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पेट्रोल-डीजल पर साथ आए अंबानी और अडानी, सरकारी कंपनियों को टक्कर देने की तैयारी

Adani-Ambani: मुकेश अंबानी और गौतम अडानी ने पेट्रोल-डीजल की खुदरा बिक्री में साझेदारी की है। Jio-bp और Adani Total Gas मिलकर एक-दूसरे के नेटवर्क का इस्तेमाल करेंगे। इस डील से निजी कंपनियां सरकारी तेल कंपनियों को कड़ी टक्कर देने की स्थिति में आ जाएंगी.

Adani-Ambani: भारत के दो सबसे बड़े उद्योगपतियों, मुकेश अंबानी और गौतम अडानी, ने देश के तेजी से बढ़ते ईंधन खुदरा कारोबार में हाथ मिलाया है. इस रणनीतिक साझेदारी के तहत दोनों कंपनियां एक-दूसरे के ईंधन स्टेशनों का इस्तेमाल करेंगी ताकि उपभोक्ताओं को एक ही स्थान पर पेट्रोल, डीज़ल और CNG जैसे विकल्प मिल सकें.

ATGL (Adani Total Gas Limited) के चुनिंदा ईंधन स्टेशनों पर अब Jio-bp का पेट्रोल और डीज़ल उपलब्ध होगा. वहीं, Jio-bp के कुछ आउटलेट्स पर ATGL की CNG यूनिट्स लगाई जाएंगी. ये सभी कार्य ATGL के अधिकृत भौगोलिक क्षेत्रों (GA) में होंगे.

दूसरी बार साथ आए Adani-Ambani

यह दोनों समूहों के बीच दूसरी बड़ी व्यावसायिक साझेदारी है. इससे पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने अडानी के 500 मेगावाट पावर प्रोजेक्ट में 26% हिस्सेदारी खरीदी थी. इस बार ईंधन क्षेत्र में यह तालमेल बाजार विस्तार और ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

Jio-bp ने 2021 में अगले 5 वर्षों में 5,550 ईंधन स्टेशनों तक पहुँचने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक वह लगभग 2,000 स्टेशनों तक ही पहुँच पाई है. यह साझेदारी उस लक्ष्य को जल्द पाने में सहायक हो सकती है

निजी कंपनियों की बढ़ती हिस्सेदारी और सरकारी कंपनियों की चुनौती

हाल के महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है, लेकिन इसके बावजूद भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीज़ल के खुदरा दामों में कोई खास कटौती नहीं की है. इस मूल्य अंतर का फायदा निजी क्षेत्र की कंपनियां—विशेष रूप से रिलायंस इंडस्ट्रीज़ और रूस समर्थित नायरा एनर्जी उठा रही हैं. ये कंपनियां अपने नेटवर्क के माध्यम से पेट्रोल और डीजल को सरकारी दरों से ₹2 से ₹3 प्रति लीटर सस्ता बेच रही हैं, जिससे उपभोक्ताओं का झुकाव उनकी ओर बढ़ रहा है.

अप्रैल–मई 2025 के आंकड़ों के अनुसार, निजी कंपनियों की डीज़ल बाजार में हिस्सेदारी 9.6% से बढ़कर 11.5% हो गई है, जबकि पेट्रोल में यह 9% से बढ़कर 10% पर पहुंच गई है. वहीं, थोक डीज़ल आपूर्ति के क्षेत्र में भी प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है, जहाँ सरकारी कंपनियां भारी छूट देकर अपनी बाजार हिस्सेदारी को फिर से हासिल करने की कोशिश कर रही हैं. इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने इस सेगमेंट में निजी कंपनियों से कुछ हद तक हिस्सा वापस ले लिया है, जो बाजार में हो रही मूल्य प्रतिस्पर्धा और रणनीतिक जवाबदेही को दर्शाता है.

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Abhishek Pandey
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