Anant Ambani: देश के अरबपति उद्योगपति और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी के घर नया मेहमान आया है. यह नया मेहमान बॉम्बे हाईकोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद आया है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोल्हापुर में रह रही बीमार हाथिनी महादेवी को गुजरात के जामनगर में स्थित राधे कृष्ण एलिफेंट वेलफेयर ट्रस्ट में स्थानांतरित करने की अनुमति दे दी है. यह ट्रस्ट अनंत अंबानी की वंतारा पहल द्वारा समर्थित है और हाथियों की विशेष देखभाल के लिए जाना जाता है.
गंभीर चोटों से पीड़ित थी महादेवी
कोर्ट के समक्ष पेश की गई रिपोर्टों के अनुसार, महादेवी गंभीर शारीरिक चोटों से पीड़ित है और उसे ऐसे माहौल की आवश्यकता है, जहां उसकी शारीरिक और मानसिक स्थिति सुधर सके. रिपोर्ट में बताया गया कि जामनगर का यह सेंटर हाथियों की विशेष देखभाल के लिए जाना जाता है और वहां प्रशिक्षित डॉक्टर और विशेषज्ञ मौजूद हैं.
जैन मठ की याचिका खारिज
इस फैसले से पहले कोल्हापुर के जैन मठ द्वारा दायर की गई याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया. मठ ने अदालत से मांग की थी कि महादेवी को वहीं रहने दिया जाए, क्योंकि वह 1992 से मठ के स्वामित्व में थी और धार्मिक जुलूसों में उपयोग की जाती थी. हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को ठुकरा दिया. कोर्ट ने सवाल उठाया कि यदि मठ में उचित देखभाल होती रही, तो फिर हाथी को गंभीर चोट कैसे लगी? मठ इस सवाल का संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाया.
‘पैरेन्स पैट्री’ सिद्धांत का हवाला
न्यायमूर्ति नीला गोखले ने अपने फैसले में कहा कि न्यायपालिका ने हाथी के जीवन और उसके गुणवत्तापूर्ण जीवन के अधिकार को मनुष्य की धार्मिक परंपराओं से ऊपर रखा है. उन्होंने ‘पैरेन्स पैट्री’ सिद्धांत का उल्लेख करते हुए कहा कि “मौन और असहाय जीवों की रक्षा करना राज्य और न्यायपालिका का कर्तव्य है.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि हाथी की पीठ पर हौदा रखना और उसे इंसानों व लाउडस्पीकर ढोने के लिए इस्तेमाल करना एक निरंतर क्रूरता है और यह निंदनीय कृत्य है.
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वनतारा में मिलेगा नया जीवन
कोर्ट के फैसले के बाद महादेवी को अब जामनगर स्थित वनतारा सेंटर में भेजा जाएगा. यह सेंटर जानवरों के भलाई के लिए अनंत अंबानी की पहल है और हाथियों की भावनात्मक और शारीरिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. यह निर्णय जानवरों के अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील कदम माना जा रहा है. उम्मीद है कि वहां महादेवी को न सिर्फ बेहतर इलाज मिलेगा, बल्कि वह शांति और सम्मान के साथ जीवन भी जी सकेगी.
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