Pakistan on America: ईरान पर अमेरिकी हमले से पाकिस्तान नाराज है. पाकिस्तान ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों की कड़ी निंदा की है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पर पोस्ट कर कहा कि अमेरिका ने हवाई हमले कर अंतरराष्ट्रीय कानून की अवहेलना की है. संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत ईरान के पास अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है. बता दें, रविवार देर रात अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख न्यूक्लियर ठिकानों पर ताबड़तोड़ हमले किए. इस हमले से मिडिल ईस्ट में तनाव और बढ़ गया है.
अमेरिकी हमलों पर पाकिस्तान ने जताई चिंता
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी हमलों पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे मिडिल ईस्ट में और तनाव बढ़ेगा. अपने पोस्ट में विदेश मंत्रालय ने कहा कि इन हमलों से जो हालात बन रहे हैं वो काफी चिंताजनक है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने कहा है मिडिल ईस्ट में शांति कायम हो, उसने इजराइल और ईरान दोनों से शांति बरतने की अपील की है.
पाकिस्तान ने की अमेरिका की निंदा
पाकिस्तान में अमेरिका की निंदा ऐसे समय में की है जब कुछ ही दिन पहले पाकिस्तानी सेना अध्यक्ष आसिम मुनीर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जमकर तारीख करते हुए उनके लिए नोबेल नोबेल शांति पुरस्कार की बात कह दी थी. लेकिन, रविवार की रात जैसे ही अमेरिकी ने ईरान पर हमला किया पाकिस्तान की चाल बदल गई. इस्लामाबाद ने अमेरिकी राष्ट्रपति की घोर निंदा की है.
अमेरिका ने किया ईरान पर हमला
इससे पहले रविवार तड़के अमेरिकी ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम साइट पर जोरदार हमला किया. ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर अमेरिकी हमले से खासी तबाही मची है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ईरान के परमाणु केंद्र पूरी तरह से नष्ट कर दिए गए हैं, इसके साथ ही अमेरिकी ने चेतावनी दी है कि अगर ईरान पलटवार करते है तो अमेरिकी ईरान पर और तेज हमले करेगा.
आगे की कार्रवाई के लिए अमेरिका होगा जिम्मेदार
अमेरिकी हमलों के बाद ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने रविवार को कहा कि उनका देश अपने विभिन्न परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमलों के जवाब में आगे जो भी कार्रवाई करेगा उसके लिए वाशिंगटन पूरी तरह जिम्मेदार होगा. उन्होंने कहा कि उनके परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी हमले के बाद कोई कूटनीतिक रास्ता नहीं बचा है. अरागची ने इस्तांबुल में मीडिया से बात करते हुए कहा कि ऐसी कोई लक्ष्मण रेखा अब नहीं बची है जिसे अमेरिका ने पार नहीं किया है. उन्होंने कहा कि हालांकि कूटनीतिक रास्ते हमेशा खुला रहने चाहिए, लेकिन अब ऐसा नहीं है.