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चीन के खिलाफ US समेत 8 देशों का गठबंधन तैयार, बौखलाहट में बोला चीन-अब 19वीं सदी वाली नहीं है स्थिति

कोविड-19 महामारी, दक्षिण चीन सागर, सीपीईसी और हांगकांग विवाद के बीच चीन के खिलाफ दुनियाभर के आठ देशों ने आपस में मिलकर एक गठबंधन तैयार किया है और उसका नाम चीन पर अंतर-संसदीय गठबंधन(आईपीएसी) नाम दिया है. अब आठ देशों का यही गठबंधन चीन पर नकेल कसने का काम करेगा. हालांकि, चीन इस गठबंधन को फर्जी करार दिया है और उसने कहा कि 20वीं सदी की तरह उसे अब परेशान नहीं किया जा सकेगा. उसने कहा कि पश्चिम के नेताओं को शीतयुद्ध वाली सोच से बाहर आ जाना चाहिए.

पेइचिंग/वॉशिंगटन : कोविड-19 महामारी, दक्षिण चीन सागर, सीपीईसी और हांगकांग विवाद के बीच चीन के खिलाफ दुनियाभर के आठ देशों ने आपस में मिलकर एक गठबंधन तैयार किया है और उसका नाम चीन पर अंतर-संसदीय गठबंधन(आईपीएसी) नाम दिया है. अब आठ देशों का यही गठबंधन चीन पर नकेल कसने का काम करेगा. हालांकि, चीन इस गठबंधन को फर्जी करार दिया है और उसने कहा कि 20वीं सदी की तरह उसे अब परेशान नहीं किया जा सकेगा. उसने कहा कि पश्चिम के नेताओं को शीतयुद्ध वाली सोच से बाहर आ जाना चाहिए.

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ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के आधार पर भारतीय मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर चीन को मात देने के लिए शुक्रवार को आईपीएसी गठबंधन तैयार किया गया है. इसमें अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन, नॉर्वे और यूरोप की संसद के सदस्य शामिल हैं. इस गठबंधन का मकसद चीन से जुड़े मुद्दों पर सक्रियता से रणनीति बनाकर सहयोग के साथ उचित प्रतिक्रिया देना है. चीन के आलोचक और अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर मार्को रूबियो आईपीएसी के उपाध्यक्षों में से एक हैं.

रूबियो ने कहा है कि वामदलों के शासनकाल में चीन पूरी दुनिया के सामने चुनौती पेश कर रहा है. चीन के खिलाफ बने इस नये गठबंधन का यह भी कहना है कि उसके खिलाफ खड़े होने वाले देशों को उसका मुकाबला अकेले करना पड़ता है और सबको बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ती है. कोरोना वायरस के फैलने के बाद से चीन और अमेरिका के बीच संबंधों में तनाव बढ़ता जा रहा है, जिसका असर दोनों के कारोबार और पर्यटन पर भी पड़ने लगा है.

उधर, चीन में इन 8 देशों के गठबंधन की तुलना 19वीं सदी में ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, रूस, जापान, इटली और ऑस्ट्रिया-हंगरी के ‘8 राष्ट्रों के गठबंधन’ से की जा रही है. चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, तब इन देशों की सेनाओं ने पेइचिंग और दूसरे शहरों में लूटपाट मचायी थी और साम्राज्यवाद के खिलाफ चल रहे ईहेतुआन आंदोलन को दबाने की कोशिश की थी.

उधर, भारत-चीन में सीमा पर जारी तनाव के बीच शनिवार को दोनों पक्षों की तरफ से लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत हुई. भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया कि बातचीत खत्म होने के बाद 14 कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह की अगुआई में प्रतिनिधिमंडल लेह लौट गया है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सीमा पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए दोनों देशों के बीच यह पहली बड़ी कोशिश थी. दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत का सिलसिला अब भी जारी रहेगा.

Posted By : Vishwat Sen

Prabhat Khabar Digital Desk
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