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IT ऑफिसर के रजिस्ट्रेशन नंबर पर स्कूटर चला रही थी महिला, दनादन चालान का मैसेज देखकर उड़ गए होश

मुंबई के आयकर विभाग में काम करने वाले संजय ठाकुर काटेकर ने 2017 में अपनी पत्नी के नाम पर स्कूटर खरीदा. इस स्कूटर को खरीदने के बाद उनकी पत्नी कभी-कभार ही घर से बाहर निकली होंगी, लेकिन अभी हाल ही में यातायात नियमों के उल्लंघन को लेकर उनके पास मुंबई ट्रैफिक पुलिस की ओर से ई-चालन के मैसेज आने लगे.

Fake Vehicle Registration Number: अगर आपके पास गाड़ी है, तो आप सावधान हो जाएं. फर्जीवाड़ा करने वाले लोग आपकी गाड़ी के रजिस्ट्रेशन का गलत तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराने और ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वाले दलालों की भूमिका अधिक होती है. बाद में जब इस फर्जीवाड़े का खुलासा होता है, तो फिर गलत रजिस्ट्रेशन नंबर का इस्तेमाल करने वाले वाहन मालिक को जलीलत का सामना करना पड़ता है. देश में वाहनों के फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर के कई मामले सामने आ चुके हैं. एक मामला इसी हफ्ते भारत की औद्योगिक राजधानी मुंबई में सामने आया है. यहां पर काम करने वाले आयकर विभाग के एक अधिकारी की पत्नी के स्कूटर का रजिस्ट्रेशन नंबर का फर्जी तरीके से कोई और महिला इस्तेमाल कर रही थी. मामले का खुलासा होने पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

क्या है मामला

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई के आयकर विभाग में काम करने वाले संजय ठाकुर काटेकर ने 2017 में अपनी पत्नी के नाम पर स्कूटर खरीदा. इस स्कूटर को खरीदने के बाद उनकी पत्नी कभी-कभार ही उसे लेकर घर से बाहर निकली होंगी, लेकिन अभी हाल ही में यातायात नियमों के उल्लंघन को लेकर उनके पास मुंबई ट्रैफिक पुलिस की ओर से ई-चालन के मैसेज आने लगे. हालांकि, उन्हें यातायात नियमों के उल्लंघन को लेकर जानकारी नहीं थी. इसलिए उन्हें किसी प्रकार का संदेह नहीं हुआ, क्योंकि ट्रैफिक पुलिस की ओर से आने वाले मैसेज में उनकी पत्नी के स्कूटर का नंबर था. एक सभ्य नागरिक की तरह उन्होंने जुर्माने की रकम चुका दी.

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जुर्माना भरने के बाद फिर आने लगे मैसेज

मामला यहीं नहीं रुका. यातायात नियमों के उल्लंघन को लेकर आयकर विभाग के अधिकारी संजय ठाकुर काटेकर द्वारा जुर्माने की रकम चुकाने के बाद उनके पास फिर से ट्रैफिक पुलिस की ओर से दनादन मैसेज आने लगे और जुर्माने की रकम करीब 3800 रुपये तक पहुंच गई. यह देखकर उनका माथा ठनका. इसके बाद उन्होंने ट्रैफिक पुलिस से संपर्क किया. इसी बीच, उनके पास लोक अदालत में पेश होने संबंधी नोटिस भी मिला. इसके बाद उन्होंने फैसला किया कि जब वे अपने स्कूटर का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, तो यातायात नियमों का उल्लंघन का मामला कहां से आ रहा है. उन्होंने सोचा कि एक-दो बार गलती से नियमों उल्लंघन हो सकता है, लेकिन बार-बार तो ऐसा नहीं हो सकता है. सबसे बड़ी बात है कि उनका स्कूटर घर से निकलता नहीं, तो चालान कैसे कट रहे हैं. उनके मन में आशंका हुई कि कहीं उनकी गाड़ी का नंबर कोई दूसरा आदमी इस्तेमाल तो नहीं कर रहा है? इसलिए, उन्होंने इसे पता लगाने की ठानी.

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फर्जीवाड़े का ऐसे लगाया पता

इसके बाद संजय ठाकुर काटेकर ई-चालान का ब्योरा लेकर दक्षिण मुंबई के थाने पहुंच गए. काफी छान-बीन करने के बाद पता चला कि उनके स्कूटर के नंबर का इस्तेमाल दक्षिण मुंबई के सीपी टैंक में रहने वाली कोई 43 साल की महिला कर रही है. महिला का पता लगने के बाद पुलिस उस स्थान पर पहुंची, जहां वह महिला रहती थी. मौके पर पहुंचने के बाद उसकी पहचान पीनल नवीनभाई पारिख के तौर पर हुई. आजाद मैदान पुलिस ने तत्काल उसे गिरफ्तार कर लिया.

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गिरफ्तार पुलिस ने मामला किया दर्ज

आजाद मैदान पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि आजाद मैदान ट्रैफिक डिवीजन के ट्रैफिक पुलिसकर्मी सुनील मांजरेकर की शिकायत पर हमने पीनल नवीनभाई पारिख के खिलाफ धारा 420 (धोखाधड़ी), 473 (नकली मुहर बनाना या रखने आदि के इरादे से) के तहत मामला दर्ज किया है. इसके अलावा, भारतीय दंड संहिता की धारा 482 (झूठे संपत्ति चिह्न का इस्तेमाल करने के लिए सजा) और धारा 483 (किसी अन्य द्वारा उपयोग किए गए संपत्ति चिह्न की जालसाजी करना) और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 179 (आदेशों की अवज्ञा, बाधा और जानकारी से इनकार) के तहत मामला दर्ज किया है. पुलिस के अनुसार, महिला ट्यूशन क्लास चलाती है और प्रथम दृष्टया उसने ई-चालान से बचने के लिए किसी और के रजिस्ट्रेशन नंबर का इस्तेमाल किया. हालांकि, गुरुवार को निचली अदालत ने पीनल नवीनभाई पारीख जमानत दे दी.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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