया गया.

अतिथियों का स्वागत आदिवासी पराम्परागत तरीके से

इसके बाद उपस्थित अतिथियों का स्वागत आदिवासी पराम्परागत तरीके से किया गया. पूर्व संध्या समारोह को संबोधित करते हुए उपायुक्त डॉ वाघमारे कृष्ण प्रसाद ने सरहुल त्योहार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सरहुल पर्व प्रकृति से जुड़ा हुआ बहुत प्यारा त्योहार है. यह त्योहार सौ वर्षों से जनजातियों द्वारा मनाया जा रहा है और आज भी बरकरार है. उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय के लोग लाखों वर्षों से निवास करते आ रहे हैं. सरहुल पर्व मानव प्रकृति का पराम्परागत सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते आ रहे हैं.

जनजातियों में भी लोग शिक्षित होकर आगे बढ़ रहे

हमारे जनजातीय समुदाय के लोग प्राकृतिक पूजा पाठ को संयोजते हुये आ रहे हैं इसलिए आज के नये युवा/युवती पीढ़ी के लोग बरकरार बनाये रखें. उन्होंने बताया कि कई वर्षों पहले जनजातियों का दोहन किया गया था लेकिन अब धीरे धीरे उस दोहन से उभार कर आदिवासी जनजातियों में भी लोग शिक्षित होकर आगे बढ़ रहे हैं और जलवायु परिवर्तन होकर कारगार है. सरहुल पर्व प्रकृति में अपने जीवन का एक सौंदर्य पूर्ण संबंधों को समेटे हुए एक नये साल की शुरुआत करता है.

जिला वासियों को सरहुल पर्व की बधाई दी

उपायुक्त डॉ वाघमारे कृष्ण प्रसाद ने पूरे जिला वासियों को सरहुल पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएं और बधाई दी. मौके पर लोहरदगा पुलिस अधीक्षक आर रामकुमार ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि बिरसा मुंडा जैसे महान लोग के बारे जानकारी दिये. सरहुल पर्व को नये साल के रूप में मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि मैं अपने पढ़ाई लिखाई के समय वन विभाग पेड़ पौधे से जुड़ा हुआ था.

सरहुल पर्व प्रकृति पूजा के साथ साथ अपनी नई सोच का विकास करें

इसलिए प्रकृति पूजा के साथ साथ आज झारखंड के लोग से अपील करते हैं कि इस सरहुल पर्व प्रकृति पूजा के साथ साथ अपनी नई सोच का विकास करें. खास कर नये युवा युवती पीढ़ी के लोग बढ़-चढ़कर अपने कल्चर को बनाये रखें और कृषि विकास कार्य में नया टेक्नोलॉजी को अपनाये. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से जो सद्भावना दिवस मनाया जाता उसमें आदिवासी समाज के लोग भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लें. मौके पर आदिवासी समाज के अनेक लोग मौजूद थे.

Prabhat Khabar Digital Desk
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