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Army: 9 साल के बच्चे सेना में हो रहे शामिल, लेकिन क्यों, वजह जान कांप उठेगा कलेजा

Army: बच्चों के हाथ में किताब की जगह बंदूक, सपनों की जगह जंग… मासूमों को बना दिया गया सैनिक, मां-बाप बेबस हैं। कौन उठा रहा है इन नन्हे कंधों पर जंग का बोझ?

Army: कोलंबिया में विद्रोही गुट नेशनल लिबरेशन आर्मी (ELN) के साथ शांति वार्ता विफल हो चुकी है. इसके बाद देश एक बार फिर हिंसा के दौर में लौट आया है. पिछले कुछ महीनों में कोलंबिया सरकार और सशस्त्र संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत और युद्धविराम की कोशिशें की गईं, लेकिन सब व्यर्थ रहीं. अब हालात इतने बिगड़ गए हैं कि विद्रोही संगठन मासूम बच्चों को जबरन अगवा करके अपनी सेना में भर्ती कर रहे हैं.

कोलंबिया में सशस्त्र आपराधिक संगठन अब बच्चों को अगवा कर रहे हैं और उन्हें बाल सैनिक बना रहे हैं. इससे माता-पिता में डर और चिंता बढ़ गई है कि कब उनका बच्चा गायब हो जाए. हालात इतने गंभीर हैं कि सरकार अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठा पाई है. नाबालिगों की यह जबरन भर्ती मानवीय त्रासदी का रूप ले चुकी है.

2016 के बाद सबसे बुरा दौर

अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति (ICRC) की 2024 की वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि 2016 में क्रांतिकारी सशस्त्र बल (FARC) के साथ हुए शांति समझौते के बाद यह कोलंबिया का सबसे खराब मानवीय संकट है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सशस्त्र गुट तेजी से बच्चों को अपनी फौज में शामिल कर रहे हैं. देश की 58% आबादी इस प्रवृत्ति को अपने समुदायों के लिए सबसे बड़ा खतरा मानती है.

मां की पीड़ा 

कतर के अल- जजीरा की रिपोर्ट में कोलंबिया की एक महिला मार्टा की कहानी सामने निकल कर आई है, जिन्होंने तीन महीने पहले अपने 14 साल के बेटे को आखिरी बार देखा था. मार्टा का बेटा विद्रोही गुटों द्वारा अगवा कर लिया गया और अब वह बाल सैनिक बन गया है. मार्टा ने सड़क पर अपने बेटे को बंदूक थामे विद्रोही वर्दी में मार्च करते देखा. जब उन्होंने बेटे को छुड़ाने की कोशिश की, तो उन्हें धमकाया गया और गोली मारने की चेतावनी दी गई.

मार्टा अकेली नहीं हैं. पूर्वी कोलंबिया की एक और महिला ग्लोरिया ने बताया कि उनका 16 साल का बेटा जून में आधी रात अगवा कर लिया गया और उसे भी एक सशस्त्र संगठन में शामिल कर लिया गया. देश भर में ऐसे सैकड़ों मामले सामने आ रहे हैं.

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चौंकाने वाले आंकड़े 

इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप (ICG) के आंकड़ों के अनुसार, 2021 से 2024 के बीच बच्चों की भर्ती में 1,000% से अधिक की वृद्धि हुई है. 2021 में जहां 37 बच्चों को भर्ती किया गया था, 2024 में यह संख्या बढ़कर 409 तक पहुंच गई. हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि असल संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है.

बच्चों को मिलती है सिर्फ बुनियादी ट्रेनिंग

ICG की वरिष्ठ विश्लेषक एलिजाबेथ डिकिंसन के मुताबिक, इन बच्चों को बहुत ही कम ट्रेनिंग दी जाती है और उन्हें कोलंबियाई सेना के खिलाफ संघर्षों की पहली पंक्ति में झोंक दिया जाता है. बच्चों का इस्तेमाल बड़े अपराधियों की सुरक्षा के लिए भी किया जाता है. डिकिंसन बताती हैं कि पिछले साल भारी संख्या में बच्चे इन संघर्षों में मारे गए, लेकिन नागरिक और सैनिक मौतों में भेद न किए जाने के कारण सटीक आंकड़ा नहीं मिल पाता.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में 262 बच्चों को भर्ती किया गया था, जिनमें 176 लड़के और 86 लड़कियां थीं. इनमें से 14 की मौत हो चुकी है. 112 बच्चे या तो भाग निकले या रिहा किए गए, जबकि 38 को युद्ध में इस्तेमाल किया गया.

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कौन कर रहा है भर्ती?

रिपोर्ट बताती है कि इन 262 बच्चों में से 186 को FARC के अलग-अलग असंतुष्ट गुटों ने भर्ती किया है. पीपुल्स आर्मी के असंतुष्ट गुटों ने 41 बच्चों को, ELN ने 22 बच्चों को और गल्फ क्लान ने अन्य बच्चों को अपनी सेना में शामिल किया गया है.

डिकिंसन के अनुसार, कई मामलों में नाबालिग खुद ही इन संगठनों के बहकावे में आ जाते हैं. उन्हें टिकटॉक, व्हाट्सऐप और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स पर बंदूक, मोटरसाइकिल और पैसे वाले वीडियो दिखाकर लुभाया जाता है. लड़कियों को सशक्तिकरण, शिक्षा और यहां तक कि कॉस्मेटिक सर्जरी का भी लालच दिया जाता है.

 बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार की निष्क्रियता चिंता का विषय बन चुकी है. शांति प्रक्रिया की विफलता और सुरक्षा बलों की कमजोर प्रतिक्रिया ने अपराधियों के हौसले बढ़ा दिए हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि हालात अगर ऐसे ही रहे, तो आने वाली पीढ़ियों को बाल्यावस्था में ही युद्ध की बलि चढ़ा दिया जाएगा.

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