Parsa Vidhan Sabha: बिहार के सारण जिले की परसा विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में एक अहम भूमिका निभाती है. यह सीट जातीय समीकरण और राजनीतिक विरासत के कारण अक्सर चर्चा में रहती है. वर्त्तमान में यहां आरजेडी के छोटे लाल राय विधायक है, जिन्होंने 2020 के चुनाव में जदयू के दिग्गज नेता चंद्रिका राय को हराया था. चंद्रिका राय पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय के पुत्र हैं और लालू प्रसाद यादव के समधी भी रह चुके हैं. छोटे लाल राय की जीत ने यह साबित कर दिया कि परसा सीट पर यादव-मुस्लिम समीकरण अब भी प्रभावी है.
क्षेत्र का जातीय समीकरण
इस क्षेत्र में यादव, मुस्लिम, कुशवाहा और दलित मतदाताओं की संख्या निर्णायक मानी जाती है. यादव और मुस्लिम वोटबैंक पर राजद का मजबूत पकड़ है, जबकि कुशवाहा और सवर्ण वर्ग पर भाजपा और जदयू की पकड़ रही है. धार्मिक रूप से यहां हिंदू मेजोरिटी क्षेत्र है लेकिन मुस्लिम आबादी भी 10-12 प्रतिशत के करीब है, जो चुनावों में अहम भूमिका निभाते हैं. वहीं जाति की बात करें तो यादवों की संख्या सबसे अधिक है जिसके बाद कुशवाहा, दलित और अन्य पिछड़े वर्ग आते हैं.
क्यों राजद से निकले चंद्रिका राय
चंद्रिका राय का 2020 में RJD से जाना राजनीतिक गलियारों में बड़ी चर्चा का विषय बना था. दरसअल मामला तब बिगड़ गया था जब उनकी बेटी ऐश्वर्या राय और तेज प्रताप यादव के वैवाहिक विवाद ने पारिवारिक रिश्तों को सार्वजनिक कर दिया. चंद्रिका राय इस विवाद के कारण राजद के नेतृत्व से नाराज हो गए. उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी ने उनके सम्मान और बेटी के पक्ष को नजरअंदाज किया. इसी नाराजगी के चलते उन्होंने RJD छोड़कर जनता दल यूनाइटेड (JDU) का दामन थाम लिया और 2020 में परसा से JDU उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा.
2025 के आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी परसा सीट पर तैयारी शुरू हो चुकी है. NDA और महागठबंधन दोनों अपने-अपने जातीय और सामाजिक समीकरण को साधने में लगे हैं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या छोटे लाल राय दोबारा वापसी कर पाएंगे या NDA इस सीट को जीतने में कामियाब होगी.
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