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बैंको में सरकारी हिस्सेदारी घटाकर 52 फीसदी तक लाने की योजना

नयी दिल्ली:वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की न्यूनतम हिस्सेदारी घटाकर 52 प्रतिशत करने की मंजूरी मंत्रिमंडल से हासिल करने को लेकर एक मसौदा नोट को अंतिम रूप देने जा रहा है. यह बैंकों में नई पूंजी डाले जाने के उपायों का हिस्सा है. वर्ष 2010 में तत्कालीन मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र के […]

नयी दिल्ली:वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की न्यूनतम हिस्सेदारी घटाकर 52 प्रतिशत करने की मंजूरी मंत्रिमंडल से हासिल करने को लेकर एक मसौदा नोट को अंतिम रूप देने जा रहा है. यह बैंकों में नई पूंजी डाले जाने के उपायों का हिस्सा है.

वर्ष 2010 में तत्कालीन मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की न्यूनतम हिस्सेदारी कम से कम 58 प्रतिशत करने का प्रस्ताव मंजूर किया था.
सूत्रों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की न्यूनतम हिस्सेदारी 58 प्रतिशत से घटाकर 52 प्रतिशत करने की मंजूरी मंत्रिमंडल से हासिल करने को लेकर एक मसौदा नोट को अंतिम रुप दिया जा रहा है. इस पर विभिन्न मंत्रलयों की प्रतिक्रिया लेने के लिये इसे जल्दी ही जारी किया जाएगा.
कानून के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सार्वजनिक क्षेत्र की प्रकृति बनाये रखने के लिये सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे नहीं आनी चाहिए. फिलहाल विभिन्न बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 56.26 प्रतिशत (बैंक आफ बडौदा) से लेकर 88.63 प्रतिशत (सेंट्रल बैंक आफ इंडिया) तक है.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बासेल तीन नियमों के अनुपालन के लिये 2.4 लाख करोड रपये की इक्विटी पूंजी की जरुरत होगी. चालू वित्त वर्ष में सरकार ने बैंकों में फिर से पूंजी डाले जाने के बाद 11,200 करोड रपये आवंटित किये हैं.
सरकार ने 2011 से 2014 के बीच 58,600 करोड रपये डाले हैं. सूत्रों ने कहा कि बासले तीन नियमों के अनुपालन को लेकर कोष जुटाने के मकसद से चालू वित्त वर्ष के दौरान एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) तथा पीएनबी पूंजी बाजार में जा सकते हैं.
एसबीआई में सरकार की 58.60 प्रतिशत हिस्सेदारी है. वहीं देश के दूसरे सबसे बडे बैंक पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में सरकार की हिस्सेदारी 58.87 प्रतिशत है.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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