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Shailendra 100th Birth Anniversary: शैलेंद्र के कुछ मशहूर गीत, जिसे आज भी लोग गुनगुनाते हैं, देखें VIDEO

किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार बॉलीवुड के सबसे प्रतिष्ठित गानों में से एक है और इसे महान गीतकार शैलेन्द्र ने लिखा था. उनके जन्म के आज सौ वर्ष पूरे हो रहे हैं. आज उनके कुछ लोकप्रिय गानों के बारे में आपको बताते है.

किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार बॉलीवुड के सबसे प्रतिष्ठित गानों में से एक है और इसे महान गीतकार शैलेन्द्र ने लिखा था. उन्हें हिंदी फिल्म उद्योग बेहतरीन कवियों और गीतकारों में से एक के रूप में याद करता है. उनके जन्म के आज सौ वर्ष पूरे हो रहे हैं. आज उनके कुछ लोकप्रिय गानों के बारे में आपको बताते है.

आवारा हूं (आवारा, 1951)

आवारा हूं या गर्दिश में
आसमान का तारा हूँ

घर-बार नहीं, संसार नहीं
मुझसे किसी को प्यार नहीं
उस पार किसी से मिलने का इकरार नहीं
मुझसे किसी को प्यार नहीं
अनजान नगर सुनसान डगर का प्यारा हूँ
आवारा हूं …

नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है (बूट पॉलिश, 1954)

नन्हें मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है
मुट्ठी में है तकदीर हमारी
हमने किस्मत को बस में किया है

भोली-भाली मतवाली आँखों में क्या है
आँखों में झूमे उम्मीदों की दिवाली
आने वाली दुनिया का सपना सजा है
नन्हें मुन्ने बच्चे तेरी…

मुड़-मुड़ के न देख मुड़-मुड़ के (श्री 420, 1955)

मुड़-मुड़ के न देख, मुड़-मुड़ के
ज़िंदगानी के सफ़र में तू अकेला ही नहीं है
हम भी तेरे हमसफ़र हैं

आये गये मंज़िलों के निशां
लहरा के झूमा झुका आसमां
लेकिन रुकेगा न ये कारवाँ
मुड़-मुड़ के न देख…

मेरा जूता है जापानी (श्री 420, 1955)

मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंग्लिशतानी
सर पे लाल टोपी रूसी, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी
मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंग्लिशतानी
सर पे लाल टोपी रूसी, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी
मेरा जूता है जापानी

निकल पड़े हैं खुली सड़क पर
अपना सीना ताने, अपना सीना ताने
मंज़िल कहां, कहां रुकना है
ऊपर वाला जाने, ऊपर वाला जाने

 ये मेरा दीवानापन है (यहूदी, 1958)

दिल से तुझको बेदिली है,

मुझको है दिल का गुरुर तू ये माने के न माने,

लोग मानेंगे ज़रुर ये मेरा दीवानापन है,

या मोहब्बत का सुरूर तू ना पहचाने तो है

ये तेरी नज़रों का कुसूर ये मेरा दीवानापन है…

किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार (अनाड़ी, 1959)

किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार
किसीका दर्द मिल सके तो ले उधार
किसीके वास्ते हो तेरे दिल में प्यार
जीना इसी का नाम है
किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार
किसीका दर्द मिल सके तो ले उधार
किसीके वास्ते हो तेरे दिल में प्यार
जीना इसी का नाम है…

पिया तोसे नैना लागे रे (गाइड, 1965)

या तोसे नैना लागे रे

पिया तोसे नैना लागे रे नैना लागे रे
जाने क्या हो अब आगे रे नैना लागे रे
पिया तोसे नैना लागे रे

हो जग ने उतारे हो धरती पे तारे
पर मन मेरा मुरझाये हा
हो उन बिन आई हो ऐसी दीवाली
मिलने को जिया अकलाये आ सजन पायल पुकारे
झनक झन झन झनक झन झन पिया तोसे
पिया तोसे नैना लागे रे नैना लागे रे
जाने क्या हो अब आगे रे नैना लागे रे
पिया तोसे नैना लागे रे

जीना यहां, मरना यहां (मेरा नाम जोकर, 1970)

जीना यहां मरना यहां,

इसके सिवा जाना कहां जीना यहां मरना यहां,

इसके सिवा जाना कहां,

जी चाहे जब हमको आवाज़ दो हम हैं, वही हम थे जहां.

अपने यहीं दोनों जहां इसके सिवा जाना कहां

ये मेरा गीत जीवन संगीत कल भी कोई दोहराएगा…

शैलेंद्र पर लिखी कुछ पुस्तकें

  •  गीतों का जादूगर : शैलेंद्र, लेखक : बृजभूषण तिवारी

  • तू प्यार का सागर है और धरती कहे पुकार के (शैलेंद्र के गीत), संपादक : इंद्रजीत सिंह

  • शैलेंद्र : अप्रतिम रचनाकार, लेखक : डॉ विनय मोहन

  • कवि शैलेंद्र : जिंदगी की जीत में यकीन, लेखक : प्रहलाद अग्रवाल

  • अंदर की आग : शैलेंद्र की असंकलित अप्रकाशित कविताएं, संपादक : रमा भारती

Vivekanand Singh
Vivekanand Singh
Journalist with over 11 years of experience in both Print and Digital Media. Specializes in Feature Writing. For several years, he has been curating and editing the weekly feature sections Bal Prabhat and Healthy Life for Prabhat Khabar. Vivekanand is a recipient of the prestigious IIMCAA Award for Print Production in 2019. Passionate about Political storytelling that connects power to people.

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