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जीएसटी की चुनौतियां-5 : राज्य सरकारों को जन जागरूकता बढ़ानी होगी, डिजिटलाइजेशन को आसान बनाना होगा

जेडी अग्रवाल अर्थशास्त्री जीएसटी एक बहुत ही ऐतिहासिक कर सुधार है. इससे ज्यादातर उपभोग की चीजों की कीमतों में कमी आयेगी. अगर किसी चीज की कीमत बढ़ेगी, तो वह सेवा क्षेत्र की कीमतें होंगी. लेकिन, इसके साथ कुछ चुनौतियां भी हैं और ये कुछ महीनों तक ही रहेंगी. दरअसल, भारत में इस मामले में बड़ी […]

जेडी अग्रवाल
अर्थशास्त्री
जीएसटी एक बहुत ही ऐतिहासिक कर सुधार है. इससे ज्यादातर उपभोग की चीजों की कीमतों में कमी आयेगी. अगर किसी चीज की कीमत बढ़ेगी, तो वह सेवा क्षेत्र की कीमतें होंगी. लेकिन, इसके साथ कुछ चुनौतियां भी हैं और ये कुछ महीनों तक ही रहेंगी. दरअसल, भारत में इस मामले में बड़ी समस्या खरीदारी के बाद बिल लेने-देने की है. लोग न तो बिल लेना चाहते हैं, और न ही कारोबारी लोग बिल देना चाहते हैं.
दुकानदार बिल इसलिए नहीं देना चाहते, क्योंकि वे अपनी बिक्री में उसको नहीं दिखाना चाहते, ताकि टैक्स से बच सकें. यह एक बड़ी चुनौती है, सरकार के लिए भी और लोगों के लिए भी. दूसरी सबसे बड़ी समस्या कारोबार क्षेत्र में डिजिटलाइजेशन को पूरी तरह से लागू करने की है. पूरे देश में डिजटलाइजेशन को अच्छी तरह से इम्प्लीमेंट करने की जरूरत है, जो इतनी जल्दी संभव नहीं है. तीसरी चुनौती भ्रम की है. जीएसटी को लेकर एक तो कुछ भ्रम हम सबके बीच है, और दूसरे यह कि कुछ भ्रम बनाये-फैलाये गये हैं. दरअसल, इसको लेकर योजनागत सक्रियता का अभाव दिखता है. इसलिए आम लोगों और व्यापारियों-कारोबारियों में एक उहापोह की स्थिति बनी हुई है. हालांकि, सरकार इस ओर तेजी से काम कर रही है. जैसे-जैसे लोगों को पता लगने लगेगा कि वास्तविकता क्या है, वैसे-वैसे लोग भ्रम से बाहर आने लगेंगे.
पहले 17-18 तरह के टैक्स होते थे, लेकिन जीएसटी में अब सिर्फ एक ही टैक्स होगा. ऐसे में कारोबारियों को इसके बारे में समझने और टैक्स अदा करने में अभी समय लगेगा. हालांकि, इंस्पेक्टर राज से कारोबारी बच तो जायेंगे, लेकिन डिजिटलाइजेशन और कंप्यूटराइजेशन तकनीक को पूरी तरह से लागू करने में थोड़ी-बहुत मुश्किलें आयेंगी. सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती उन लोगों से मिलनेवाली है, जिनका टर्नओवर 20 लाख से कम है. क्योंकि, यहां अभी तक कैश काउंटर या कैश मशीन के हम उपयोगी नहीं बन पाये हैं और इन छोटे व्यापारियों के साथ यह दिक्कत अभी लंबे समय तक बने रहने की संभावना है. हालांकि, सरकार इस ओर कोशिश करेगी कि किसी तरह से 20 लाख से कम टर्नओवर वाले व्यापारियों को भी जीएसटी के अंदर लाया जाये. इसके लिए सरकार को एक जागरूकता अभियान चलाने की चुनौती सामने है.
जब तक वे लोग जागरूक नहीं होंगे, तब तक बिलिंग व्यवस्था सही नहीं होगी और सरकार को राजस्व का घाटा उठाना पड़ेगा. एक और चुनौती राज्य सरकारों की तरफ से है. करीब सभी राज्य सरकारें आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उन्हें केंद्र पर निर्भर रहना पड़ता है.
राज्यों के पास आमदनी के स्रोत कम हैं और खर्चे भी ज्यादा हैं. ऐसे में फिलहाल यह उम्मीद की जा है कि जीएसटी से राज्यों की आय भी बढ़ेगी, लेकिन ऐसा होने में अभी समय लगेगा और राज्य सरकारों को भी आम जनता के बीच में जागरूकता बढ़ाने की पहल करने की जरूरत होगी. कुल मिला कर देखें, तो अगर इन चुनौतियों का हम अच्छी तरह सामना कर पाते हैं, तो उम्मीद है कि राजस्व घाटा कम होने के साथ ही आर्थिक वृद्धि तेज हो जायेगी.
Prabhat Khabar Digital Desk
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