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शाहजहां ने नहीं बनवाया कोई भी काला ताजमहल, मनगढ़ंत कहानी बताते हैं लोकल गाइड

कहा जाता है कि शहंशाह शाहजहां ने ताजमहल के अलावा एक काले ताजमहल का भी निर्माण कराया था, जो कि समय के साथ खत्म हो गया. लेकिन इस बात का कहीं भी कोई सबूत नहीं है कि शाहजहां ने काला ताज महल का निर्माण कराया था. एएसआई भी इस बात से साफ इनकार करता है.

Agra News: विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल का दीदार करने के लिए रोजाना हजारों देशी-विदेशी पर्यटक आगरा आते हैं. ताजमहल की सुंदरता को देखकर पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. जहां एक तरफ लोग ताजमहल को देखकर उसकी खूबसूरती के कायल होते हैं, वहीं दूसरी तरफ उसके इतिहास के बारे में जानकर भी दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं.

ताजमहल से जुड़ा एक इतिहास और भी है, जिसमें क्षेत्रीय गाइड लोगों को यह बताते हैं कि शाहजहां ताजमहल के पार्श्व में स्थित मेहताब बाग में काले ताजमहल का निर्माण करा रहा था. लेकिन यह सिर्फ पर्यटकों को रिझाने और उन्हें गुमराह करने के लिए गाइडों द्वारा रची गई मनगढ़ंत कहानी है. आज हम आपको बताएंगे कि वाकई में काला ताजमहल का इतिहास और उसकी सच्चाई क्या है.

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दरअसल, आगरा में ताजमहल को देखने के लिए हजारों देशी-विदेशी पर्यटक रोजाना आते हैं. जब भी वह लोग यहां आते हैं तो कोई न कोई पर्यटक ताजमहल के इतिहास के बारे में जानने के लिए किसी गाइड को हायर करता है. ऐसे में ताजमहल के आसपास रोजाना घूमने वाले लड़के पर्यटकों को बताते हैं कि वह गाइड हैं और ताजमहल के इतिहास के बारे में झूठी कहानियां गढ़ देते हैं.

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काले ताजमहल की कहानी मनगढ़ंत

अधिकतर पर्यटकों में यह धारणा है कि इतिहास के अनुसार ताजमहल को बनवाने वाले बादशाह शाहजहां एक काले ताज महल का भी निर्माण करवा रहे थे. लेकिन औरंगजेब द्वारा शाहजहां को जेल में डाल दिया गया, जिसके बाद काले ताजमहल का निर्माण वहीं पर रुक गया, लेकिन ऐसा इतिहास में कहीं भी नहीं है और काले ताजमहल की कहानी पूर्ण रूप से मनगढ़ंत है.

एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद आरके सिंह ने बताया कि ताजमहल परिसर में स्थित ताज म्यूजियम में ताजमहल के नक्शे की मूल प्रति रखी हुई है, जिसमें कहीं भी काले ताजमहल का जिक्र नहीं है और ना ही अभी तक एएसआई को काले ताजमहल से संबंधित कोई सबूत मिले हैं.

मुगल बादशाह शाहजहां ने सन् 1928 से 1658 तक शासन किया. जब उन्होंने अपनी बेगम मुमताज की याद में भव्य मकबरा बनाने का सोचा तो इसके लिए उन्होंने भारत ही नहीं अरब, पर्शिया और तुर्की के वास्तुविदों को आगरा में बुलाया. शाहजहां ने सभी से मकबरे के बारे में चर्चा की, वहीं इतिहासकारों की मानें तो ताज का नक्शा तमाम वास्तु विद्वानों ने अपने हाथ से बनाया था. लेकिन मुगल बादशाह शाहजहां को उस्ताद ईसा आफदी का डिजाइन पसंद आया था. इसके बाद सन 1632 में यमुना किनारे ताजमहल को बनवाने की शुरुआत हुई.

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ताज म्यूजियम के पूर्व प्रभारी अधीक्षण पुरातत्वविद आरके सिंह ने बताया ताजमहल के निर्माण से पहले कैनवास पर उसका नक्शा उतारा गया था जो कि ताज म्यूजियम में रखा हुआ है. इस नक्शे में ताजमहल के आसपास बसाए गए कटरा के साथ ही ताजमहल के दक्षिणी गेट, पूर्वी गेट और पश्चिमी गेट के साथ शाही प्रवेश द्वार को भी दिखाया गया है. नक्शे में चारबाग पद्धति पर बनाए गए उद्यानों के साथ ही, उद्यानों में लगाए गए सभी तरह के पौधों का जिक्र भी किया गया है, जिसमें फल फूल वाले और फलदार पौधे भी शामिल हैं.

आरके सिंह ने बताया कि ताजमहल के दूसरी ओर यमुना किनारे मेहताब बाग में बारादरी का स्थान भी दिखाया गया है. वहां पर काला ताजमहल बनाने का कोई सबूत नहीं है. यहां पर टूरिस्ट गाइड और तमाम लोग जिन्हें जानकारी नहीं है, जो इस बात को बताते हैं कि ताजमहल की दूसरी ओर यमुना किनारे मेहताब बाग में जो फाउंडेशन खुदाई में मिला है, वह ब्लैक ताजमहल का है, सच नहीं है. एएसआई को काला ताजमहल के अभी तक वहां कोई भी सबूत नहीं मिले हैं, और ना ही ताजमहल के कैनवास पर बनाए गए नक्शे में इसका कोई जिक्र है.

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हालांकि मेहताब बाग में बारादरी के ही सबूत मिले हैं और उसका फाउंडेशन अभी भी वहीं मौजूद है. उन्होंने बताया कि काला ताजमहल की जो कहानी लोकल गाइड द्वारा बताई जाती है. वह सिर्फ एक मनगढ़ंत कहानी है, इसमें जरा भी सच्चाई नहीं है.

रिपोर्ट- राघवेंद्र सिंह गहलोत, आगरा

Prabhat Khabar News Desk
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