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Union Budget 2023 Expectations : बजट में पर्यावरण अनुकूल लाइफ स्टाइल पर फोकस करने की जरूरत

पर्यावरण के अनुकूल एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाना हमारे देश के लोगों और सरकार के लिए मुख्य चुनौती है. सरकार के स्तर पर पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली निर्धारित करने के लिए विनियमन और जनादेश की कमी के साथ जागरूकता संबंधी कमियां साफ तौर पर दिखाई दे रही है.

नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को लोकसभा में बजट पेश करेंगी. उम्मीद की जा रही है कि इस साल के पूर्ण बजट में सरकार भारत के लोगों के लाइफ स्टाइल के लिए पर्यावरण सुरक्षा पर जोर देगी, क्योंकि कार्बन उत्सर्जन पर्यावरण सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित हो रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत का प्रत्येक नागरिक कार्बन उत्सर्जन में करीब 10 फीसदी भी कटौती करता है, तो हमारा देश सालाना करीब 266 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकता है, सालाना कार्बन उत्सर्जन से करीब 10.2 फीसदी कम होगा.

स्वस्थ जीवन शैली अपनाना मुख्य चुनौती

पर्यावरण के अनुकूल एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाना हमारे देश के लोगों और सरकार के लिए मुख्य चुनौती है. सरकार के स्तर पर पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली निर्धारित करने के लिए विनियमन और जनादेश की कमी के साथ जागरूकता संबंधी कमियां साफ तौर पर दिखाई दे रही है. सरकार की ओर से प्रति घर और व्यवसाय की सीमा तय करने और निर्धारित सीमा तय करने पर जुर्माना लगाने के लिए नियम बनाना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर सरकार को अपना ध्यान केंद्रित करना होगा.

कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए जनांदोलन की जरूरत

एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अगस्त 2022 में अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के अपडेटेड लक्ष्यों को पेश किया. अपडेटेड एनडीसी के लक्ष्यों में जीवन जीने के एक स्वस्थ और टिकाऊ तरीकों के प्रचार-प्रसार की बात की गई है. इसमें जीवन शैली के लिए पर्यावरण परिवर्तन का मुकाबला करने के उपायों को शामिल किया गया है. इससे पहले, नवंबर 2021 में ग्लासगो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाइफ (LiFE) की एक अवधारणा पेश की गई थी, जिसमें व्यक्तियों और संस्थानों के लिए वैश्विक समुदाय से आह्वान किया गया था कि लाइफ को पर्यावरण की रक्षा और उसके संरक्षण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय जनांदोलन के रूप में चलाएं.

सालाना कार्बन उत्सर्जन 1.9 मीट्रिक टन

रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जनसंख्या 1.4 अरब है, जिसका औसत प्रति व्यक्ति सालाना कार्बन उत्सर्जन 1.9 मीट्रिक टन है. यदि प्रत्येक नागरिक अपने उत्सर्जन में 10 फीसदी की कटौती करता है, तो हमारा देश करीब 226 मिलियन टन सालाना कार्बन उत्सर्जन में कटौती कर सकता है, जो भारत के वार्षिक कार्बन उत्सर्जन से करीब 10.2 फीसदी की कटौती के बराबर होगा. बता दें कि कोरोना महामारी में लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंधों के कारण वर्ष 2020 में कार्बन उत्सर्जन में करीब 6.5 फीसदी कमी दर्ज की गई. इसके अलावा, वर्ष 2021 में यह बढ़कर रिकॉर्ड उच्च स्तर 11 फीसदी तक पहुंच गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि एक स्थायी जीवन शैली को अपनाने से भारत में साल-दर-साल कार्बन उत्सर्जन में कटौती की जा सकती है.

पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली अपनाना की चुनौतियां

कागजी तौर पर तो लोग व्यक्तिगत कार्बन उत्सर्जन को कम करना चाहते हैं, लेकिन इसे अमलीजामा पहनाने में कई प्रकार की अड़चनें हैं, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बाधा पैदा करती हैं.

  • जागरूकता की कमी

  • बिना किसी प्रोत्साहन के एक स्थायी जीवन शैली अपनाना बेहद मुश्किल

  • पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली के लिए उपकरणों के उपयोग में कमी लाना

  • प्रति घर और प्रति व्यवसाय की सीमा तय करने और सीमा पार जुर्माना लगाने के लिए विनियमन और शासनादेश का अभाव

व्यवसायों और नागरिकों को करें प्रोत्साहित

भारत के लोगों को उम्मीद है कि सरकार अपने वार्षिक बजट में क्या पेश करेंगी. नया वित्तीय वर्ष शुरू होने वाला है. वित्त मंत्री अपने संबोधन में आयकर जैसे विषयों और अन्य कार्यक्रमों पर क्षेत्रवार चर्चा करते हैं. केंद्रीय बजट 2023-24 के प्रमुख विषयों में डीकार्बोनाइजेशन, ऊर्जा परिवर्तन और नवीकरणीय ऊर्जा को लेकर घोषणा होने का अनुमान है. इसी प्रकार, इस साल के बजट में कॉरपोरेट्स और वेतनभोगियों परिवारों के लिए यदि सरकार पर्सनल और कॉरपोरेट टैक्स में छूट प्रदान करती है और आईटी रिटर्न के साथ कार्बन फुटप्रिंट फाइल करने और कर छूट का दावा करने का विकल्प प्रदान करती है, तो यह निश्चित रूप से उत्सर्जन में कमी के लिए जनांदोलन चला सकता है.

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जन जागरूकता और शिक्षा

शिक्षा नीति को स्कूलों और विश्वविद्यालयों में स्थिरता से शिक्षा कार्यक्रम को सख्ती से लागू करना चाहिए, ताकि नई पीढ़ी कॉरपोरेट जगत में प्रवेश करने से पहले ही तैयार हो जाए और ‘लाइफ’ अपना लें. ऐसे कई स्टार्टअप्स हैं, जो जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता बढ़ाने और जनता को शिक्षित करने के लिए सरकारी स्कूलों और कॉलेजों के साथ साझेदारी कर सकते हैं.

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स्वैच्छिक कार्बन उत्सर्जन कटौती के लिए नीति

सरकार को कार्बन क्रेडिट के सत्यापन और उसे जारी करने के लिए नीतियों और मानकों को परिभाषित करना चाहिए, जो एक बार उत्पन्न होने पर एक्सचेंज पर कारोबार किया जा सकता है. यह अधिक कार्बन क्रेडिट उत्पन्न करने के लिए हरित परियोजनाओं में निवेश करने के लिए निवेशकों की अधिक भागीदारी को प्रेरित करेगा, जिसका तब व्यापार किया जा सकता है या उत्सर्जन को कम करने के लिए उपयोग किया जा सकता है.

KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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