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गली-मोहल्ले के उटपटांग Speed Breaker दे रहे हैं तकलीफ, तो यहां करें शिकायत

Speed Breaker Rules: रिहाइशी इलाकों में अगर स्पीड ब्रेकर बनाया जाता है, तो उसके लिए लोक निर्माण विभाग या नगर निगम से अनुमति लेनी होती है. अगर आप अपने गली-मोहल्ले के उटपटांग स्पीड ब्रेकरों से परेशान हैं, तो उसकी भी शिकायत की जा सकती है.

Speed Breaker Rules: गाड़ियों की स्पीड को कम करने के लिए सड़कों पर स्पीड ब्रेकर बनाए जाते हैं. लेकिन, गली-मोहल्ले में उटपटांग तरीके से बनाए गए स्पीड ब्रेकर लोगों की परेशानी का सबब भी बन जाते हैं. इस प्रकार के स्पीड ब्रेकर मानकों के अनुकूल नहीं होते हैं, जिससे गाड़ी चलाने वाले या सवारियों को ही परेशान नहीं होती. उससे पैदल चलने वालों की भी परेशानी बढ़ जाती है. अगर आपके गली-मोहल्ले में इस प्रकार के उटपटांग स्पीड ब्रेकर बनाए गए हैं, तो आप उसकी भी शिकायत कर सकते हैं. लेकिन, इससे पहले यह जान लेना जरूरी है कि स्पीड ब्रेकर बनाने के मानक क्या हैं?

क्या हैं स्पीड ब्रेकर बनाने के नियम

भारत में इंडियन रोड कांग्रेस (आईआरसी) की ओर से स्पीड ब्रेकर बनाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. आईआरसी की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी सड़क पर आदर्श स्पीड ब्रेकर की ऊंचाई 10 सेंटीमीटर, लंबाई 3.5 मीटर और वृत्ताकार क्षेत्र (कर्वेचर रेडियस) 17 मीटर होना चाहिए. इसके साथ ही, ड्राइवर को स्पीड ब्रेकर की जानकारी देने के लिए स्पीड ब्रेकर से करीब 40 मीटर पहले एक चेतावनी बोर्ड या साइन बोर्ड लगा होना चाहिए.

स्पीड ब्रेकर बनाने का क्या है उद्देश्य

भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में सड़क हादसों के पीछे गाड़ियों की स्पीड बड़ा कारण होती है. हाई स्पीड में गाड़ियां अनियंत्रित होकर हादसे की शिकार बन जाती हैं. सड़कों पर स्पीड ब्रेकर बनाने का उद्देश्य गाड़ियों की रफ्तार को 20 से 30 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंचाना है, ताकि सड़क हादसों के खतरे कम किया जा सके.

उटपटांग स्पीड ब्रेकर बनाना अवैध

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपीय देशों में रिहाइशी कॉलोनियों में तकरीबन 80 मीटर की दूरी पर स्पीड ब्रेकर बनाने का नियम है, लेकिन भारत में इसके लिए कोई मानक तय नहीं है. हालांकि, रिहाइशी इलाकों में अगर स्पीड ब्रेकर बनाया जाता है, तो उसके लिए लोक निर्माण विभाग या नगर निगम से अनुमति लेनी होती है. लोक निर्माण विभाग के निर्देशों के अनुसार, भारत के किसी भी शहरों की गलियों भी मोटे-मोटे स्पीड ब्रेकर कानूनी तौर पर गलत है.

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उटपटांग स्पीड ब्रेकरों की कहां करें शिकायत

अगर आप अपने गली-मोहल्ले के उटपटांग स्पीड ब्रेकरों से परेशान हैं, तो उसकी भी शिकायत की जा सकती है. इसके लिए आप राज्य के लोक निर्माण विभाग, नगर निगम या फिर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के हेल्पलाइन नंबर पर फोन कर सकते हैं. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के हेल्पलाइन नंबर +91-11-28042710 या +91-020- 67345300 पर फोन कर इसकी शिकायत कर सकते हैं.

स्पीड ब्रेकर बनाने के मानक क्या हैं?

आदर्श स्पीड ब्रेकर की ऊंचाई 10 सेंटीमीटर, लंबाई 3.5 मीटर, और वृत्ताकार क्षेत्र (कर्वेचर रेडियस) 17 मीटर होनी चाहिए।

स्पीड ब्रेकर की चेतावनी साइन कब और कहां लगानी चाहिए?

स्पीड ब्रेकर से लगभग 40 मीटर पहले चेतावनी बोर्ड या साइन बोर्ड लगाना आवश्यक है।

स्पीड ब्रेकर का उद्देश्य क्या है?

इसका मुख्य उद्देश्य गाड़ियों की गति को 20 से 30 किलोमीटर प्रति घंटा तक कम करना है, जिससे सड़क हादसों का खतरा कम किया जा सके।

किसके द्वारा स्पीड ब्रेकर बनाने के लिए अनुमति लेनी होती है?

रिहाइशी इलाकों में स्पीड ब्रेकर बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग या नगर निगम से अनुमति लेनी होती है।

यदि स्पीड ब्रेकर मानकों के अनुसार नहीं हैं, तो कहां शिकायत कर सकते हैं?

आप राज्य के लोक निर्माण विभाग, नगर निगम या केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत कर सकते हैं।

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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