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मेरे पिता को पाक ने नहीं, जंग ने मारा

चर्चा में : करगिल के शहीद की बेटी ने बिन बोले दिया बड़ा संदेश पंजाब के जालंधर की रहनेवाली गुरमेहर कौर 19 साल की हैं. सन् 1999 में 8 मई से 14 जुलाई तक जब भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर के करगिल में जंग लड़ी जा रही थी, तब गुरमेहर सिर्फ दो साल की […]

चर्चा में : करगिल के शहीद की बेटी ने बिन बोले दिया बड़ा संदेश

पंजाब के जालंधर की रहनेवाली गुरमेहर कौर 19 साल की हैं. सन् 1999 में 8 मई से 14 जुलाई तक जब भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर के करगिल में जंग लड़ी जा रही थी, तब गुरमेहर सिर्फ दो साल की थी़ इस लड़ाई में दोनों देशों के हजारों सैनिक मारे गये और कई घायल हुए़ कितनी महिलाओं के सुहाग उजड़ गये, कई घरों के चिराग बुझ गये, तो कितने बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया़ गुरमेहर भी इन्हीं में से एक हैं. उनके पिता कैप्टन मनदीप सिंह ने भी इस युद्ध में देश के नाम पर अपनी सांसें कुर्बान कर दी थीं. इस घटना के 17 साल बाद गुरमेहर कौर भारत और पाकिस्तान के बीच शांति चाहती हैं.

गुरमेहर ने अपनी बात कहने के लिए एक अनोखा वीडियो बनाया है, जिसमें वह खुद कुछ बोलने के बजाय प्लेकार्ड्स के जरिये अपनी बात कह रही हैं. यू-ट्यूब पर ‘प्रोफाइल फॉर पीस’ शीर्षक के साथ मौजूद 4.23 सेंकेंड का गुरमेहर का यह वीडियो संदेश भावुक और हमारी सोच काे झकझोर देनेवाला है़ गुरमेहर का यह संदेश अंगरेजी में है और इस वीडियो में कुल 30 प्लेकार्ड्स की मदद से उन्होंने अपनी बात रखी है़ इसे भारत के अलावा पाकिस्तान और दूसरे देशों में रहनेवाले लोगों से भी समर्थन मिल रहा है़

सरकारें ढोंग करना बंद करें : इसके बाद गुरमेहर अपने प्लेकार्ड्स के जरिये कहती हैं कि दो विश्व युद्धों के बाद अगर फ्रांस और जर्मनी दोस्त बन सकते हैं, जापान और अमेरिका अगर अपने अतीत को भुला कर तरक्की के लिए काम कर सकते हैं, तो हम क्यों नहीं? आखिरकार भारत और पाकिस्तान के अधिकांश लोगों की भी यही चाहत है कि दोनों देशों के बीच शांति हो, युद्ध नहीं. अगले प्लेकार्ड्स में गुरमेहर बताती हैं, शांति की अपेक्षा करना और शांति के लिए कदम उठाना, दोनों अलग-अलग बातें हैं. यही बात मैं भारत-पाकिस्तान की सरकारों को समझाना चाहती हूं. दोनों देशों की सरकारें ढोंग करना बंद करें और समस्या को सुलझाने का काम करें. हम तीसरी दुनिया के स्तर के नेतृत्व के साथ विकसित देश बनने का सपना नहीं देख सकते. बहुत हुआ सरकार द्वारा प्रायोजित आतंकवाद, जासूसी, नफरत. सरहद के दोनों ओर कई जानें जा चुकीं. बस बहुत हुआ! गुरमेहर कहती हैं, इन दोनों देशों में मुझ जैसी कई लड़कियां होंगी़ मैं एक ऐसी दुनिया में रहना चाहती हूं, जहां किसी गुरमेहर को अपने पिता के साये से महरूम न होना पड़े़

ऐसे बना यह वीडियो संदेश : सोशल मीडिया पर अपना यह वीडियो संदेश हिट होने के बाद गुरमेहर ने ट्रिब्यून न्यूज नेटवर्क को दिये एक इंटरव्यू में इसके बनने की कहानी बतायी है़ गुरमेहर कहती हैं, सात अगस्त 1999 को मेरे पिता का शव, तिरंगे में लिपटे एक ताबूत में हमारे घर लाया गया था़ उस दिन की यादें आज भी मेरे जेहन में ताजा हैं. इस बीच मैंने जनवरी में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले में शहीद लेफ्टिनेंट कर्नल इके निरंजन की शव यात्रा का फुटेज टीवी पर देखा़ तिरंगे में लिपटा उनका शव, बगल में खड़ी उनकी विधवा केजी राधिका और उनकी गोद में 18 माह की बच्ची विस्मया़ यह ठीक उसी तरह था, जैसा मेरे साथ हुआ था़ मुझे लगा कि इतिहास खुद को दोहरा रहा है़

इस बारे में मैंने फेसबुक पर एक मैसेज पोस्ट किया, जिसे मेरे फेसबुक फ्रेंड राम सुब्रमणियन ने देखा़ गुरमेहर कहती हैं, मुंबई में रहनेवाले राम, पेशे से एक एड-फिल्म मेकर हैं. उन्होंने मुझसे बात की और मैंने अपनी आपबीती उन्हें सुना दी़ तब उन्होंने मुझे मुंबई बुलाया और हमने यह वीडियो शूट करने का प्लान बनाया़ वीडियो तैयार होने में हफ्ताभर का समय लगा़ शुरुआत में हमने इसे यू-ट्यूब पर डाला, लेकिन जब ज्यादा व्यूज नहीं मिले तो हमने इसे फेसबुक और ट्विटर पर शेयर किया़ गुरमेहर कहती हैं, इसका नतीजा यह हुआ कि अब तक इस वीडियो संदेश को 10 लाख से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं और यह दोनों देशों के लोगों द्वारा ताबड़तोड़ शेयर भी किया जा रहा है.

पाकिस्तानियों से नफरत

इन प्लेकार्ड्स के जरिये मेहर कहती हैं कि मेरे पास ऐसी कई यादें हैं, जिनसे मैं बता सकती हूं कि पिता के नहीं होने पर कैसा लगता है. मुझे यह भी याद है कि मैं पाकिस्तान और पाकिस्तानियों से कितनी नफरत करती रही, क्योंकि तब मुझे लगता था कि उन्होंने मेरे पिता को मार दिया. अपने प्लेकार्ड्स के जरिये वह बताती हैं, बचपन में पता नहीं क्यों मैं मुसलमानों को पाकिस्तानी समझती थी और कहीं न कहीं मेरे मन में यह हमेशा चलता रहता था कि वे मेरे पिता के मेरे साथ न होने के जिम्मेदार हैं.

मुझे अच्छी तरह याद है कि मैंने किस तरह एक बुर्कानशीं मुसलिम महिला को छुरा मारने का प्रयास किया था, जब मैं 6 साल की थी. तब मां ने मुझे समझाया कि पाकिस्तान ने उनके पिता को नहीं मारा, बल्कि उस जंग ने उनके पिता को उनसे छीना, जो भारत और पाक के बीच हुई. गुरमेहर कहती हैं कि आज मैं एक सोल्जर हूं, ठीक अपने पिता की तरह. लेकिन मैं भारत और पाकिस्तान के बीच शांति के लिए लड़ती हूं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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