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B positive : बहुत सारी अच्छी खबरें रोजाना आजकल सुनने और पढ़ने को मिल रही हैं, जबकि सिर्फ 4 महीने पहले तक रोज ये खबरें मिलती थीं कि कैसे लोग ग्रामीण इलाकों से शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं. गांव सिकुड़ रहे हैं और शहरों का विस्तार होकर कंक्रीट के नये जंगल बन रहे हैं.

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केस स्टडी 1

जापान में ग्रामीण परिवेश में (खासकर समुद्री इलाके में) सस्ती दर पर घर किराये पर उपलब्ध है. बहुत सारे लोग टोक्यो जैसे महानगर से सपरिवार शिफ्ट कर अपने काम से वहीं से जुड़ कर बेहतर जीवन जीने की कोशिश कर रहे हैं.

केस स्टडी 2

तमिलनाडु में टेक्नोलॉजी की कुछ कंपनियों ने ग्रामीण इलाकों में अपना दफ्तर बनाना शुरू किया है और बड़ी संख्या में उसी इलाके की प्रतिभाओं को अपने यहां रोजगार देने का अभिनव प्रयोग शुरू किया है.

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केस स्टडी 3

लाखों- करोड़ों प्रवासी श्रमिकों ने लॉकडाउन के बाद अपने पैतृक गांवों की तरफ वापसी की. संभव है कि रोजी-रोजगार नहीं मिले, तो फिर से वो महानगरों की तरफ रुख करें, लेकिन इनमें से लाखों ऐसे हैं, जिन्हें काम- धंधे का जुगाड़ अगर उनके गांव में ही हो जाये, तो वो अपने परिवेश में ही रहने को इच्छुक हैं. इनमें से बहुत सारे लोगों ने व्हाट्सएप और सोशल मीडिया के माध्यम से अपने हुनर की मार्केटिंग शुरू कर दी है, ताकि बाजार की तलाश की जा सके.

केस स्टडी 4

किसानों के उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार का ई- नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार पोर्टल) पोर्टल है, लेकिन राज्य में कोरोना संकट से पहले इसका इस्तेमाल कम ही हो पाता था. लॉकडाउन के बाद गुमला, रामगढ़, हजारीबाग और झारखंड के कई अन्य जिलों में बीन, टमाटर, तरबूज और अन्य कई पैदावारों की मार्केटिंग के लिए किसान ई-नाम पोर्टल से खुद को रजिस्टर कर रहे हैं और खेतों से ही अच्छे दामों में अपनी पैदावार की बिक्री कर रहे हैं.

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इस तरह की बहुत सारी अच्छी खबरें रोजाना आजकल सुनने और पढ़ने को मिल रही हैं, जबकि सिर्फ 4 महीने पहले तक रोज ये खबरें मिलती थीं कि कैसे लोग ग्रामीण इलाकों से शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं. गांव सिकुड़ रहे हैं और शहरों का विस्तार होकर कंक्रीट के नये जंगल बन रहे हैं.

आज कोरोना संक्रमण के कारण जीना मुहाल हो गया है और जिंदगी घरों की चहारदीवारी में कैद सी हो गयी है. ऐसे वक्त में लोग अपने को कैद से मुक्त करना चाहते हैं. खुल कर जीना चाहते हैं. अपने और पूरे परिवार के स्वास्थ्य की सलामती चाहते हैं. टेक्नोलॉजी ने इंसान की चाहत के लिए उत्प्रेरक का काम किया है. आज वर्क फ्रॉम होम से एक कदम आगे वर्क फ्रॉम विलेज की तरफ इंसान के कदम बढ़ चले हैं.

Vijay Bahadur
Vijay Bahadur
प्रभात खबर के वाईस प्रेसिडेंट हैं और बी पॉजिटिव कॉलम के लेखक और पॉजिटिव वीडियो के क्रिएटर और यूट्यूबर हैं . उनके सोचने का नज़रिया सकारात्मक है और उनके जीवन का मूलमंत्र है . Think Positive Act Positive Be Positive…

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