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कोलकाता में 2025 में जल स्तर में 44 प्रतिशत की हो सकती है कमी, राज्य में तेजी से घट रहा भूजल का स्तर

अध्ययन में शामिल जिले मुर्शिदाबाद, नदिया, बर्दवान, हुगली, हावड़ा, कोलकाता, दक्षिण 24 परगना, उत्तर 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर हैं. स्विचऑन फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक, विनय जाजू ने कहा : जिस तरह से भूजल कम हो रहा है, यह बहुत ही खतरनाक है.

भूजल की कमी ने राज्य में भी गंभीर समस्याएं पैदा करना शुरू कर दिया है. भूजल के अत्यधिक उपयोग के कारण पश्चिम बंगाल के गंगा बेसिन में भूजल स्तर गिर रहा है. विश्व जल दिवस के अवसर पर स्विचऑन फाउंडेशन द्वारा राज्य में भूजल की कमी चिंताजनक बताते हुए एक अध्ययन जारी किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूजल की कमी से उन क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता कम हो रही है, जो मीठे पानी के प्राथमिक स्रोत के रूप में भूमिगत भंडार पर निर्भर हैं.

इससे दुर्लभ संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा में वृद्धि हो रही है और पहले से ही सूखे क्षेत्रों में पानी की कमी बढ़ रही है. कुल मिलाकर, यह अध्ययन भूजल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और संरक्षण की तत्काल आवश्यकता पर जोर देता है. रिपोर्ट भूमिगत जल निष्कर्षण के उपयोग को विनियमित करने, जल संरक्षण और जल उपयोग दक्षता के लिए प्रौद्योगिकी और नियमों को अपनाने पर जोर देती है.

साथ ही, यह रिपोर्ट जल प्रतिरोधी फसलों जैसे बाजरा और अन्य स्वदेशी चावल किस्मों को बढ़ावा देने और उच्च पानी की खपत वाली फसलों से स्थानांतरित करने के लिए नीतियों को लागू करने की सिफारिश करती है. इस कार्य में विफलता पर्यावरण और दुनिया भर के समुदायों के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं. पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में काम करते हुए, स्विचऑन फाउंडेशन ने हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी), जलवायु स्मार्ट कृषि (क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर) और जल संरक्षण (वाटर कंजर्वेशन) को बढ़ावा देने के लिए अपनी ‘एम्पॉवरिंग एनर्जी, वाटर एंड एग्रीकल्चर विंग’ (इइडब्ल्यूए) को लॉन्च किया है.

स्विचऑन फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक, विनय जाजू ने कहा : जिस तरह से भूजल कम हो रहा है, यह बहुत ही खतरनाक है. हमारे पास तकनीकी समाधान हैं और जागरूकता और आदतों में बदलाव के साथ हमें जल संरक्षण पर युद्धस्तर पर काम करना होगा. हमें अपने सबसे कीमती संसाधन के संरक्षण के लिए तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है.

केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा जारी वर्ष 2017 से 2021 तक पांच वर्षों की अवधि में मानसून पूर्व के मौसम के भूजल स्तर के आंकड़ों का उपयोग पश्चिम बंगाल के उन क्षेत्रों में भूजल की स्थिति को समझने के लिए किया गया था, जो गंगा बेसिन का एक हिस्सा है. अध्ययन में शामिल जिले मुर्शिदाबाद, नदिया, बर्दवान, हुगली, हावड़ा, कोलकाता, दक्षिण 24 परगना, उत्तर 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर हैं.

शोध के निष्कर्ष

पांच साल के औसत (2017-2021) से जल तालिका स्तर में उतार-चढ़ाव से पता चला है कि दक्षिण 24 परगना में 2.53 मीटर (-27.8%), कोलकाता में 2.12 मीटर (-18.6%) और पूर्व मेदिनीपुर में 0.29 मीटर (-2.53%) जल स्तर में गिरावट आयी है. अन्य जिलों में जल स्तर में कोई कमी नहीं देखी गयी. इससे पता चलता है कि इन तीन जिलों में भूजल का निरंतर दोहन हो रहा है और वार्षिक वर्षा पुनर्भरण भूजल स्तर को बनाये रखने के लिए पर्याप्त नहीं है.

पांच साल (2017-2021) के लिए प्री-मानसून सीजन के जलस्तर के आंकड़ों की गहराई के साथ एक बुनियादी पूर्वानुमान किया गया था और निष्कर्षों से पता चला है कि कोलकाता में 2025 में 44% जल स्तर की कमी हो सकती है. उपरोक्त निष्कर्षों के आधार पर किये गये एक बुनियादी पूर्वानुमान से पता चलता है कि कोलकाता में 2025 में जल स्तर में 44% की कमी हो सकती है.

Prabhat Khabar News Desk
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