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रंग ला रही अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति की बड़ी पहल, आधे शहर को मिल रही सोलर बिजली

हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने सोलर फार्म का निर्माण करने के लिए 10 एकड़ जमीन लीज पर ली है. इस सोलर फार्म से पैदा होनेवाली ऊर्जा उनके होमटाउन की आधी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करती है. दूसरी ओर, पुर्तगाल में बनाया गया दुनिया का पहला हाइब्रिड हाइड्रोइलेक्ट्रिक व सोलर पावर […]

हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने सोलर फार्म का निर्माण करने के लिए 10 एकड़ जमीन लीज पर ली है. इस सोलर फार्म से पैदा होनेवाली ऊर्जा उनके होमटाउन की आधी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करती है.
दूसरी ओर, पुर्तगाल में बनाया गया दुनिया का पहला हाइब्रिड हाइड्रोइलेक्ट्रिक व सोलर पावर इंस्टॉलेशन अब पूरी तरह से काम करने लगा है. पानी पर तैरते हुए इस सोलर पावर इंस्टॉलेशन में तैरने योग्य फोटोवॉल्टिक सेल्स का इस्तेमाल किया गया है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर की कई दशकों पूर्व की गई सौर ऊर्जा की पहल और उसके सकारात्मक नतीजे समेत दुनिया के पहले हाइब्रिड हाइड्रोइलेक्ट्रिक व सोलर पावर इंस्टॉलेशन से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं को रेखांकित कर रहा है आज का साइंस टेक पेज …
अमेरिका में वर्ष 1979 में बड़ा ऊर्जा संकट पैदा होने पर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने सूर्य से हासिल होने वाली ऊर्जा यानी सोलर एनर्जी के उत्पादन पर जोर देने की पुरजोर कवायद की थी. पानी गरम करने के लिए उस समय उन्होंने 32 सोलर पैनल को स्थापित करने की बात भी कही थी. देशवासियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, ‘अब से एक पीढ़ी बाद यह सोलर हीटर लोगों में कौतूहल या उत्सुकता का विषय हो सकता है और एक महानतम व सर्वाधिक उपयोगी आविष्कारों में शामिल हो सकता है.’
पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का विजन इस संबंध में बेहद स्पष्ट था और आज हम जिस अक्षय ऊर्जा की बात करते हैं, उसका सपना उन्होंने आज से कई दशकों पूर्व देखा था. हालांकि, उनके बाद राष्ट्रपति बने रोनाल्ड रीगन ने इन सोलर पैनलों को हटा दिया, लेकिन कार्टर और उनके परिवार ने अपना काम नियमित रूप से जारी रखा. नतीजन, आज अमेरिका ही नहीं, पूरी दुनिया में सोलर पैनल और उसकी क्षमता की एक अलग पटकथा लिखी जा रही है.
10 एकड़ जमीन से की शुरुआत
अपने मकसद को अंजाम देने के लिए कार्टर ने अपने होमटाउन जॉर्जिया में 10 एकड़ जमीन लीज पर लिया, और इस पर सोलर फार्म की स्थापना की. सोलर डेवलपमेंट फर्म ‘सोलअमेरिका’ ने आखिरकार बीते फरवरी में इस प्रोजेक्ट को पूरा कर दिया. इस प्रोजेक्ट की क्षमता इतनी है कि यह इस शहर में खपत होने वाली ऊर्जा की आधी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगा. इन्होंने अपनी प्रेसिंडेशियल लाइब्रेरी पर भी 324 सोलर पैनल लगाये हैं, जिससे इस बिल्डिंग की ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा उत्पादित किया जाता है. संक्षेप में कहें, तो यह आधे शहर को केवल एक व्यक्ति द्वारा ऊर्जा मुहैया कराने की मुहीम है.
आम लोगों की ताकत
जिमी कार्टर द्वारा उस वक्त दिये गये एक बयान का उल्लेख करते हुए ‘सोलअमेरिका’ की एक प्रेस रिलीज में कहा गया है, ‘दुनियाभर में मौसम परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन ऊर्जा की बढ़ती वैश्विक जरूरतों को पूरा करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है. हाल के वर्षों में सौर और अन्य स्वच्छ ऊर्जा समाधानों की दिशा में हासिल हुई व्यापक प्रगति ने उन्हें प्रोत्साहित किया है और उम्मीद है कि यह ट्रेंड जारी रहेगा.’
इसके अलावा, अक्षय ऊर्जा के समर्थन में कार्टर की निरंतर सक्रियता मानवता के लिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के लिए स्थानीय और व्यक्तिगत प्रयासों के महत्व को दर्शाती है.
सकारात्मक असर
समतल भूमि पर बनाये गये सोलर फार्म से प्रति वर्ष 1.3 मेगावाट बिजली पैदा होने की उम्मीद है, जो लगभग 3,600 टन कोयले के जलने के बराबर है. एक निश्चित समय के बाद इसका सकारात्मक नतीजा दिखेगा, जब इस उल्लेखनीय पहल के कारण वायुमंडल में उत्सर्जित होने वाली ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा को कम किया जा सकेगा.
अनेक व्यक्तियों, समुदायों, और यहां तक कि विविध देशों ने, कार्टर के साथ स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को हासिल करने की दिशा में कदम-से-कदम मिला कर आगे बढ़ाया है. दुनिया की नामीगिरामी कंपनी ‘टेसला’ के सीइओ एलन मस्क ने इसके लिए नयी तकनीकों को विकसित करने के मकसद से व्यापक निवेश किया है और ऐसे उत्पाद तैयार किये हैं, जिनकी मदद से बहुत ही कम लागत में सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है. हालांकि, विविध लोगों और समुदायों के ये महज कुछ उदाहरण हैं, जो एक बेहतर भविष्य के लिए काम कर रहे हैं.
