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Vijaya Ekadashi 2024: इस दिन मनाई जाएगी विजया एकादशी, जानें महत्व और पूजा विधि

Vijaya Ekadashi 2024: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी होती है. पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की तिथि 6 मार्च को सुबह 6 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 7 मार्च को 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगी.

Vijaya Ekadashi 2024: हिन्दू धर्म में एकादशी एक महत्वपूर्ण तिथि है, इसलिए विजया एकादशी का भी धार्मिक रूप से बड़ा महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि इस पावन तिथि को जो कोई भक्त पूर्ण विधि विधान के साथ व्रत का पालन करता है तो उस व्रती को उसके हर एक कार्य में सफलता प्राप्त होती है. फाल्‍गुन मास के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है और यह इस बार 6 मार्च को है.

Vijaya Ekadashi 2024: कब है विजया एकादशी
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी होती है. पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की तिथि 6 मार्च को सुबह 6 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 7 मार्च को 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगी. 6 मार्च को एकादशी का व्रत रखा लाएगा.

Vijaya Ekadashi 2024: विजया एकादशी व्रत एवं पूजा विधि

एकादशी से एक दिन पूर्व एक वेदी बनाकर उस पर सप्त धान्य रखें
सोने, चांदी, तांबे अथवा मिट्टी का कलश उस पर स्थापित करें
एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें
पंचपल्लव कलश में रखकर भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें
धूप, दीप, चंदन, फल, फूल व तुलसी आदि से श्री हरि की पूजा करें
उपवास के साथ-साथ भगवन कथा का पाठ व श्रवण करें
रात्रि में श्री हरि के नाम का ही भजन कीर्तन करते हुए जगराता करें
द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन आदि करवाएं व कलश को दान कर दें
तत्पश्चात व्रत का पारण करें

Vijaya Ekadashi 2024: विजया एकादशी का महत्व

सभी व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे प्राचीन माना जाता है. पद्म पुराण के अनुसार स्वयं महादेव ने नारद जी को उपदेश देते हुए कहा था कि, ’एकादशी महान पुण्य देने वाली होती है’. कहा जाता है कि जो मनुष्य विजया एकादशी का व्रत रखता है उसके पितृ और पूर्वज कुयोनि को त्याग स्वर्ग लोक जाते हैं. साथ ही व्रती को हर कार्य में सफलता प्राप्त होती ही है और उसे पूर्व जन्म से लेकर इस जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है.

विजया एकादशी व्रत कथा

ऐसा कहा जाता है कि त्रेता युग में जब भगवान श्री राम लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र तट पर पहुँचे, तब मर्यादा पुरुषोत्तम ने समुद्र देवता से मार्ग देने की प्रार्थना की परन्तु समुद्र देव ने श्री राम को लंका जाने का मार्ग नहीं दिया तब श्री राम ने वकदालभ्य मुनि की आज्ञा के अनुसार विजय एकादशी का व्रत विधि पूर्वक किया जिसके प्रभाव से समुद्र ने प्रभु राम को मार्ग प्रदान किया. इसके साथ ही विजया एकादशी का व्रत रावण पर विजय प्रदान कराने में सहायक सिद्ध हुआ और तभी से इस तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है.

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

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