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मिटा रहे सूखे लातूर की प्यास

मिसाल : जाति-धर्म से ऊपर उठ कर मानवता की सेवा में लगे शेख मतीन मूसा देश के 10 राज्य सूखे का दंश झेल रहे हैं और फिलहाल इससे निजात मिलने के कोई संकेत दिखायी नहीं दे रहे हैं. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक अभी मॉनसून को आने में महीने भर से ज्यादा का वक्त […]

मिसाल : जाति-धर्म से ऊपर उठ कर मानवता की सेवा में लगे शेख मतीन मूसा

देश के 10 राज्य सूखे का दंश झेल रहे हैं और फिलहाल इससे निजात मिलने के कोई संकेत दिखायी नहीं दे रहे हैं. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक अभी मॉनसून को आने में महीने भर से ज्यादा का वक्त है और प्री मॉनसून बारिश का वक्त भी जून के पहले पखवाड़े तक बताया जा रहा है. ऐसे में लोगों के पास सूरज की चिलचिलाती किरणों को झेलने के अलावा कोई और चारा नहीं है. सूखे की वजह से लोगों के सामने नहाने-धोने की बात तो छोड़िए, पीने के पानी की भी भारी समस्या खड़ी हो गयी है.

महाराष्ट्र के लातूर जिले का हाल सबसे बुरा है. आलम यह है कि लोग अपना घर-बार छोड़ कर ऐसी ठौर तलाशने को मजबूर हैं, जहां उन्हें अपने और अपने परिवार के लिए खाने के साथ पानी भी मयस्सर हो सके़ जहां लोग इस सूखे में बस अपने घर-परिवार के बारे में सोच रहे हैं, वहां एक शख्स ऐसा भी है, जिसने लोगों के लिए अपने घर के दरवाजे खोल दिये हैं.

लातूर के रहने वाले शेख मतीन मूसा के घर आप रोजाना बाल्टियों की एक लंबी कतार देख सकते हैं. इलाके में रहने वालों के लिए मतीन किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं, जो हर दिन यहां के 300 परिवारों को लगभग 10,000 से 12,000 लीटर पानी मुहैया कराते हैं.

सरकारी इंतजाम नाकाफी : सूखा प्रभावित लातूर में पिछले दिनों हल्की बारिश हुई थी, सरकार की तरफ से ट्रेन के जरिये भी पानी भेजा जा रहा है़ सरकार ने हालात को संभालने के लिए इस इलाके में पानी की गाड़ियां भेजी हैं.

इसके अलावा, जलदूत ट्रेन दक्षिण महाराष्ट्र के मिराज से लातूर के लिए सात ट्रिप में चार लाख लीटर से अधिक पानी ले जाती है़ लेकिन जहां चार सालों से सूखा पड़ा हो, वहां इस तरह के इंतजाम नाकाफी ही साबित हो रहे हैं. पानी का स्रोत जहां भी दिखायी पड़ता है, लोग उसके लिए टूट पड़ते हैं.

पानी यहां सबसे कीमती चीज हो गया है. स्थिति की गंभीरता का पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों पानी लेने की जल्दबाजी में ही यहां एक किशोर उसी टैंकर के नीचे आकर कुचला गया था, जिससे वह पानी लेने गया था. दो साल से सूखाग्रस्त मराठवाड़ा क्षेत्र के सात अन्य जिलों में लगभग आधे से एक लाख की आबादी ने सूखे की वजह से शहर छोड़ दिया है.

निस्वार्थ भाव से सेवा : मतीन के पड़ोसियों का कहना है कि मतीन भाई पानी के लिए किसी से कोई पैसा नहीं लेते. आज देश में एक ओर समाज से लेकर राजनीति तक में जाति और धर्म का हौव्वा खड़ा हो चुका है, वहीं एक आम इनसान धर्म और राजनीति से ऊपर उठ कर लोगों के लिए नि:स्वार्थ भाव से सेवा कर रहा है. अपने इलाके में मतीन भाई के नाम से मशहूर शेख मतीन मूसा, पेशे से शिक्षक हैं. पास के एक स्कूल में वह बच्चों को गणित पढ़ाते हैं

वह उस समय सुर्खियों में आये, जब उनकी इस दरियादिली के बारे में किसी ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा़ इसके बाद उस पोस्ट को काफी लोगों द्वारा शेयर किया गया और लोगों ने मतीन भाई के काम को यह कहते हुए सराहा कि एक आम इनसान धर्म और राजनीति से ऊपर उठ कर लोगों के लिए नि:स्वार्थ भाव से सेवा कर रहा है. हमारे राजनेताओं को मतीन भाई जैसे लोगों से सबक लेना चाहिए.

खुद भरते हैं पानी, किसी के साथ भेद-भाव नहीं

बताते चलें कि बूंद-बूंद के लिए तरह से रहे लातूर में रोज सुबह लोग बाल्टियों, डिब्बों के साथ शेख मतीन के घर पहुंच जाते हैं और उनके घर के आगे भी उसी तरह से एक लंबी लाइन लग जाती है, जैसे कि लोग टैंकरों से पानी लेने के लिए लगाते हैं. लातूर में पानी के लिए मारा-मारी मची हुई है, लेकिन मतीन लोगों को पानी देने में किसी तरह का भेदभाव नहीं करते. उनके लिए हर आदमी खुदा का बंदा है जिसकी सेवा करके वह खुद को धन्य समझ रहे हैं. वह तीन महीनों से लोगों को जल संकट से उबरने में मदद कर रहे हैं. वह खुद अपनी बोरवेल से पानी खींचते हैं और जो लोग अपने बाल्टी और कंटेनरों के साथ एक कतार में खड़े रहते हैं, उन्हें पानी देते हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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