अनुचित उचित रही लुध, करहि बड़ेन के जोर !
ज्यों ससि के संयोग ते, पचवत आगि चकोर !!
अर्थात
महान् लोगों का सहयोग और समर्थन पाकर कभी-कभी छोटे लोग भी बड़े-बड़े काम कर जाते हैं. जैसे चंद्रमा के प्रेम में स्वंय को भूलकर चकोर अंगारे खाकर पचा लेता है.
अनुचित उचित रही लुध, करहि बड़ेन के जोर !
ज्यों ससि के संयोग ते, पचवत आगि चकोर !!
अर्थात
महान् लोगों का सहयोग और समर्थन पाकर कभी-कभी छोटे लोग भी बड़े-बड़े काम कर जाते हैं. जैसे चंद्रमा के प्रेम में स्वंय को भूलकर चकोर अंगारे खाकर पचा लेता है.
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