Riga Vidhan Sabha: बिहार के सीतामढ़ी जिले में स्थित रीगा विधानसभा सीट राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से एक अहम सीट मानी जाती है. यह सीट पहली बार 2010 में अस्तित्व में आई और तभी से यह राजनीतिक तौर पर चर्चाओं में रही है. यहां का मुकाबला हमेशा से भाजपा और कांग्रेस के बीच देखने को मिला है. जैसे-जैसे 2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो रीगा सीट पर भी सियासी हलचल तेज होती जा रही है.
2015 का रिजल्ट जानें
2015 में हालांकि कांग्रेस को सफलता मिली थी. तब अमित कुमार ने ही भाजपा के मोती लाल प्रसाद को 20856 वोटों के अंतर से हराया था. उस चुनाव में अमित कुमार को 79217 वोट, जबकि मोतीलाल प्रसाद को 58361 वोट मिले थे. वहीं तीसरे स्थान पर सीपीआई के अतुल बिहारी मिश्रा रहे थे, जिन्हें महज 4262 वोट मिले थे.
पहले चुनाव में क्या हुआ था
रीगा सीट पर पहला चुनाव 2010 में हुआ था, जिसमें भाजपा के मोतीलाल प्रसाद ने कांग्रेस के अमित कुमार को 22327 वोटों के अंतर से हराकर इस सीट का उद्घाटन किया था. उस चुनाव में मोती लाल को 48633 वोट, अमित कुमार को 26306 वोट और लोजपा की नगीना देवी को 18562 वोट मिले थे.
जातीय समीकरण और सियासी गणित
रीगा विधानसभा क्षेत्र में यादव, राजपूत और ब्राह्मण जातियों की आबादी सबसे अधिक है. इसके अलावा कोइरी समुदाय के वोटर भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यही वजह है कि जातीय समीकरण के आधार पर एनडीए, विशेषकर भाजपा को यहां बढ़त मानी जाती है. विकास के मोर्चे पर भी रीगा सीट का उल्लेख किया जा रहा है. हाल ही में रीगा चीनी मिल के दोबारा संचालन की शुरुआत हुई है, जिससे भाजपा को सियासी लाभ मिलने की उम्मीद है. स्थानीय जनता में इसका सकारात्मक असर देखा जा रहा है.
2025 में फिर दोहराई जाएगी पुरानी टक्कर?
ऐसे संकेत हैं कि भाजपा इस बार भी मोती लाल प्रसाद को ही मैदान में उतार सकती है, जिनकी पकड़ अब सीट पर मजबूत हो चुकी है. वहीं कांग्रेस से अमित कुमार एक बार फिर चुनावी रण में उतर सकते हैं, जो इस सीट से दो बार (2015 में जीत और अन्य दो बार करीबी हार) लड़ चुके हैं.
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