और इन्हीं लोगों की पहल और मेहनत का नतीजा है कि दुनियाभर में कोयला आधारित पावर प्लांट की संख्या दिन-ब-दिन कम हो रही है. दुनियाभर में लोग जीवाश्म ईंधनों से पैदा होने वाले जोखिम को समझने लगे हैं और स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन और इसे अपनाने की ओर आगे बढ़ रहे हैं. ऐसे में आज से कई दशक पूर्व शुरू की गई मुहिम अब रंग लाती दिख रही है.
पुर्तगाल में शुरू हुआ जलाशय में बनाया गया
सबसे बड़ा सोलर प्लांट
दुनिया का पहला हाइब्रिड हाइड्रोइलेक्ट्रिक व सोलर पावर इंस्टॉलेशन पुर्तगाल में संचालित हो गया है. इसके लिए पुर्तगाल के अल्टो रोबागाओ डैम में तैरते हुए सोलर पैनल डाले गये हैं, जिससे इस प्लांट की क्षमता 220 किलोवॉट से से बढ़ कर 68 मेगावॉट तक पहुंच गयी है. महज एक वर्ष के भीतर यह पावर स्टेशन 332 मेगावॉट आवर्स बिजली पैदा करने में सक्षम होगा, जिससे 100 से ज्यादा घरों को बिजली मुहैया करायी जा सकेगी. ‘फ्यूचरिज्म डॉट कॉम’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फ्लोटिंग सोलर सिस्टम हाइडरलियो के डेवलपर्स सीएल एंड टैरी इंटरनेशनल ने इस पैनलों का निर्माण किया है.
भविष्य की तैयारी
सीएल एंड टैरी इंटरनेशनल द्वारा विकसित किये गये फ्लोटिंग फोटोवॉल्टिक पैनलों का मुख्य मकसद जल के कृत्रिम निकाय के अधिकतम इस्तेमाल से सौर ऊर्जा का उत्पादन करना है. खासकर डैम के व्यापक दायरे में फैले जलस्रोतों पर पैनलों को इंस्टॉल करना न केवल अधिक फायदेमंद है, बल्कि इससे ज्यादा मात्रा में बिजली पैदा की जा सकती है. दिन के वक्त सूरज की रोशनी से ये पैनल ऊर्जा उत्पादन करते हैं, जिनका इस्तेमाल रात के समय किया जा सकता है.
400 गीगावॉट तक पैदा की जा सकती है सोलर बिजली
सीएल एंड टैरी इंटरनेशनल का अनुमान है कि दुनियाभर में मौजूद 50 बड़े डैम के महज 10 फीसदी हिस्से में ही यदि फ्लोटिंग फोटोवॉल्टिक पैनल इंस्टॉल किये जायें, तो इससे 400 गीगावॉट तक सोलर बिजली पैदा की जा सकती है.
‘हफिंगटन पोस्ट’ की एक रिपोर्ट के हवाले से ‘फ्यूचरिज्म डॉट कॉम’ में बताया गया है कि यदि यह अल्टो राबागाओ प्रोजेक्ट सफल रहा, तो अन्य देशों में भी इस सिस्टम का व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.
इस सोलर प्लांट की खासियतें
– इसका निर्माण विशाल जल निकाय यानी जलाशय में किया गया है.
– 840 तैरते हुए सोलर पैनल लगाये गये हैं इस
जलाशय में.
– जलाशय में सोलर पैनल लगाने के कारण यहां की बेशकीमती भूमि का अन्य चीजों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. क्योंकि यदि इतनी संख्या में सोलर पैनल लगाने से भूमि का एक बड़ा रकबा इससे प्रभावित होता, जिसका इस्तेमाल अब किसी अन्य मकसद से किया जा सकेगा.
– इसमें लगाये गये फ्लोटिंग फोटोवॉल्टिक पैनलों को पारिस्थितिकी अनुकूल तरीकों से डिजाइन किया गया है, जिससे इनकी रिसाइकिल की जा सकती है.
– जलाशय में ज्यादा दायरे में फैले जल पर ये पैनल प्लावित होते रहेंगे, जिससे वाष्पीकरण की प्रक्रिया बेहद धीमी रहेगी.
– पानी में पैदा होने वाली काई को फैलने से रोका जा सकेगा.
– ये पैनल जलाशय में तरंगों को कम करेंगे, जिससे इसके किनारों पर होने वाले क्षरण को रोका जा सकेगा.
2,500 घंटे मिलती है सूरज की रोशनी
पुर्तगाल ने दृढ़ अक्षय ऊर्जा नीतियों को प्रोत्साहित करते हुए इस प्रोजेक्ट की कामयाबी के लिए माहौल तैयार किया है. सोलर एनर्जी के लिहाज से इस देश के साथ एक बड़ी विशेषता यह जुड़ी है कि यहां साल में 2,500 से ज्यादा घंटे तक सूरज की रोशनी हासिल होती है. साथ ही मौजूदा हाइड्रोपावर क्षमता के कारण तैरते हुए सोलर पैनलों से ऊर्जा हासिल करने की उच्च रूप से दक्षता हासिल है.
ऐसे में इस हाइब्रिड समाधान के जरिये नयी तकनीक के इस्तेमाल से ज्यादा तादाद में स्वच्छ ऊर्जा हासिल करने में मदद मिल सकती है और ऊर्जा उत्पादन की क्षमता में व्यापक रूप से बढ़ोतरी हो सकती है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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