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Shinzo Abe अपनी हिम्मत के लिए किये जाएंगे याद, बना रहे थे चीन के मुकाबिल नया जापान

जापान के प्रधानमंत्री के रूप में सबसे लंबे समय तक सेवा देनेवाले शिंजो आबे को इकोनॉमी को उबारने के प्रयासों के अलावा, जापान की सैन्य क्षमता बढ़ाने और चीन के बढ़ते दबदबे का कड़ा विरोध करने के लिए जाना जाता है.

Shinzo Abe Major Accomplishments: जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे शुक्रवार को गोली लगने के बाद जिंदगी की जंग हार गए. वह जापान के नारा शहर में एक चुनाव प्रचार कार्यक्रम के दौरान सड़क पर लोगों को संबोधित कर रहे थे. इसी दौरान एक हमलावर ने पीछे से उनपर गोली चला दी. गोली लगने के फौरन बाद उन्हें कार्डियक अरेस्ट भी आया. शिंजो आबे को एयर एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के क्रम में उन्होंने दम तोड़ दिया. इस अप्रत्याशित घटना से पूरी दुनिया स्तब्ध है.

आक्रामक नेता की छवि

67 साल के शिंजो आबे लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी पार्टी से जुड़े थे. शिंजो को एक आक्रामक नेता के तौर पर जाना जाता है. वह पहली बार साल 2006 में पीएम बने थे, लेकिन आंत से जुड़ी बीमारी अल्सरेटिव कोलाइटिस की वजह से उन्होंने साल 2007 में प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद साल 2012 में शिंजो आबे फिर से जापान के प्रधानमंत्री बने. उनका कार्यकाल साल 2020 तक चला, जब उन्होंने एक बार फिर से स्वास्थ्य कारणों को हवाला देते हुए अपना पद छोड़ दिया. जापान के प्रधानमंत्री के रूप में सबसे लंबे समय तक सेवा देनेवाले शिंजो आबे को इकोनॉमी को उबारने के प्रयासों के अलावा, जापान की सैन्य क्षमता बढ़ाने और चीन के बढ़ते दबदबे का कड़ा विरोध करने के लिए जाना जाता है.

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सियासी परिवार से ताल्लुक

राजनीति में उतरने से पहले फिल्मों में काम कर चुके शिंजो आबे जापान के एक बड़े राजीतिक परिवार में जन्मे थे. उनके परिवार में पहले से ही जापान को दो प्रधानमंत्री मिल चुके थे. शिंजो आबे के दादा नोबुसुके किशी (Nobusuke Kishi) जापान के पीएम रह चुके हैं. इसके अलावा, शिंजो आबे के पिता शिंटारो आबे (Shintaro Abe) साल 1982-86 तक जापान के विदेश मंत्री रहे थे. वहीं, शिंजो के चाचा भी पीएम रह चुके हैं. शिंजो आबे लगातार 2803 दिनों (7 साल 6 महीने) तक प्रधानमंत्री रहे. इससे पहले यह रिकॉर्ड उनके चाचा इसाकु सैतो (Isaku Saito) के नाम था.

शिंजो आबे इन उपलब्धियों के लिए याद किये जाएंगे

फोर्ब्स पत्रिका ने साल 2018 में शिंजो आबे को दुनिया का 38वां सबसे ताकतवर व्यक्ति माना था. दूसरे विश्व युद्ध में हार के बाद जापान के ऊपर कई पाबंदियां लगायी गई थीं, जिनमें से एक शर्त सैन्य शक्ति पर लगाम लगाने की भी थी. आबे जापान के पहले प्रधानमंत्री हुए, जिन्होंने बदलने का साहस दिखाया. चीन और उत्तर कोरिया जैसे पड़ोसियों के खतरे को महसूस करते हुए और उनकी आक्रामक नीतियों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने जापान की सैन्य ताकत को पटरी पर लाने की शुरुआत की. चीन को काबू में रखने के लिए जापान के साथ भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर जिस क्वाड का गठन किया है, इसमें भी आबे का बड़ा योगदान है. आबे भले ही अब इस दुनिया में न रहें, लेकिन उन्हें एक दूरदर्शी नेता के तौर पर हमेशा याद किया जाएगा.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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