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चीन ने कहा, सैन्य इस्तेमाल के लिए नहीं है पाकिस्तान जा रहे चीनी जहाज से जब्त ‘ऑटोक्लेव’

भारतीय कस्टम अधिकारियों ने बीते दिनों चीन से पाकिस्तान के कराची स्थित कासिम बंदरगाह जा रहे एक जहाज को गुजरात के कांडला बंदरगाह पर जब्त कर लिया. इस जहाज में भारतीय अधिकारियों को कई ऐसे संदिग्ध सामान मिले, जिसे जहाज से उतारकर गोदाम में रख लिया गया. गुरुवार को चीन ने अपनी सफाई में बयान जारी किया है कि जहाज से जब्त वस्तुओं में से कोई भी सामान ऑटोक्लेव नहीं है.

बीजिंग : चीन ने गुरुवार को कहा कि कांडला बंदरगाह पर पाकिस्तान जाने वाले एक चीनी जहाज से जब्त औद्योगिक ‘ऑटोक्लेव’ असल में ‘हीट ट्रीटमेंट फर्निस शेल सिस्टम’ है. चीन ने कहा कि जब्त ‘ऑटोक्लेव’ अप्रसार और निर्यात नियंत्रण के तहत दोहरे इस्तेमाल वाली सामग्री नहीं है, जैसा कि भारतीय अधिकारियों का आरोप है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि चीनी जहाज ‘डा कुई युन’ से जब्त औद्योगिक ‘ऑटोक्लेव’ का इस्तेमाल लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल या सेटेलाइट प्रक्षेपण रॉकेटों के निर्माण में हो सकता है.

इस बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि यह सैन्य इस्तेमाल के लिए नहीं है. झाओ ने कहा कि चीन ने संबंधित खबरों का संज्ञान लिया है. जिम्मेदार देश होने के नाते चीन सख्ती से अंतरराष्ट्रीय अप्रसार की प्रतिबद्धताओं और अंतरराष्ट्रीय संकल्पों को पूरा कर रहा है.

उन्होंने कहा कि जानकारी मंगाने पर हमें पता चला कि असल में यह वस्तु ‘हीट ट्रीटमेंट फर्नेस शेल सिस्टम’ है. इसका उत्पादन चीन में एक निजी कंपनी ने किया है. यह सैन्य इस्तेमाल के लिए नहीं है. यह अप्रसार और निर्यात नियंत्रण के तहत दोहरे इस्तेमाल की सामग्री नहीं है. उन्होंने कहा कि चीनी मालवाहक जहाज और उसके मालिक ने कहा है कि भारतीय अधिकारियों को पहले ही सच बता दिया गया. इसलिए इसमें कुछ छिपाने की बात ही नहीं है.

खबरों में कहा गया है कि गुजरात के कांडला बंदरगाह पर कस्टम ने तीन फरवरी को हांगकांग का झंडा लगे जहाज को पकड़ा. यह जहाज कराची के कासिम बंदरगाह जा रहा था. चीनी जहाज के सामान को उतारा गया और बंदरगाह पर गोदाम में रखा गया है.

KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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